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India-US-Russia Ties: क्या जाते-जाते पुतिन दोस्त भारत का बड़ा काम कर गए? अमेरिका को मिला बड़ा कूटनीतिक संदेश

Shashidhar Pathak शशिधर पाठक
Updated Fri, 12 Dec 2025 01:14 PM IST
सार

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस लौट गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एनडीए के सांसदों को डिनर पर बुलाया है। वह दो स्वाद एक साथ ले रहे हैं। एक सांसदों के साथ डिनर का और दूसरा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ ‘बदले हुए भाव’में वार्ता का। 

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India-US-Russia Ties Putin favoring friend India Delhi visit significant diplomatic message to America know
व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस लौट गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एनडीए के सांसदों को डिनर पर बुलाया है। वह दो स्वाद एक साथ ले रहे हैं। एक सांसदों के साथ डिनर का और दूसरा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ ‘बदले हुए भाव’में वार्ता का। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी काफी खुश हैं।कहा जा रहा है कि रूस और भारत की चतुराई भरी कूटनीतिक पारी ने अमेरिका को बड़ा संदेश दे दिया है।

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अभी यह खबर भर है। खबर में गहराई की परतें धीरे धीरे खुलेंगी। सूचना इतनी भर है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की है। यह बात रिश्तों को मधुर बनाने, आपसी व्यापार को नई दिशा देने के लिए हुई है। रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई है। अमेरिका भारत के साथ रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्र को नई ऊंचाई पर ले जाने की इच्छाशक्ति दिखा रहा है। भारतीय रणनीतिकारों का मानना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के बाद यह एक अच्छा संदेश है। रूस ने भारत के साथ बड़े प्रस्तावों पर चर्चा की है। हालांकि भारत बहुत संभलकर चला है, लेकिन इसके बहाने उसने परोक्ष रूप से अमेरिका को भी संदेश दे दिया है। भारत का संदेश साफ है कि वह अमेरिका के साथ सहयोग और विश्वास का प्रगतिगामी रिश्ता चाहता है, लेकिन इसके लिए 140 करोड़ लोगों के भारत के हितों की बलि नहीं दे सकता। एक पूर्व विदेश सचिव का कहना है कि इसमें दो सूचना पिरोई हुई थी। पहली यह कि भारत रूस का विश्वसनीय, पुराना और सामरिक, रणनीतिक साझीदार देश है। ब्रिक्स, आरआईसी और एससीओ का सदस्य देश है। रहेगा। दूसरा, भारत अमेरिका के साथ उत्साहपूर्ण रिश्ते का पक्षधर है।
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अमेरिका के रणनीतिकार भी ‘टू मच स्ट्रेस’ के पक्ष में नहीं
अमेरिकी प्रशासन में भारत समर्थक लॉबी है। भारत ने भी वाशिंगटन में अपना पक्ष रखने के लिए संवेदनशीलता से प्रयास किया है। इसका मकसद ट्रंप प्रशासन के भीतर भारत को लेकर उपजे भ्रम को दूर करना है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में बिल ह्यूजेंगा जैसे सदस्य हैं। जो मानते हैं कि अमेरिका को भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत बनाने पर गंभीरता से सोचना चाहिए। भारत ने भी दर्पण जैन को अमेरिका के साथ कारोबारी जीत को रास्ते पर लाने का जिम्मा सौंप रखा है। पहले राजेश अग्रवाल इसकी कमान संभाल रहे थे। राजेश अग्रवाल का प्रमोशन हो चुका है। उन्हें वाणिज्य मंत्रालय का सचिव नियुक्त किया गया है। राजेश अग्रवाल की निगरानी और मार्गदर्शन में यह प्रकिर्या आगे बढ़ेगी। भारत के एक अमेरिकी विशेषज्ञ का कहना है कि सन 2000 के बाद से भारत और अमेरिका के रिश्ते साल-दर-साल नई ऊंचाई पर गए। पिछले कुछ समय से इसमें दिक्कत आई है। राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में सबकुछ बाहर आ गया। अब अमेरिका के रणनीतिकारों को लग रहा है कि भारत के साथ ‘टू मच स्ट्रेस’ के रास्ते पर चले तो दक्षिण एशिया में उन्हें नई चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

पुतिन की यात्रा कौन सा तोहफा दे गई?
अमेरिका की सबसे बड़ी आपत्ति रूस से कच्चे तेल के आयात की थी। इसके अलावा अमेरिका के रणनीतिकारों को साफ तौर पर लग रहा है कि ट्रंप प्रशासन की मौजूदा नीति भारत-रूस-चीन को मजबूती से एक साथ आने का अवसर दे रही है। इस तरह की स्थिति रूस, चीन, भारत, दक्षिण, ब्राजील, अफ्रीका और ईरान के संगठन‘ब्रिक्स’फोरम में प्रभावी बनाएगा। इसका असर क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़ेगा। इसलिए भारत के साथ उचित सामंजस्य दोनों देशों(भारत और अमेरिका) की जरूरत है।  

भारत में ही है यूएसटीआर प्रतिनिधिमंडल
अमेरिका का आफिस आफ द यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव(यूएसटीआर) प्रतिनिधि मंडल 9 दिसंबर से ही भारत में है।इसका नई दिल्ली में भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत का आखिरी दिन था। माना जा रहा है कि इस दौरान भारतीय रणनीतिकारों और अमेरिका प्रतिनिधियों के बीच में बहुत सकारात्मक बात हुई है। अमेरिका प्रतिनिधि मंडल के साथ इस तरह की प्रगति के बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का प्रधानमंत्री मोदी के पास फोन आने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

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