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Air Pollution: भारत में हवा बनी जानलेवा हेल्थ इमरजेंसी, 80 से अधिक पद्म पुरस्कार सम्मानित डॉक्टरों की चेतावनी

परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली। Published by: शिवम गर्ग Updated Fri, 05 Dec 2025 06:44 AM IST
सार

India Air Pollution Health Emergency: 80 से ज्यादा पद्म अवॉर्डी डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि भारत का वायु प्रदूषण एक नेशनल हेल्थ इमरजेंसी बन गया है, जिससे DNA डैमेज, हार्मोनल डिसरप्शन, स्ट्रोक और हर साल लाखों मौतें हो रही हैं।

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India Facing Deadly Air Pollution Health Emergency, Warn Over 80 Padma Awardee Doctors
गाजियाबाद की हवा हुई जहरीली - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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80 से अधिक पद्म पुरस्कार सम्मानित डॉक्टरों ने पहली बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य चेतावनी जारी करते हुए कहा कि भारत में वायु प्रदूषण अब स्वास्थ्य आपात स्थिति में बदल गया है। हवा में मौजूद केमिकल, भारी धातुएं, माइक्रोप्लास्टिक व अत्यधिक पीएम 2.5 न सिर्फ फेफड़ों को, बल्कि डीएनए और हार्मोनल सिस्टम को भी स्थायी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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चिकित्सकों ने कहा कि यह सिर्फ स्मॉग नहीं, भारत की पीढ़ियों के लिए खतरा है। इन डॉक्टरों ने 2025 के डाटा का हवाला देते हुए कहा कि भारत में हर साल करीब 17 लाख मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी पाई गई हैं।
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एक-तिहाई सांस संबंधी मौतें और करीब 40% स्ट्रोक से होने वाली मौतें खराब हवा से जुड़ी बताई गई हैं। विशेषज्ञों ने चेताया कि उच्च यातायात वाले क्षेत्रों और महानगरों की हवा में माइक्रोप्लास्टिक व नैनोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ रही है, जो शरीर में दीर्घकालिक सूजन, हार्मोनल गड़बड़ी और विकास संबंधी समस्याएं पैदा कर रही हैं। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से डीएनए को नुकसान, टेलोमेर शॉर्टनिंग और जेनेटिक अस्थिरता जैसे प्रभाव भी सामने आए हैं, जो कैंसर, हार्ट अटैक और मेटाबॉलिक बीमारियों का जोखिम बढ़ाते हैं। इन डॉक्टरों में दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, फोर्टिस के डॉ. अशोक सेठ, मेदांता अस्पताल के डॉ नरेश त्रेहान, दिल्ली के डॉ. अरविंद लाल और मधुमेह चिकित्सा में नामचीन डॉ. अनूप मिश्रा के अलावा डॉ. महिपाल सचदेव, डॉ. महेश वर्मा और डॉ. अंबरीष मित्तल जैसे डॉक्टरों के नाम हैं।

तुरंत दखल दे सरकार
डॉक्टरों ने सरकार से तत्काल स्वास्थ्य प्रथम कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ दिल्ली-एनसीआर की समस्या नहीं है। हर राज्य में एकसाथ सख्त नियम लागू कराए जाएं। ग्रेप थ्रेशोल्ड वैज्ञानिक आधार पर संशोधित होने से लेकर गंभीर प्रदूषण को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने, निर्माण धूल, औद्योगिक धुआं और खुले में कचरा जलाने पर सख्ती, पुराने डीजल वाहन और डीजी सेट पर रोक जैसे नियमों की मांग की है।

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