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BSP: क्या फिर मुसलमानों का भरोसा जीत पाएंगी मायावती, राहुल गांधी-अखिलेश को कितना नुकसान?

Amit Sharma Digital अमित शर्मा
Updated Thu, 30 Oct 2025 02:23 PM IST
सार

यूपी में मुसलमानों की आबादी 19.26 प्रतिशत है। पश्चिमी यूपी के कई जिलों में मुसलमानों की आबादी लगभग निर्णायक भूमिका में है। यहां दलितों की भी बड़ी भागीदारी है। इसी मुसलमान और दलित समीकरण के सहारे बसपा ने 2007 में अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का काम किया था। 

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अखिलेश यादव, मायावती, राहुल गांधी। - फोटो : ANI/PTI
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विस्तार
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मायावती एक बार फिर मुसलमानों का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही हैं। 29 अक्टूबर को पार्टी के लखनऊ कार्यालय पर दलित-मुस्लिम भाईचारा कमेटी की बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे मुसलमानों के बीच जाकर काम करें। वे उन्हें यह भरोसा दिलाने की कोशिश करें कि मुसलमानों का भविष्य बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल में ही सुरक्षित है। वे मुसलमानों को उन कार्यों की लिखित जानकारी दें जो मायावती ने मुसलमानों के लिए किए थे। लेकिन क्या मुसलमान एक बार फिर बसपा के साथ जाएगा? 2007 में दलित-ब्राह्मण और मुसलमान समीकरण के सहारे ही मायावती ने सफलता पाई थी। यदि मुसलमान मायावती के साथ गया तो इससे राहुल गांधी और अखिलेश यादव को कितना नुकसान होगा जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में मुसलमानों और दलितों के समर्थन के सहारे भाजपा को गहरी चोट पहुंचाई थी?
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दरअसल, बीते दिनों में मुस्लिमों के वोट बैंक बनने से जुड़ी कई तरह की बयानबाजी हुई है। जहां भाजपा ने सपा-कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाए हैं, वहीं यह दोनों पार्टियां भाजपा पर बिहार में मुसलमानों को टिकट न देने को लेकर निशाना साध रही हैं। ऐसे दौर में मायावती की मुसलमानों को अपने करीब लाने की कोशिश रंग दिखा सकती है। 
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यूपी में क्या है मुस्लिमों से जुड़े समीकरण
यूपी में मुसलमानों की आबादी 19.26 प्रतिशत है। पश्चिमी यूपी के कई जिलों में मुसलमानों की आबादी लगभग निर्णायक भूमिका में है। यहां दलितों की भी बड़ी भागीदारी है। इसी मुसलमान और दलित समीकरण के सहारे बसपा ने 2007 में अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का काम किया था। बिहार की तरह अब यूपी का मुसलमान भी अपने लिए राजनीति में बड़ी भूमिका पाना चाहता है। यदि बसपा मुसलमानों को ज्यादा प्रभावी भूमिका देती हुई दिखाई पड़ी तो इससे समीकरण बदल भी सकता है।

लखनऊ बैठक में मायावती ने मुसलमानों को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि उनके सत्ता में आते ही बुलडोजर कार्रवाई बंद होगी और सबके लिए सुरक्षा-न्याय उपलब्ध होगा। मायावती की यह अपील काम कर सकती है।

बिना बुलडोजर बहन जी ने चलाई थी सरकार- बसपा नेता 
बसपा के लखनऊ मंडल प्रभारी (मुस्लिम संयोजक) फैजान खान ने अमर उजाला से कहा कि यूपी के इतिहास में मायावती की सरकार बेमिसाल है। इस दौरान बिना किसी बुलडोजर कार्रवाई के उन्होंने समाज के हर वर्ग को सुरक्षा दी थी। अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हुई। हर समाज के लिए विकास के काम हुए और हर समाज को विकास करने का अवसर मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि आज बुलडोजर कार्रवाई के नाम पर सरकार अपनी असफलता छिपाने का काम कर रही है। 

फैजान खान ने कहा कि भाजपा हो या समाजवादी पार्टी, सत्ता में आने पर केवल सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करने का काम करती हैं जिससे उनकी प्रशासनिक असफलता छिपी रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने सत्ता में आने के बाद केवल अपने परिवार के लिए काम करने का काम किया, जबकि जहां भी मुसलमानों-दलितों पर अत्याचार हुए, वहां उन्होंने आवाज उठाने की बजाय चुप्पी साध ली। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के सत्ता के पांच साल और विपक्ष के रूप में पिछले सात-आठ साल के उनके कामों को देखते हुए अब कोई भी मुसलमान सपा के साथ नहीं जाएगा।

मुसलमानों पर अत्याचार के विरोध की सबसे मुखर आवाज बने राहुल और प्रियंका- कांग्रेस  
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह ने अमर उजाला से कहा कि कांग्रेस आज पूरे देश में उन गरीबों, दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों की सबसे बड़ी आवाज बन चुकी है जिनके ऊपर अत्याचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे सीएए-एनआरसी का मामला रहा हो या कोई अन्य बड़ा मुद्दा, उनके नेताओं प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने सड़क पर उतरकर इसका विरोध किया। 

विश्व विजय सिंह ने कहा कि बसपा या मायावती क्या काम करती हैं, यह उनका विषय है, लेकिन जहां तक दलितों और मुसलमानों की बात है, वे अब कांग्रेस को छोड़कर वापस नहीं जाने वाले क्योंकि इस समाज ने यह देख लिया है कि कांग्रेस ही उस विचारधारा का खुलकर विरोध करती है जिसके आधार पर उन्हें प्रताड़ित करने का काम किया जाता है।    

मुसलमान जानता है मायावती की चुप्पी का राज- समाजवादी पार्टी  
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मोहम्मद आजम खान ने अमर उजाला से कहा कि मुस्लिम समुदाय के मन में अब मायावती को लेकर कोई दुविधा नहीं है। उन्होंने कहा कि वे केवल वही काम करती हैं और केवल ऐसे ही बयान देती हैं जिससे भाजपा को लाभ पहुंचे। अपनी बैठक के माध्यम से उन्होंने केवल मुसलमानों को बरगलाने और भ्रमित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जब-जब मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई होती है, मायावती उस पर चुप्पी साधे रहती हैं। ऐसे में अब उन्हें मुसलमानों का वोट मांगने का कोई अधिकार नहीं है।  

'अब तरक्की की राजनीति चाहता है मुस्लिम समाज'
मोहम्मद आजम खान ने कहा कि आज का मुसलमान अपने समाज के लिए तरक्की की बात करना चाहता है। वह नए समाज को देखते हुए शिक्षा और रोजगार की बात कर रहा है। लेकिन दूसरे दलों के पास मुसलमानों के विकास का कोई खाका नहीं है, जबकि अखिलेश यादव ने अपनी सरकार के दौरान मुसलमानों को हर तरीके से मजबूत करने का काम किया था। उन्होंने कहा कि अब मुसलमानों के साथ-साथ दलित समुदाय भी किसी भ्रम में नहीं है और 2027 में सपा भाजपा को कड़ी टक्कर देगी।  
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