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Lok Sabha: क्या इस बार लोकसभा में अध्यक्ष के साथ उपाध्यक्ष भी नजर आएंगे? एनडीए में सहमति के संकेत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: मिथिलेश नौटियाल Updated Thu, 27 Jun 2024 08:50 PM IST
सार

Lok Sabha: क्या इस बार लोकसभा में अध्यक्ष के साथ साथ उपाध्यक्ष भी नजर आएंगे? ऐसे संकेत मिल रहे हैं एनडीए ने विपक्षी गठबंधन की मांग से इनकार नहीं किया है।  

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NDA open to having Deputy Speaker in Lok Sabha: Sources
लोकसभा की कार्यवाही - फोटो : X / @sansad_tv
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क्या लोकसभा अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष की भी नियुक्ति हो सकती है? जल्द ही इस प्रश्न का उत्तर मिल सकता है। दरअसल, सूत्रों के हवाले से खबर है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) लोकसभा उपाध्यक्ष पर विचार करने के लिए तैयार है। 

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एनडीए ने विपक्षी गठबंधन की मांग से इनकार नहीं किया- सूत्र 
सूत्रों का कहना है कि एनडीए ने लोकसभा उपाध्यक्ष को लेकर विपक्षी गठबंधन की मांग से इनकार नहीं किया है। सत्तारूढ़ गठबंधन ने इस बात की आलोचना की है कि विपक्षी गठबंधन अपने उम्मीदवार को ही यह पद सौंपने पर जोर दे रहा है। एनडीए से जुड़े सूत्रों के अनुसार उपाध्यक्ष पद के लिए पहले से तय किए गए उम्मीदवार पर विचार नहीं किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि विपक्षी गठबंधन की मांग पर गौर किया जा सकता है और लोकसभा में उपाध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। लेकिन, यह भी बताया गया है कि जब उपाध्यक्ष का चुनाव होगा, इस दौरान विपक्ष द्वारा किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया जाएगा।   
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इससे पहले भी अलग अलग सरकारों ने विपक्ष को अपने उम्मीदवार को लोकसभा उपाध्यक्ष  बनाने की अनुमति दी है, हालांकि, भाजपा ने तर्क दिया है कि ऐसा हर बार नहीं हुआ है। बता दें कि इससे पहले विपक्ष ने कांग्रेस नेता के. सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन ध्वनिमत से एनडीए उम्मीदवार ओम बिरला का निर्वाचन किया गया था।

क्या हैं लोकसभा उपाध्यक्ष के चुनाव के नियम?
जिस तरह अध्यक्ष का चुनाव होता है, वही नियम उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए भी हैं। लोकसभा उपाध्यक्ष  का चुनाव सदन के सदस्य करते हैं। आमतौर पर लोकसभा और विधानसभा में नए सदन के पहले सत्र में अध्यक्ष को चुने जाने की प्रथा रही है। सांसदों की शपथ के बाद तीसरे दिन स्पीकर चुना जाता रहा है। वहीं दूसरे सत्र में उपाध्यक्ष का चुनाव होता है। एक बार चुने जाने के बाद, उपाध्यक्ष आमतौर पर सदन के भंग होने तक पद पर बने रहते हैं।




 

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