प्रधानमंत्री से चर्चा में लॉकडाउन की हां-ना के बीच राज्यों ने केंद्र से मांगे कुछ अधिकार
- हरियाणा, केरल, छत्तीसगढ़ ने मांगे राज्यों के लिए अधिकार
- पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना ने की लॉकडाउन बढ़ाने की सिफारिश
- पश्चिम बंगाल ने कहा कि केंद्र करे संघीय ढांचे का सम्मान, राजनीति न हो
विस्तार
प्रधानमंत्री से सोमवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने दो सत्र में चर्चा की। सबसे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी और अंत में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी बात रखी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी सावधानी के साथ कोविड-19 के संक्रमण को एकजुटता के साथ हराने का संदेश दिया। उन्होंने संक्रमण को गांवों तक न पहुंचने देने में राज्यों से सक्रियता और रणनीति बनाने की अपील की।
प्रधानमंत्री से हुई मैराथन बैठक में साफ हो गया है कि जान के साथ केंद्र सरकार जहान (आर्थिक गतिविधियां) बचाने की रणनीति पर आगे बढ़ेगी। इस दौरान कई राज्यों ने अपने लिए अधिकार भी मांगे।
लॉकडाउन जारी रहेगा, लेकिन कामकाज की मिलेगी छूट
केंद्र सरकार के रणनीतिकारों को लग रहा है कि यह धीरे-धीरे खुलेगा। रेल सेवा शुरू हो गई है, जल्द ही सड़क परिवहन सेवा भी शर्तों के साथ शुरू हो सकती है। फेस शील्ड, मास्क समेत अन्य सुविधाओं के साथ अंतर्राज्यीय हवाई सेवा बहाल किए जाने का निर्णय हो सकता है।
उम्मीद की जा रही है कि रविवार तक गृह मंत्रालय इस संदर्भ में कोई एडवाइजरी जारी कर सकता है। केंद्र सरकार औद्योगिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए विशेष सावधानी के साथ छूट दे सकती है।
हालांकि लॉकडाउन को लेकर तेलंगाना, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने इसे बढ़ाने का अनुरोध किया। तमिलनाडु के सीएम पलानीस्वामी ने 31 मई तक रेल, हवाई सेवा न शुरू करने का आग्रह किया।
उनका कहना है कि राज्य में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। आवाजाही की छूट मिलने पर इसके और बढ़ने का खतरा रहेगा। तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी रेल सेवा शुरू करने का विरोध किया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में आवाजाही पर प्रतिबंध जारी रहने का सुझाव दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रणनीतिक तैयारी के साथ लॉकडाउन पर फैसला लेने की सलाह दी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी लॉकडाउन को अभी जारी रखने का सुझाव दिया। इन सबका मानना है कि आवाजाही बढ़ने पर संक्रमण बढ़ेगा।
राज्यों को तय करने का अधिकार दें
इस बार यह एक बड़ी महत्वपूर्ण मांग है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मांग में काफी जोर दिया। बघेल ने बस, ट्रेन, हवाई सेवा शुरू करने में भी राज्यों से चर्चा का आग्रह किया।
मनरेगा के अंतर्गत 200 दिन की मजदूरी का अनुरोध किया, आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने का अधिकार राज्यों को दिए जाने तथा रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन को भी राज्यों के तय करने की स्वतंत्रता देने की मांग की।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी इसी तरह की मांग की। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में राज्यों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए उन्हें इसके नियमों में बदलाव करने के अधिकार दिए जाने चाहिए।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रधानमंत्री को गेहूं की अच्छी पैदावार और राज्य की तरफ से अच्छी खरीद करने की जानकारी दी। खट्टर ने भी प्रधानमंत्री से आर्थिक गतिविधियों को पुन: शुरू करने का निर्णय लेने के लिए राज्यों को अधिकृत करने का सुझाव दिया।
