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UNICEF: गरीबी कम करने में भारत की रफ्तार सबसे तेज, बच्चों की स्थिति पर यूनिसेफ ने अब तक की प्रगति को सराहा
अमर उजाला ब्यूरो
Published by: लव गौर
Updated Fri, 21 Nov 2025 05:52 AM IST
सार
यूनिसेफ की नई रिपोर्ट स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2025 के मुताबिक, भारत में 20.6 करोड़ बच्चे अब भी कम से कम एक बुनियादी सेवा जैसे आवास, स्वच्छता, पानी, पोषण, स्वास्थ्य या शिक्षा से वंचित हैं।
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20.6 करोड़ बच्चे किसी न किसी सुविधा से वंचित
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
भारत ने पिछले दशक में गरीबी कम करने में दुनिया में सबसे तेज प्रगति की है लेकिन बड़ों की खुशहाली का फायदा बच्चों तक समान रूप से नहीं पहुंचा है। यूनिसेफ की नई रिपोर्ट स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2025 के मुताबिक, भारत में 20.6 करोड़ बच्चे अब भी कम से कम एक बुनियादी सेवा जैसे आवास, स्वच्छता, पानी, पोषण, स्वास्थ्य या शिक्षा से वंचित हैं।
इनमें से 6.20 करोड़ बच्चे दो या उससे ज्यादा वंचनाओं का सामना कर रहे हैं। यह स्थिति उनकी सीखने, स्वस्थ रहने और भविष्य की क्षमता तक पहुंचने की राह में बड़ी बाधा है। रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के हर पांच में से एक बच्चा भारत में रहता है। भारत में 46 करोड़ बच्चे हैं जिनकी आयु 18 वर्ष से कम है। नीति आयोग का हवाला देते हुए राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, भारत ने साल 2013–14 से 2022–23 के बीच 24.80 करोड़ नागरिकों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। इसी के साथ राष्ट्रीय एमपीआई दर 29.2% से घटकर 11.3% रह गई।
बाल गरीबी का अंत संभव
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्री ने कहा कि यह रिपोर्ट हमें याद दिलाती है कि हमारे पास मौजूद उपकरणों और ज्ञान से बाल गरीबी का अंत संभव है। बच्चों में निवेश से अधिक लाभकारी कोई निवेश नहीं है। भारत की प्रगति दिखाती है कि प्रभावी कार्यक्रमों में और तेजी लाकर हम अंतिम छोर तक पहुंच सकते हैं और भारत के विजन 2047 को साकार कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें: इंडिया जस्टिस रिपोर्ट: 50 हजार बच्चों को अब भी इंसाफ का इंतजार, 362 जुवेनाइल बोर्ड में अब भी लंबित हैं 55% केस
सामाजिक सुरक्षा कवरेज 10 साल में 45 फीसदी बढ़ी
सामाजिक सुरक्षा कवरेज की बात करें तो साल 2015 में यह दर 19% से बढ़कर इस साल 2025 में 64.3% तक पहुंची है। यूनिसेफ की रिपोर्ट में भारत की इस तस्वीर को काफी सराहा गया है। इसे दुनिया में सबसे बड़ी उपलब्धि तक कहा है। बच्चों की वास्तविक स्थिति में असमानता सबसे बड़ी चुनौती है। पोषण में सुधार हुआ है लेकिन अल्पपोषण अब भी व्यापक है। स्वच्छ पेयजल और शौचालय की सुविधा बढ़ी है जबकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच नहीं बन पाई है।
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इनमें से 6.20 करोड़ बच्चे दो या उससे ज्यादा वंचनाओं का सामना कर रहे हैं। यह स्थिति उनकी सीखने, स्वस्थ रहने और भविष्य की क्षमता तक पहुंचने की राह में बड़ी बाधा है। रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के हर पांच में से एक बच्चा भारत में रहता है। भारत में 46 करोड़ बच्चे हैं जिनकी आयु 18 वर्ष से कम है। नीति आयोग का हवाला देते हुए राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, भारत ने साल 2013–14 से 2022–23 के बीच 24.80 करोड़ नागरिकों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। इसी के साथ राष्ट्रीय एमपीआई दर 29.2% से घटकर 11.3% रह गई।
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बाल गरीबी का अंत संभव
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्री ने कहा कि यह रिपोर्ट हमें याद दिलाती है कि हमारे पास मौजूद उपकरणों और ज्ञान से बाल गरीबी का अंत संभव है। बच्चों में निवेश से अधिक लाभकारी कोई निवेश नहीं है। भारत की प्रगति दिखाती है कि प्रभावी कार्यक्रमों में और तेजी लाकर हम अंतिम छोर तक पहुंच सकते हैं और भारत के विजन 2047 को साकार कर सकते हैं।
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सामाजिक सुरक्षा कवरेज 10 साल में 45 फीसदी बढ़ी
सामाजिक सुरक्षा कवरेज की बात करें तो साल 2015 में यह दर 19% से बढ़कर इस साल 2025 में 64.3% तक पहुंची है। यूनिसेफ की रिपोर्ट में भारत की इस तस्वीर को काफी सराहा गया है। इसे दुनिया में सबसे बड़ी उपलब्धि तक कहा है। बच्चों की वास्तविक स्थिति में असमानता सबसे बड़ी चुनौती है। पोषण में सुधार हुआ है लेकिन अल्पपोषण अब भी व्यापक है। स्वच्छ पेयजल और शौचालय की सुविधा बढ़ी है जबकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच नहीं बन पाई है।