Maharashtra: महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुरूपसिंग नाइक का निधन; 87 साल की आयु में ली अंतिम सांस
महाराष्ट्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सुरूपसिंग नाइक का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने दशकों तक नवापुर सीट का प्रतिनिधित्व किया।
विस्तार
महाराष्ट्र की राजनीति से बुधवार को एक दुखद खबर सामने आई। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मंत्री सुरूपसिंग नाइक का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। कांग्रेस पार्टी ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए इसे पार्टी और राज्य के लिए बड़ी क्षति बताया है। सुरूपसिंग नाइक महाराष्ट्र के सबसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में गिने जाते थे। उन्होंने लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और जनसेवा को हमेशा प्राथमिकता दी।
सुरूपसिंग नाइक के निधन से कांग्रेस पार्टी, उनके समर्थकों और नवापुर क्षेत्र में शोक की लहर है। पार्टी नेताओं ने उन्हें एक अनुभवी, सरल स्वभाव और जमीनी नेता बताया, जिन्होंने हमेशा जनता की आवाज को प्राथमिकता दी।
तीन दशक से अधिक का राजनीतिक सफर
सुरूपसिंग नाइक 1972 से 1981 तक नंदुरबार लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे। इसके बाद 1981 में उन्होंने संसद सदस्य पद से इस्तीफा देकर राज्य की राजनीति में प्रवेश किया। उसी वर्ष उन्हें जनजातीय विकास और सामाजिक कल्याण मंत्री बनाया गया। 1981 से 1982 तक वह राज्यपाल द्वारा नियुक्त विधान परिषद के सदस्य भी रहे। 1982 में नवापुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में वह निर्विरोध चुने गए और इसके बाद 1982 से 2009 तक लगातार महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य रहे। 2009 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2014 में उन्होंने नवापुर विधानसभा क्षेत्र से फिर से जीत दर्ज की। 2019 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और अपने बेटे शिरीष कुमार नाइक को नवापुर से विधायक बनने का अवसर दिया।
सुरूपसिंग नाइक महाराष्ट्र की राजनीति के एक अनुभवी और जमीनी नेता थे। उनका जन्म नवागांव तालुका के नवापुर क्षेत्र में हुआ। वह कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे और दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर से ही पार्टी से गहराई से जुड़े थे। आपातकाल के बाद उन्होंने खांडबारा में एक ऐतिहासिक रैली का आयोजन कर आदिवासी इलाकों में कांग्रेस के विचारों को मजबूती दी। उन्होंने हमेशा आदिवासी समाज के हितों को प्राथमिकता दी और खास तौर पर युवाओं को शिक्षा से जोड़ने पर जोर दिया। किसानों के हितों के लिए भी उन्होंने लगातार काम किया। कृषि उपज बाजार समितियों और किसान संगठनों के जरिए किसानों को अपनी फसल का उचित बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास किए।
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