Khabaron Ke Khiladi: जीएसटी दरों में बदलाव पर शुरू हुई सियासत, विश्लेषक बोले- उपभोक्ता के पास तक पहुंचे लाभ
इस हफ्ते सरकार के द्वारा नई जीएसटी दरों को तय किया गया। इस बार सरकार ने जीएसटी की दरों को कम करने के काम किया है। वित्त मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जब इन दरों को बता रही थी तो बिहर के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी भी उनके साथ थे। इसे लेकर अब सियासी बयान बाजी शुरू हो गई है।

विस्तार
जीएसटी की दरों में बदलाव की खबर इस हफ्ते सुर्खियों में रही। जीएसटी काउंसिल की बैठक में 12 फीसदी और 28 फीसदी वाले कर ढांचों को खत्म कर दिया गया। जीएसटी दरों में हुए बदलाव को लेकर वित्त मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद रहे। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासी बयानबाजी भी जारी है। बिहार चुनाव से पहले आए इस बड़े फैसले पर इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, पूर्णिमा त्रिपाठी और अवधेश कुमार साथ ही अर्थशास्त्री विजेंद्र उपाध्याय भी मौजूद रहे।

रामकृपाल सिंह: दो बातें होती हैं। अगर कन्जम्प्शन बढ़ेगा तो फैक्टरियों का प्रोडक्शन भी बढ़ेगा। मुझे लगता है कि जीएसटी में हुआ बदलाव इसी दिशा में है। नरसिम्हा राव ने उदारीकरण का जो फैसला किया था उसके बाद मैं इस बदलाव को सबसे बड़ा मानता हूं। कोई भी नियम हमेशा के लिए नहीं होता है। ये फैसला भले देर से लिया गया हो मुझे लगता है कि अच्छा निर्णय है।
पूर्णिमा त्रिपाठी: विपक्ष जो कर रहा है वो उसका काम है। ये कदम स्वागत योग्य है इसमें कोई शक नहीं है। राजनीतिक दल तो राजनीति करेंगे ही ये उनका काम है। टैक्स में सरलीकरण हुआ है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सम्राट चौधरी वहां मौजूद थे तो इसमें हर कोई राजनीति देखेगा, क्योंकि बिहार में चुनाव होने हैं।
विजेंद्र उपाध्याय: निश्चित तौर पर इससे आम आदमी को फायदा मिलेगा। मिडिल क्लास को इससे सहूलियत मिलेगी। इस फैसले का स्वागत करना चाहिए। सरकार ने पहले कॉरपोरेट टैक्स कम किया, फिर इनकम टैक्स में सहूलियत दी। अब जीएसटी में हुए बदलाव को आप राहत का तीसरा दौर कह सकते हैं। सरकार को विकास के कई काम करने होते हैं। इसके लिए पैसा कहां से आएगा उसे यह भी देखना होगा।
विनोद अग्निहोत्री: इस मामले में सियासत की शुरुआत सत्ता पक्ष की ओर से हुई। जब सम्राट चौधरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाया गया। एक तरफ से सियासत होगी तो दूसरा पक्ष भी जवाब देगा। इस सियासत को मैं गलत नहीं मानता हूं। इस कदम का स्वागत कौन नहीं करेगा। असल बात ये है कि क्या इसका पूरा लाभ उपभोक्ता तक पहुंचेगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देखिए, जिस रूसी तेल की वजह से डोनाल्ड ट्रंप ने 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है उसका लाभ कौन ले रहा है? कंपनियां इसका फायदा उठा रही हैं और आम आदमी को पेट्रोल डीजल पर आज भी उतना ही पैसा देना पड़ रहा है।
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