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MHA: नक्सली हिंसा पर लगाम; सुरक्षा-संबंधी व्यय योजना में अब सिर्फ 38 जिले, 11 जनपद वामपंथी उग्रवाद प्रभावित
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Sun, 02 Nov 2025 03:32 PM IST
सार
केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य तय किया है। ताजा समीक्षा से साफ है कि इस दिशा में लगातार प्रगति हो रही है। सुरक्षा बलों की सख्ती और विकास योजनाओं की पहुंच ने नक्सल इलाकों की तस्वीर बदलनी शुरू कर दी है।
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केंद्रीय गृह मंत्रालय
- फोटो : ANI
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विस्तार
केंद्र सरकार के ताजा समीक्षा के मुताबिक देश में नक्सल हिंसा से प्रभावित जिलों की संख्या लगातार घट रही है। अब सुरक्षा-संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के तहत आने वाले जिलों की संख्या 46 से घटकर 38 रह गई है। इनमें सिर्फ 11 जिले ही अब 'वामपंथी उग्रवाद' (एलडब्ल्यूई) यानी वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित माने गए हैं। यह समीक्षा गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 15 अक्तूबर को जारी की। ये समीक्षा 'राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना 2015' के तहत की गई, जिसमें केंद्र और राज्य मिलकर नक्सल समस्या से निपटते हैं।
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नक्सल हिंसा में लगातार गिरावट
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई और विकास कार्यों के असर से नक्सल हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है। यही वजह है कि सुरक्षा-संबंधी व्यय योजना के तहत जिलों की संख्या कम की गई है।
अब केवल तीन 'सबसे अधिक प्रभावित जिले
देश में अब सिर्फ तीन जिले 'सबसे अधिक प्रभावित' श्रेणी में बचे हैं। इसमें छत्तीसगढ़ के तीन जिले- बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा शामिल हैं। साल 2015 में जब यह श्रेणी बनाई गई थी, तब ऐसे 35 जिले थे। अब यह संख्या घटकर तीन पर आ गई है।
इन राज्यों के चार जिले 'चिंता वाले'
इन जिलों में नक्सल प्रभाव घट रहा है, लेकिन विकास और सुरक्षा सुदृढ़ीकरण की अभी भी जरूरत है। इसमें छत्तीसगढ़ का कांकेर, झारखंड का पश्चिम सिंहभूम, मध्य प्रदेश का बालाघाट और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली शामिल है।
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27 'विरासत और प्रमुख जिले'
ये जिले अब नक्सलवाद से लगभग मुक्त हैं, लेकिन सरकार इन इलाकों में फिर से नक्सल प्रभाव न बढ़े, इसके लिए समर्थन और क्षमता निर्माण जारी रखेगी। इस श्रेणी में ओडिशा के आठ जिले, छत्तीसगढ़ के छह जिले, बिहार के चार जिले, झारखंड के तीन जिले, तेलंगाना के दो और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल से एक-एक जिला शामिल है।
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आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई और विकास कार्यों के असर से नक्सल हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है। यही वजह है कि सुरक्षा-संबंधी व्यय योजना के तहत जिलों की संख्या कम की गई है।
अब केवल तीन 'सबसे अधिक प्रभावित जिले
देश में अब सिर्फ तीन जिले 'सबसे अधिक प्रभावित' श्रेणी में बचे हैं। इसमें छत्तीसगढ़ के तीन जिले- बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा शामिल हैं। साल 2015 में जब यह श्रेणी बनाई गई थी, तब ऐसे 35 जिले थे। अब यह संख्या घटकर तीन पर आ गई है।
इन राज्यों के चार जिले 'चिंता वाले'
इन जिलों में नक्सल प्रभाव घट रहा है, लेकिन विकास और सुरक्षा सुदृढ़ीकरण की अभी भी जरूरत है। इसमें छत्तीसगढ़ का कांकेर, झारखंड का पश्चिम सिंहभूम, मध्य प्रदेश का बालाघाट और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली शामिल है।
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27 'विरासत और प्रमुख जिले'
ये जिले अब नक्सलवाद से लगभग मुक्त हैं, लेकिन सरकार इन इलाकों में फिर से नक्सल प्रभाव न बढ़े, इसके लिए समर्थन और क्षमता निर्माण जारी रखेगी। इस श्रेणी में ओडिशा के आठ जिले, छत्तीसगढ़ के छह जिले, बिहार के चार जिले, झारखंड के तीन जिले, तेलंगाना के दो और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल से एक-एक जिला शामिल है।