महाराष्ट्र स्थानीय चुनाव: महायुति में सीट शेयरिंग पर रार, दोस्ताना मुकाबले की तैयारी; BJP चिंता का कारण कैसे?
महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव से पहले भाजपा अपने सहयोगी के लिए चिंता का विषय कैसे बन गई? महायुति गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर विवाद बढ़ना और सीएम फडणवीस का दोस्ताना मुकाबले की बात कहना, आखिर किस और संकेत दे रहा है? अटकलों के बीच इस बात में कितनी सच्चाई है कि शिवसेना और राकांपा के नेता भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व को लेकर चिंतित हैं?

विस्तार
महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय चुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारी तेज कर दी है। ऐसे में महायुति गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर असमंजस बढ़ता जा रहा है। भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और अजीत पवार की एनसीपी के बीच तालमेल बनाने में चुनौतियां सामने आ रही हैं। भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व को लेकर सहयोगी दलों में चिंताएं हैं, जबकि दूसरी ओर इस बात की संभावना तेज है कि चुनावों को 'दोस्ताना मुकाबले' के नाम पर कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है।

कोकण क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 'दोस्ताना मुकाबले' की बात पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि गठबंधन बनाए रखने की कोशिश की जाएगी, लेकिन यदि सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बनी तो दोस्ताना मुकाबले से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे मुकाबलों में किसी भी सहयोगी पार्टी के उम्मीदवारों की आलोचना नहीं होनी चाहिए।
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निजी तौर पर चिंतित है शिवसेना-राकांपा नेता
हालांकि इन सबके बीच शिवसेना और राकांपा के नेता निजी तौर पर चिंतित हैं कि चुनाव के बाद भाजपा का दबदबा और बढ़ जाएगा क्योंकि भाजपा की मजबूत संगठनात्मक पकड़ उसे स्थानीय निकायों में अधिक नियंत्रण दिलाएगी। एक वरिष्ठ राकांपा नेता ने कहा कि भाजपा के पास पहले से ही विधानसभा में 132 विधायक हैं और यदि वह स्थानीय निकायों पर भी नियंत्रण कर लेती है तो विधान परिषद में उसका प्रभुत्व बढ़ जाएगा।उन्होंने यह भी बताया कि चुनावों के दौरान भाजपा अपने उम्मीदवारों को पूरा समर्थन देगी और पुलिस प्रशासन भी भाजपा की सुनवाई करेगा क्योंकि गृह विभाग मुख्यमंत्री फडणवीस के नियंत्रण में है।
शिंदे की शिवसेना की क्या है योजना?
शिवसेना के एक नेता ने भी माना कि चुनाव जीतने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी जाएगी, चाहे मुकाबला गठबंधन के ही किसी साथी पार्टी से क्यों न हो। शिवसेना के गुलाबराव पाटिल ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सार्वजनिक रूप से गठबंधन की बात करती है लेकिन निजी तौर पर अकेले चुनाव लड़ने की योजना बनाती है। उन्होंने भाजपा से सीट शेयरिंग में लचीलापन दिखाने की मांग की ताकि कार्यकर्ताओं का भविष्य सुरक्षित रहे।
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अब भाजपा नेताओं का मत भी समझिए
भाजपा के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि महायुति सभी चुनावों में एक साथ लड़ेगी, लेकिन जहां मजबूत उम्मीदवार हों वहां दोस्ताना मुकाबला हो सकता है। शिंदे-नेतृत्व वाली शिवसेना के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि कुछ लोग गठबंधन को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि महायुति एकजुट होकर चुनाव लड़े। दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो उनका मानना है कि आने वाले स्थानीय चुनाव और उसके बाद होने वाले विधान परिषद चुनाव महायुति की एकजुटता की परीक्षा होंगे और इन चुनावों के नतीजे महाराष्ट्र की सत्ता संरचना में बदलाव भी ला सकते हैं।