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High Court: इंजीनियर आत्महत्या केस में ओला संस्थापक भाविश अग्रवाल को अंतरिम राहत, जांच में सहयोग करने का आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Thu, 30 Oct 2025 03:29 PM IST
सार
हाईकोर्ट के जस्टिस मोहम्मद नवाज ने बुधवार को सुनवाई के दौरान भाविश और सुब्रत को पहले से दी गई अंतरिम सुरक्षा अवधि को 17 नवंबर तक बढ़ा दिया और निर्देश दिया कि पुलिस जांच के नाम पर याचिकाकर्ताओं को परेशान न करे।
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भाविश अग्रवाल को कर्नाटक उच्च न्यायालय से राहत।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
ओला कंपनी से जुड़े एक इंजीनियर की आत्महत्या के मामले में ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ और प्रबंध निदेशक (एमडी) भाविश अग्रवाल को राहत मिली है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भाविश और उनकी कंपनी के एक संभाग के इंजीनियरिंग प्रमुख सुब्रत कुमार दास को इंजीनियर के. अरविंद की आत्महत्या मामले की चल रही आपराधिक जांच के मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा बढ़ा दी है। साथ ही दोनों को सक्रिय रूप से सहयोग करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट के जस्टिस मोहम्मद नवाज ने बुधवार को सुनवाई के दौरान भाविश और सुब्रत को पहले से दी गई अंतरिम सुरक्षा अवधि को 17 नवंबर तक बढ़ा दिया और निर्देश दिया कि पुलिस जांच के नाम पर याचिकाकर्ताओं को परेशान न करे। दरअसल, कोर्ट दोनों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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हाईकोर्ट के जस्टिस मोहम्मद नवाज ने बुधवार को सुनवाई के दौरान भाविश और सुब्रत को पहले से दी गई अंतरिम सुरक्षा अवधि को 17 नवंबर तक बढ़ा दिया और निर्देश दिया कि पुलिस जांच के नाम पर याचिकाकर्ताओं को परेशान न करे। दरअसल, कोर्ट दोनों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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क्या है मामला?
यह मामला अरविंद के भाई अश्विन कन्नन की तरफ से सुब्रमण्यपुरा पुलिस में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें बीएनएस अधिनियम की धारा 108 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। मृतक अरविंद ने कथित तौर पर एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने दफ्तर में उत्पीड़न, बकाया सैलरी और दूसरे लाभ न दिए जाने के आरोप लगाए थे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने उस नोट की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि हो सकता है कि यह शिकायतकर्ता की तरफ से लिखा गया हो, न कि मृतक की तरफ से। उन्होंने यह भी कहा कि अरविंद की मौत से जुड़ी तस्वीरों और इंटरव्यू के प्रसार से कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है, शेयर मूल्य में गिरावट आई है और कर्मचारियों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है।
यह मामला अरविंद के भाई अश्विन कन्नन की तरफ से सुब्रमण्यपुरा पुलिस में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें बीएनएस अधिनियम की धारा 108 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। मृतक अरविंद ने कथित तौर पर एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने दफ्तर में उत्पीड़न, बकाया सैलरी और दूसरे लाभ न दिए जाने के आरोप लगाए थे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने उस नोट की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि हो सकता है कि यह शिकायतकर्ता की तरफ से लिखा गया हो, न कि मृतक की तरफ से। उन्होंने यह भी कहा कि अरविंद की मौत से जुड़ी तस्वीरों और इंटरव्यू के प्रसार से कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है, शेयर मूल्य में गिरावट आई है और कर्मचारियों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है।
वहीं, शिकायतकर्ता की ओर से पेश वकील ने ओला इलेक्ट्रिक की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से करते हुए कंपनी के अधिकारियों पर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश का आरोप लगाया। अदालत को बताया गया कि पुलिस ने जांच के लिए नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने केवल चिट्ठियों के जरिए जवाब दिया है। वे पूछताछ के लिए भी पेश नहीं हुए हैं। इस पर हाईकोर्ट ने भाविश और सुब्रत को जांच में पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई अंतिम रिपोर्ट दाखिल की जाती है, तो वे उसे कानूनन चुनौती दे सकते हैं।