Kolkata: बंगाल में SIR के लिए AI एप पर उठे सवाल, TMC सांसद गोखले बोले- एप्लीकेशन से जुड़ी जानकारी क्यों छिपाई?
West Bengal SIR Row: टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया के लिए चुनाव आयोग द्वारा उपयोग किए जा रहे एक AI एप पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एप के डेवलपर, तकनीकी मानकों और पारदर्शिता की कमी पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि इस एप में एप डेवलपर के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।
विस्तार
पश्चिम बंगाल में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (एसआईआर) प्रक्रिया के बीच तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले ने चुनाव आयोग द्वारा उपयोग किए जा रहे एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एप पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गोखले ने कहा कि आयोग ने इस ऐप के डेवलपर ने अपनी कार्यप्रणाली और सुरक्षा से जुड़े किसी भी पहलू की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। जिससे इस पूरे सिस्टम पर संदेह बढ़ रहा है।
गोखले ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि चुनाव आयोग एआई-आधारित तकनीक का उपयोग करके मतदाता सूची में फर्जी या मृत लोगों के नाम हटाने की बात कर रहा है, लेकिन एप को किसने बनाया, इसे कैसे परखा गया और इसके अंदर संभावित पक्षपात को कैसे रोका जाएगा। इन सभी सवालों पर आयोग चुप है। उन्होंने कहा कि इतनी संवेदनशील प्रक्रिया के लिए उपयोग की जा रही तकनीक पर अस्पष्टता बेहद चिंताजनक है।
एआई सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, यह एआई सिस्टम मतदाता डेटाबेस में चेहरे की समानता का विश्लेषण कर डुप्लीकेट एंट्री की पहचान करेगा। लेकिन गोखले ने पूछा कि जब साधारण पीडीएफ सॉफ्टवेयर से भी डुप्लीकेट एंट्री खोजी जा सकती हैं, तब एआई की जरूरत क्यों पड़ी। उनके अनुसार, यह तकनीक जरूरत से ज्यादा जटिल दिखाई जाती है और इससे पारदर्शिता की बजाय शंका बढ़ती है।
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पिछले मामलों का हवाला देकर उठे सवाल
गोखले ने 2019 का अपना आरोप दोहराते हुए कहा कि उस समय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में भाजपा आईटी सेल से जुड़े एक एजेंसी को काम दिया था। इस बार भी उन्होंने आशंका जताई कि कहीं यह रहस्यमयी एप किसी राजनीतिक रूप से जुड़े डेवलपर द्वारा तो नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा एप की जानकारी छिपाने से यह संदेह और बढ़ जाता है।
ममता बनर्जी के पत्र का जिक्र
टीएमसी सांसद ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस पत्र का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने 1,000 डेटा एंट्री ऑपरेटर और 50 सॉफ्टवेयर डेवलपर को बाहर से नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि जब इतना बड़ा ऑपरेशन बाहर के लोगों के हवाले कर दिया गया है, तब चुनाव आयोग को और भी अधिक पारदर्शिता रखनी चाहिए, लेकिन उल्टा वह जानकारी छिपा रहा है।
एसआईआर प्रक्रिया पर पारदर्शिता का दबाव
गोखले ने आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया को तेज गति से पूरी करने की कोशिश की जा रही है, जबकि इससे जुड़ी कई जानकारियां सार्वजनिक नहीं की जा रहीं। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची जैसे संवेदनशील दस्तावेज़ों पर ‘रहस्यमयी तकनीक’ का इस्तेमाल बेहद संदिग्ध है और चुनाव आयोग को तुरंत साफ-साफ बताना चाहिए कि एप किसका है, कैसे काम करता है और उसके डेटा सुरक्षा मानक क्या हैं।
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