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उपलब्धि: पांच साल में 76% टीबी मरीजों को मिला पोषण योजना का लाभ, 2023 में 92 फीसदी वार्षिक लक्ष्य किया हासिल
परीक्षित निर्भय
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Wed, 02 Jul 2025 06:02 AM IST
सार
शोधकर्ताओं ने बताया कि टीबी मरीजों को पोषण योजना की शुरुआत साल 2018 में हुई, तब प्रति माह 500 रुपये की सहायता दी जा रही थी। अब इसे बढ़ाकर एक हजार रुपये कर दी गई है। अध्ययन में सामने आया है कि योजना के तहत भुगतान मिलने का औसत समय 2018 में जहां 200 दिन था, वहीं 2022 में घटकर 91 दिन हो गया जो कि प्रशासनिक दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार बयां कर रहा है।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : Freepik
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विस्तार
केंद्र सरकार की निक्षय पोषण योजना का लाभ तेजी से टीबी मरीजों तक पहुंच रहा है। बीते पांच साल (2018 से 2022) में अधिसूचित टीबी रोगियों में से करीब 76% ने योजना का लाभ उठाया है। यह खुलासा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के चेन्नई स्थित राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (एनआईई) के अध्ययन में किया गया है।
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मेडिकल जर्नल बीएमसी पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि टीबी मरीजों को पोषण योजना की शुरुआत साल 2018 में हुई, तब प्रति माह 500 रुपये की सहायता दी जा रही थी। अब इसे बढ़ाकर एक हजार रुपये कर दी गई है। अध्ययन में सामने आया है कि योजना के तहत भुगतान मिलने का औसत समय 2018 में जहां 200 दिन था, वहीं 2022 में घटकर 91 दिन हो गया जो कि प्रशासनिक दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार बयां कर रहा है।
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पहली बार योजना के पांच वर्षों के प्रदर्शन का राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन किया गया। इस दौरान देशभर में 37,12,551 रोगियों को अधिसूचित किया गया, जिनमें से योजना के तहत 2018 में 56.9% को कम से कम एक किस्त मिली थी, जबकि 2022 में यह संख्या बढ़कर 76.1% हो गई। आईसीएमआर-एनआईई के निदेशक डॉ. मनोज वी. मुरहेकर ने कहा, टीबी का इलाज तभी सफल हो सकता है, जब मरीज को दवा के साथ पर्याप्त पोषण मिले। निक्षय पोषण योजना इसी वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है, जो राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत लागू की गई है।
इसलिए जरूरी है योजना
टीबी के मरीजों को अक्सर भूख कम लगती है, जिससे उनके शरीर में कमजोरी आ जाती है। ऐसे में निक्षय योजना के तहत मिलने वाली वित्तीय सहायता मरीजों को पौष्टिक भोजन खरीदने में मदद करती है। डॉक्टरों का भी मानना है कि टीबी के उपचार में दवाओं के साथ पोषण आहार की भूमिका बहुत अहम होती है।
यूपी में सबसे अधिक मामले
आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पहली बार 2023 में टीबी के 25,30,055 नए मरीजों की पहचान कर वार्षिक लक्ष्य का 92% हासिल किया है। सरकार ने एक साल में 27,62,832 मरीजों की पहचान करने का लक्ष्य तय किया। सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 6.27 लाख मामले सामने आए। इससे पहले 2021 में 21,36,606 और 2022 में 24,25834 टीबी मरीज पहचाने गए थे।
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टीबी को हराने के लिए सुधार जरूरी
शोधकर्ताओं ने कहा है कि बीते पांच साल में आधे से अधिक रोगियों को पहली किस्त के लिए तीन महीने इंतजार करना पड़ा। सरकार इस अवधि को कम कर मरीजों के बैंक खाते में समय रहते किस्त पहुंचाने पर जोर देती है तो भारत उपचार दर मंे तेजी से सुधार ला सकता है।