उद्धव, ममता और केजरीवाल की मांग
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की दो मांगे बिल्कुल अलग रही। उन्होंने राज्य में पुलिस जवानों के कोविड-19 से संक्रमित होने का हवाला देकर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आग्रह किया। उन्होंने महाराष्ट्र में गरीब मजदूरों के लिए लोकल ट्रेन चलाने की मांग की।
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने केंद्र द्वारा राज्य को लिखा पत्र मिलने से लीक होने का मुद्दा उठाया। पश्चिम बंगाल को देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा बताते हुए संवेदशीलता को समझकर व्यवहार करने, ऐसे समय में राजनीति के बजाय संघीय ढांचे के अनुरुप व्यवहार करने की अपील की।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी बोले। कंटेनमेंट जोन को छोड़कर सभी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां शुरू करने का सुझाव दिया। जिलेवार रेड जोन में छूट देने की वकालत की।
कंटेनमेंट जोन को छेड़कर पूरी दिल्ली को ग्रीन जोन में घोषित करने का आग्रह किया। उन्होंने पूर्वी दिल्ली में कोविड-19 के मामले बढ़ने की जानकारी भी दी।
राज्यों ने मांगी वित्तीय मदद, जीएसटी का भुगतान
राजस्थान, दिल्ली, छत्तीसगढ़ समेत तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से आर्थिक मदद, जीएसटी के बकाया भुगतान आदि की मांग की। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को वित्त आयोग द्वारा पिछले 20 साल से फंड न जारी करने का मुकाबला उठाया।
पंजाब के मुख्यमंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री दोनों का मानना है कि बिना केंद्र सरकार की सहायता के राज्य इस तरह की महामारी का मुकाबला नहीं कर सकते।
क्या है 17 तारीख के बाद उम्मीद?
केंद्र सरकार के रणनीतिकार को उम्मीद है कि 17 मई के बाद शर्तों के साथ लॉकडाउन में छूट मिलेगी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में धीरे-धीरे, सीमित और सशर्त छूट दिए जाने का अनुमान है।
स्कूल, कालेज, शैक्षणिक गतिविधियां, पर्यटन, बड़े मॉल, शापिंग कॉम्प्लेक्स को भी अभी छूट मिलने में समय लग सकता है। रेल सेवा के बाद हवाई यात्रा और सड़क परिवहन के क्षेत्र को केंद्र सरकार बड़ी सावधानी के साथ धीरे-धीरे खोलने पर विचार कर रही है।
पर्यटन, होटल, सर्विस इंडस्ट्री के क्षेत्रों को इंतजार करना पड़ सकता है। वहां स्थानीय बाजारों को सशर्त खोलने, दो गज की सामाजिक दूरी बनाने, मास्क, फेस शील्ड का इस्तेमाल करने की हिदायत के साथ खोलने की छूट दी जा सकती है।
केंद्र सरकार चाहती है कि हाईवे पर मजदूरों की कई किमी तक लग रही लंबी कतारों का अविलंब निवारण किया जाए। राज्य इस मामले को अपने स्तर से देखें, सहयोग करें।
प्रधानमंत्री ने दिया कुछ संकेत
प्रधानमंत्री ने अपनी चिंता भी जताई और रणनीतिक तैयारी के साथ कोविड-19 के संक्रमण से मिलकर मुकाबला करने की प्रतिबद्धता भी दिखाई। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव (विस्तार) का अनुमान लगा लिया गया है।
इसे एकजुट होकर हराना है। इसके साथ-साथ धीरे-धीरे शुरू हो रही आर्थिक गतिविधियों को तेज करना होगा। प्रधानमंत्री के संकेतों से इसका भी ईशारा मिल रहा है कि राज्य खुद आर्थिक गतिविधि शुरू करने की रणनीतिक तैयारी के साथ आगे बढ़ें। राज्य तय करें कि यह कैसे और किस तरह से शुरू हों।
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