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2019 चुनाव में दिखेगी अलग ही तस्वीर, पिता-पुत्र और मां-बेटी में छिड़ेगी सियासी जंग  

चुनाव डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमित मंडल Updated Wed, 20 Mar 2019 11:26 AM IST
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father son mother daughter fight in Lok Sabha Elections 2019
लोकसभा चुनाव 2019

लोकसभा चुनाव 2019 कई मायनों में अलग नजर आ रहा है। माहौल बता रहा है कि इस बार का सियासी संग्राम अब तक का सबसे अलग किस्म का होगा। इस बार सियासत कुछ यूं भी अलग दिख रही है कि करीबी रिश्तेदार ही आपस में जंग लड़ रहे हैं। पिता किसी पार्टी में है तो पुत्र कहीं और। दिग्गज नेताओं को अपनी पार्टी को जवाब देते नहीं बन रहा है। आपको बता रहे हैं ऐसे ही कुछ नेताओं के बारे में जो अलग-अलग पार्टियों से चुनावी दांव चल रहे हैं। 


 

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सुजय विखे पाटिल

राधाकृष्ण विखे पाटिल - सुजय विखे 

महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने भाजपा के बड़े नेताओं की मौजूदगी में कमल का फूल थाम लिया। चर्चा है कि सुजय को महाराष्ट्र से ही लोकसभा टिकट दिया जाएगा। इस कदम को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था। 19 मार्च को राधाकृष्ण विखे ने महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया। सुजय विखे पाटिल के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि राधा कृष्ण विखे पाटिल भी कुछ अहम फैसला कर सकते हैं। अब देखना है कि क्या वह कांग्रेस से भी इस्तीफा देंगे। 

 
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मनीष खंडूड़ी और बी सी खंडूड़ी

भुवनचंद्र खंडूड़ी - मनीष खंडूड़ी 

उत्तराखंड की सियासत में उस वक्त उबाल आ गया जब खबर आई कि दिग्गज भाजपा नेता और पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। पहले तो इस खबर को कयास माना गया। लेकिन 16 मार्च को देहरादून में हुई रैली में मनीष खंडूड़ी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद बीसी खंडूड़ी ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उनके बेटे को अपना फैसला लेने का अधिकार है। वह पढ़े लिखे नौजवान है और जरूरी नहीं कि वह उसी पार्टी में रहें जिसमें मैं हूं। वह कभी भी भाजपा में नहीं थे। बहरहाल, मनीष को कांग्रेस में शामिल होने को भाजपा के लिए झटका ही माना जा रहा है क्योंकि इससे संदेश ये जा रहा है कि बीसी खंडूड़ी भाजपा में अलग-थलग पड़ने के वजह से उनके बेटे ने ये फैसला लिया है। 

 
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अखिलेश यादव-शिवपाल यादव

अखिलेश यादव-शिवपाल यादव

एक तरफ पूरे देश में चुनाव और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में चुनाव, दोनों के लिए दिलचस्पी एकसमान ही रहती है। 80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में इस बार मुकाबला कांटे का है। सपा-बसपा दोनों में गठबंधन हो चुका है और भाजपा की लड़ाई मुश्किल हो गई है। भले ही अखिलेश यादव ने बसपा से गठबंधन कर अपनी स्थित मजबूत कर ली हो, लेकिन यादव परिवार में मचा घमासान खत्म नहीं हुआ है। चाचा शिवपाल यादव सपा से अलग होकर अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बना चुके हैं। 19 मार्च को उन्होंने 31 उम्मीदवारों के नामों का एलान भी कर दिया। वह खुद फिरोजाबाद से लड़ेंगे जहां से सपा ने रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को वोट दिया है। 

 
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यशवंत सिन्हा-जयंत सिन्हा

यशवंत सिन्हा- जयंत सिन्हा 

पूर्व दिग्गज भाजपा नेता और अटल सरकार में वित्त मंत्री व विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा मौजूदा भाजपा नेतृत्व से इस कदर खफा हैं कि सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे हैं। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से वह पूरी तरह हाशिए पर हैं। जनवरी 2018 में उन्होंने राष्ट्रमंच का गठन किया जिसमें अरुण शौरी और शत्रुघ्न सिन्हा भी शामिल हुए। बतौर राष्ट्रमंच नेता तमाम भाजपा और सरकार विरोधी मंचों पर वह नजर आते हैं। पीएम मोदी पर वह तीखे तंज कसते हैं। 

इसके उलट उनके बेटे जयंत सिन्हा केंद्र सरकार में राज्य मंत्री हैं। जयंत बिहार के हजारीबाग से सांसद हैं। इसी सीट से यशवंत भी चुनाव लड़ते रहे थे। इस चुनाव में ये देखना दिलचस्प होगा कि एक तरफ पिता मोदी सरकार पर हमलावर हैं तो दूसरी तरफ बेटे जयंत सरकार का बचाव करते दिखते हैं। 

 
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