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20 लाख निदेशकों पर अयोग्यता की लटकी तलवार, पंजीकरण कराने को और मांगी मोहलत
पीयूष पांडेय, नई दिल्ली
Updated Fri, 21 Sep 2018 05:19 AM IST
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फाइल फोटो
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देशभर में 20 लाख से भी ज्यादा कंपनी निदेशकों पर अयोग्य करार दिए जाने और जुर्माने की तलवार लटक रही है। बड़ी तादाद के मद्देनजर कॉरपोरेट मंत्रालय पंजीकरण (केवाईसी) नहीं करा पाए निदेशकों को एक और मौका देने पर विचार कर रहा है। तमाम निदेशकों ने सरकार से इसके मद्देनजर गुहार लगाई है, जिसमें पंजीकरण नहीं करा पाने का कारण उन्होंने मंत्रालय की वेबसाइट नहीं चलना बताया है।
कॉरपोरेट मंत्रालय की वेबसाइट के जरिए 60 दिनों के भीतर 12 लाख निदेशकों ने अपना पंजीकरण पूरा किया। जबकि कुल 20 लाख से ज्यादा निदेशकों द्वारा अपना पंजीकरण कराना बाकी था। ऐसे में शेष निदेशकों पर अयोग्यता और जुर्माने की गाज गिर सकती है। मंत्रालय के मुताबिक कुल 60 दिन निदेशकों को पंजीकरण के लिए दिए गए थे, जिसकी अवधि 15 सितंबर को समाप्त हो गई है। मंत्रालय ने पंजीकरण कराने का निर्णय हरेक निदेशक की निगरानी के मद्देनजर लिया था।
वेबसाइट नहीं चलने को बताया कारण
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सचिव स्तर पर इस मामले में विचार किया जा रहा है कि बड़ी तादाद में निदेशक पंजीकरण नहीं करा पाए हैं। ऐसे में उन्हें कुछ दिनों की मोहलत प्रदान कर दी जाए। हालांकि इस पर अब तक निर्णय नहीं लिया जा सका है। सूत्रों के मुताबिक कई कंपनियों के निदेशकों ने सचिव को पत्र लिखकर सूचित किया है कि मंत्रालय की वेबसाइट नहीं चलने की वजह से वे पंजीकरण नहीं करा सके हैं। हालांकि मंत्रालय में एक पक्ष यह भी है कि अगर निदेशक पंजीकरण नहीं करा पाए तो जुर्माना भुगतें, क्योंकि वेबसाइट की क्षमता रोजाना एक लाख संचालन की है। याद रहे कि देश में 32 लाख सक्रिय निदेशक हैं, जिन्होंने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से पहचान नंबर (डिन) लिया है।
भरना पड़ सकता है जुर्माना
अगर मंत्रालय की ओर से 20 लाख से ज्यादा बचे निदेशकों को पंजीकरण का दोबारा मौका नहीं दिया जाता है तो उन्हें पांच हजार रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। इससे पहले मंत्रालय ने तीन लाख निदेशकों को अयोग्य करार दिया था। सूत्रों के मुताबिक निदेशकों ने मंत्रालय से यह भी कहा है कि उन्हें अयोग्य करार दिए जाने का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। कंपनी अधिनियम के अनुसार अयोग्य करार दिए जाने की सूरत में वह पांच साल तक सेवाएं नहीं दे सकेंगे। सरकार ने मुखौटा कंपनियों और उनके निदेशकों पर अंकुश लगाने के लिए दो लाख मुखौटा कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया था और तीन लाख निदेशकों को अयोग्य करार दिया था।
जून में आया था पंजीकरण आदेश
गौरतलब है कि 60 दिनों के पंजीकरण अभियान में मंत्रालय ने निदेशकों को वेबसाइट पर अपनी पूरी जानकारी (केवाईसी) डालने को कहा था। इसमें आधार और पासपोर्ट शामिल थे। जून मध्य में सरकार ने कंपनी निदेशकों को इस संबंध में निर्देश दिए थे। इसमें अयोग्य करार दिए जा चुके समेत सभी निदेशकों को डीआईआर-3 केवाईसी फॉर्म भरना था।
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वेबसाइट नहीं चलने को बताया कारण
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सचिव स्तर पर इस मामले में विचार किया जा रहा है कि बड़ी तादाद में निदेशक पंजीकरण नहीं करा पाए हैं। ऐसे में उन्हें कुछ दिनों की मोहलत प्रदान कर दी जाए। हालांकि इस पर अब तक निर्णय नहीं लिया जा सका है। सूत्रों के मुताबिक कई कंपनियों के निदेशकों ने सचिव को पत्र लिखकर सूचित किया है कि मंत्रालय की वेबसाइट नहीं चलने की वजह से वे पंजीकरण नहीं करा सके हैं। हालांकि मंत्रालय में एक पक्ष यह भी है कि अगर निदेशक पंजीकरण नहीं करा पाए तो जुर्माना भुगतें, क्योंकि वेबसाइट की क्षमता रोजाना एक लाख संचालन की है। याद रहे कि देश में 32 लाख सक्रिय निदेशक हैं, जिन्होंने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से पहचान नंबर (डिन) लिया है।
भरना पड़ सकता है जुर्माना
अगर मंत्रालय की ओर से 20 लाख से ज्यादा बचे निदेशकों को पंजीकरण का दोबारा मौका नहीं दिया जाता है तो उन्हें पांच हजार रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ेगा। इससे पहले मंत्रालय ने तीन लाख निदेशकों को अयोग्य करार दिया था। सूत्रों के मुताबिक निदेशकों ने मंत्रालय से यह भी कहा है कि उन्हें अयोग्य करार दिए जाने का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। कंपनी अधिनियम के अनुसार अयोग्य करार दिए जाने की सूरत में वह पांच साल तक सेवाएं नहीं दे सकेंगे। सरकार ने मुखौटा कंपनियों और उनके निदेशकों पर अंकुश लगाने के लिए दो लाख मुखौटा कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया था और तीन लाख निदेशकों को अयोग्य करार दिया था।
जून में आया था पंजीकरण आदेश
गौरतलब है कि 60 दिनों के पंजीकरण अभियान में मंत्रालय ने निदेशकों को वेबसाइट पर अपनी पूरी जानकारी (केवाईसी) डालने को कहा था। इसमें आधार और पासपोर्ट शामिल थे। जून मध्य में सरकार ने कंपनी निदेशकों को इस संबंध में निर्देश दिए थे। इसमें अयोग्य करार दिए जा चुके समेत सभी निदेशकों को डीआईआर-3 केवाईसी फॉर्म भरना था।