Khabaron Ke Khiladi: विदेश में राहुल दे रहे बयान देश में हो रहा बवाल, विश्लेषकों ने बताया इसका नफा-नुकसान
राहुल गांधी इस समय विदेश दौरे पर हैं। उन्होंने विदेश में आरएसएस-भाजपा पर की विचारधारा को कायरता पर आधारिक बताया है। इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में इसी विषय पर चर्चा
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी विदेश दौरे पर हैं। हर बार की तरह उनके विदेश दौरे पर देश में सियासी बयानबाजी जारी है। विदेश में दिए उनके बयानों पर सियासत गर्म है। भाजपा उनके बयानों देश विरोधी बता रही है। वहीं, आरएसएस-भाजपा पर की विचारधारा को कायरता पर आधारित बताकर भी राहुल विपक्ष के निशाने पर हैं। इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में इसी पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ विनोद अग्निहोत्री, राकेश शुक्ल, पूर्णिमा त्रिपाठी, अवधेश कुमार और अनुराग वर्मा के साथ मौलाना अंसार रजा मौजूद रहे।
अवधेश कुमार: राहुल गांधी विदेश में जाकर इस तरह के बयान देकर यह कोशिश कर रहे हैं कि मौजूदा सरकार की विदेश में फासिस्ट की छवि बने। अगर ये सरकार फासिस्ट होती तो फिर कैसे वो इतनी यात्राएं कर रहे हैं। दूसरी तरफ संघ अपने शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन का संकल्प ले रहा है। इसे लेकर सम्मेलन कर रहा है। क्या उसे प्रमाण की जरूरत है कि वो देश में क्या करना चाहता है। आरएसएस से सीखने की जरूरत है। राहुल गांधी जो कुछ कर रहे हैं कि वो कांग्रेस के हित में नहीं है, देश के हित में नहीं है।
विनोद अग्निहोत्री: अब इंटरनेट का जमाना है। देश या विदेश में अलग-अलग तरीके से बोलना उस समय की बात थी जब स्थानीय बात स्थानीय रह जाती थी। आज राहुल गांधी दिल्ली में बोलें या न्यूयॉर्क में बोलें एक मिनट में सब तक पहुंच जाती थी। इसलिए मुझे लगता है कि वो जो यहां बोलते हैं वही विदेश में बोलते हैं। व्यक्ति अपनी राय जब देता तो वो देश के अंदर दे या बाहर दे वो तो वही रहेगी। ये जरूर है कि कांग्रेस की परंपरागत राजनीति से अलग राजनीति राहुल जरूर कर रहे हैं। इसलिए उनकी ही पार्टी के कई पुराने नेताओं को ये नहीं समझ आती है।
अनुराग वर्मा: प्रवाह में जो आता है राहुल गांधी वो बोलते हैं। मुझे नहीं लगता है कि वो बोलने से पहले बहुत ज्यादा सोचते हैं 2018 से वो इसी तरह बोलते रहे हैं। इस बार भी उन्होंने वही किया है। आरएसएस को इस बार भी उन्होंने वैसा ही कुछ किया है। आरएसएस का मुख्य काम जो है वो सेवा करना है। इस तरह का संगठन कांग्रेस के पास भी था जिसका नाम कांग्रेस सेवा दल था।
पूर्णिमा त्रिपाठी: राहुल गांधी ने जो कोलंबिया में कहा है उसमें कुछ भी नया नहीं है। न ही कुछ अलग है। उसमें देश विरोधी कुछ भी नहीं है। सरकार की आलोचना हर किसी का अधिकार है। सरकार की आलोचना करना कहीं से भी देश के खिलाफ नहीं है। सरकार से सवाल पूछना, उसे कठघरे में खड़ा करना देश विरोधी नहीं है। फायदे-नुकसान की राजनीति हमने राहुल गांधी को देखा भी नहीं है। मुझे नहीं लगता है कि वो देश विरोधी कोई बात कह रहे हैं ये मुझे नहीं लगता है। जहां तक संघ की बात है तो संघ के ऊपर उनके विचारों की वजह से उनके ऊपर केस भी चल रहा है।
राकेश शुक्ल: राहुल गांधी की विदेश यात्राओं का एक पैटर्न नजर आया है। या तो किसी राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाला होता या फिर किसी राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद जाते हैं। जम्मू कश्मीर चुनाव से पहले वो विदेश गए और इलहान उमर से मिले। महाराष्ट्र के चुनाव के बाद वो विदेश जाते हैं और वोट चोरी की बात करते हैं। अब बिहार चुनाव से पहले वो विदेश गए हैं। कांग्रेस के सामने परेशानी ये है कि राहुल गांधी जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं वो कहीं न कहीं गठबंधन के लिए खतरा उत्पन्न होता दिख रहा है।
मौलाना अंसार रजा: मुसलमानों का कोई नेता न तो कांग्रेस में है न ही भाजपा में है। राहुल गांधी की बहुत सी कमियां निकाली जा सकती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा नरेंद्र मोदी किसी से परेशान हैं तो राहुल गांधी से हैं। राहुल की जो यात्रा निकली है उसी की वजह से ही अखिलेश यादव को लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीत सके। राहुल गांधी की राजनीति और नरेंद्र मोदी की राजनीति में अंतर है। राहुल अगर अपने छिटके वोट अपने साथ लाना चाहते हैं तो इसमें गलत क्या है।