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उपलब्धि: वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ निकाला कोरोना की रीढ़ तोड़ने वाला फॉर्मूला, SB 431542 दवा संक्रमण पर बेहद असरदार

परीक्षित निर्भय Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Mon, 28 Jul 2025 06:01 AM IST
सार

आईसीएमआर के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस खोज को पूरा किया है। हालांकि यह शोध अभी बायोरेक्सिव जर्नल पर प्री-प्रिंट के रूप में प्रकाशित हुआ है और इसे अंतिम अनुमोदन नहीं मिला है, फिर भी इसके नतीजे बेहद आशाजनक हैं।

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ICMR scientists found drugs SB 431542 to be highly effective against corona virus
कोविड 19 (सांकेतिक) - फोटो : Freepik.com
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विस्तार
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एक लंबी लड़ाई के बाद भारत के वैज्ञानिकों ने कोरोना की रीढ़ तोड़ने वाले फार्मूला की खोज की है। इस दवा की वजह से 50 बार के एक्सपोजर के बावजूद वायरस ने प्रतिरोधक क्षमता नहीं बनाई। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों ने पुरानी दवा एसबी 431542 को कोरोना वायरस के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी पाया है।

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नेशनल सेंटर फॉर वेटरनरी टाइप कल्चर, आईसीएमआर के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस खोज को पूरा किया है। हालांकि यह शोध अभी बायोरेक्सिव जर्नल पर प्री-प्रिंट के रूप में प्रकाशित हुआ है और इसे अंतिम अनुमोदन नहीं मिला है, फिर भी इसके नतीजे बेहद आशाजनक हैं। यदि इसे इंसानों पर परीक्षणों में भी सफलता मिलती है तो यह दवा कोविड-19 के अलावा अन्य कोरोना वायरस के खिलाफ भी क्रांतिकारी हथियार बन सकती है।
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तीन तरह से कोरोना पर हमला
राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि यह दवा एकसाथ तीन अलग स्तरों पर कोरोना वायरस को रोकती है। यह शरीर में टीजीएफ-बीटा नामक प्रोटीन के रास्ते को अवरुद्ध करता है। ये वायरस को कोशिका में प्रवेश करने में मदद करते हैं। यह दवा वायरस के ओआरएफ 3ए नामक प्रोटीन से चिपककर उसकी रणनीति को फेल कर देती है, जिससे वायरस की असेंबली प्रक्रिया रुक जाती है। जब वायरस संक्रमित कोशिकाओं को तोड़कर बाहर आता है, तब यह दवा एपोप्टोसिस की प्रक्रिया को भी रोक देता है।

अब तक की सबसे टिकाऊ एंटीवायरल
डॉ. कुमार ने बताया कि जब वायरस को लगातार 50 बार इस दवा के संपर्क में रखा गया तब भी उसने कोई प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं की। यह उपलब्धि मौजूदा रेमडेसिवीर के मुकाबले बेहद महत्वपूर्ण है, जिनके खिलाफ वायरस जल्दी प्रतिरोध बना लेता है। दवा का चूहे के भ्रूणों में परीक्षण किया, जिसमें यह दवा चिकन कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित हुई।

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वायरस के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ी जीत
शोध के प्रमुख लेखक डॉ. कुमार ने कहा कि साल 2020 से भारत कोरोना महामारी का सामना कर रहा है। अब तक हमने इस लड़ाई में काफी जीत हासिल की है और अब हम एक और नया अध्याय लिखने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, एसबी 431542 न केवल वायरस को सीधे रोकती है, बल्कि वायरस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मेजबान कोशिका की कमजोरियों को भी लक्षित करती है। इससे वायरस को प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने का मौका ही नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि जल्द ही भारत के अलग-अलग अस्पतालों में इंसानों पर इसके परीक्षण शुरू किए जाएंगे।

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