जेट एयरवेज का नया अध्याय शुरू, पायलटों की आपबीती, गोयल की भावनात्मक चिट्ठी
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वित्तीय संकट में फंसी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के चेयरमैन और संस्थापक नरेश गोयल ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी पत्नी अनीता गोयल ने भी कंपनी के बोर्ड निदेशक का पद छोड़ दिया है। साल 1993 में शुरू हुई जेट एयरवेज आज ऐसी स्थिति में आ गई है, जिससे माना जा रहा है कि इसका अब अंत हो सकता है।
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वित्तीय संकट में फंसी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के चेयरमैन और संस्थापक नरेश गोयल ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनकी पत्नी अनीता गोयल ने भी कंपनी के बोर्ड निदेशक का पद छोड़ दिया है। साल 1993 में शुरू हुई जेट एयरवेज आज ऐसी स्थिति में आ गई है, जिससे माना जा रहा है कि इसका अब अंत हो सकता है।
हालांकि बैंकों के समूह ने जेट एयरवेज के प्रबंधन में बदलाव कर उसे डेढ़ हजार करोड़ रुपये की तत्काल सहायता मुहैया कराई है। लेकिन संकट काफी गहरा है। कंपनी भारी कर्ज में फंसी हुई है।
हालात इतने खराब हैं कि बैंकों की मदद मिलने बाद भी कंपनी का फिर से खड़ा हो पाना बेहद मुश्किल है। जितने पैसे मदद के तौर पर बैंक देंगे उतने में कर्ज चुकाना तो दूर की बात, केवल पायलट और क्रू सदस्यों की सैलरी एवं जिन यात्रियों की टिकट कैंसल की गई है, उन्हें भुगतान ही किया जा सकेगा।
पायलटों की दिक्कत
जेट एयरवेज के पायलटों और इंजीनियरों को कई महीनों से सैलरी नहीं मिल रही है। जिसके चलते इन्होंने काम बंद करने को कहा है। किसी भी व्यक्ति को एक कमर्शियल पैयलट के तौर पर तैयार होने में काफी पैसा खर्च होता है।
फ्लाइट उड़ाने के लिए लाइसेंस मिलना और फिर किसी एयरलाइन में नौकरी को स्थायी करने के लिए बॉन्ड साइन करना बेहद खर्चीली प्रक्रिया है। ऐसे में एक पायलट के ऊपर 1.5 करोड़ रुपये का भार आ जाता है। ताकि वह जेट एयरवेज जैसी एयरलाइन में विमान उड़ा सके।
युवा पालयट की सैलरी प्रति माह एक लाख के करीब होती है, जबकि फर्स्ट अफसरों की तीन से चार लाख। वहीं कमांडर की सैलरी छह लाख के करीब होती है, जो कि उनके अनुभव पर निर्भर करता है। लेकिन जेट एयरवेज के हजारों पायलटों, वरिष्ठ टेक्नीशियन और मैनेजरों को बीते के साल दिसंबर माह से सैलरी नहीं मिल रही है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जेट के साथ बीते 10 साल से काम करने वाले एक पायलट का कहना है कि उन्हें अपने दोस्तों और वरिष्ठ सहकर्मियों से पैसे लेने पड़ रहे हैं। अब वह दूसरी नौकरी की तलाश में हैं।
जेट के पायलट अब स्पाइसजेट और इंडिगो जैसी एयरलान में नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं। इन निराश पायलटों को ये एयरलाइन अपने यहां काम देने को भी तैयार हैं। लेकिन इनमें से अधिकतर पायलटों को घरेलू उड़ानों के लिए रखा जा रहा है। लेकिन जो पायलट लंबी उड़ानें और अंतरराष्ट्रीय रूटों पर विमान उड़ाते हैं, उन्हें नौकरी ढूंढने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
जेट एयरवेज के पायलटों की यूनियन नेशनल एविएटर्स गिल्ड (एनएजी) का कहना है कि विदेशी कंपनियों में भी अगर इन पायलटों को काम करने का मौका मिल रहा है तो वो भी लोअर पोजीशन से शुरू करना पड़ेगा। विदेशी एयरलाइन में अवसर सीमित हैं। सैलरी ना मिलने के चलते इन पायलटों ने एक अप्रैल से विमान उड़ाने के लिए मना कर दिया है। संघ के एक अन्य सदस्य का कहना है कि ऐसा बीते साल अगस्त से होता आ रहा है। हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं?
19 मार्च को इस ट्रेड यूनियन के 1100 सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। उन्होंने खत में प्रधानमंत्री से कहा है कि हस्तक्षेप करें और प्रबंधन से कहें कि पायलटों का बकाया दें। इस खत में इन सदस्यों ने कहा है, "अनिश्चितता और वित्तीय कठिनाइयों से अत्यधिक तनाव हो रहा है।"
जेट के पायलटों की आर्थित स्थिति ठीक नहीं है। किसी पर होम लोन का भार है तो किसी पर बच्चों की पढ़ाई और घर के खर्च का। इन्हीं परेशानियों के कारण इन पायलटों ने प्लान बी अपनाया। 100 से भी अधिक पायलटों ने बैठक में ये फैसला लिया कि अगर कंपनी 31 मार्च तक किसी बचाव योजना के साथ नहीं आती तो एक अप्रैल से पायलट विमान उड़ाना बंद कर देंगे।
एक अन्य पायलट का कहना है, "बीते साल 11 दिसंबर को हमें हमारी सैलरी का एक हिस्सा मिला। जो मासिक भुगतान का 12.5 फीसदी था। हमें कहा गया कि सैलरी दो हिस्सों में मिलेगी। हर महीने की 11 और 26 तारीख को। हमें क्या मिला, दिसंबर में 12.5 फीसदी और जनवरी एवं फरवरी में कुछ नहीं। तो अब लंबित राशि 287.5 फीसदी हो गई है।" मार्च 16 के बाद से एयरलाइन प्रबंधन पायलटों के संपर्क में भी नहीं है। एयरलाइन में करीब 27 हजार लोग काम करते हैं।
बैंको ने की मदद की पेशकश
सोमवार को बोर्ड बैठक के दौरान इस पर फैसला हुआ और नरेश गोयल, अनीता गोयल व एतिहाद एयरवेज की नामित निदेशक केविन नाइट को इस्तीफा देना पड़ा।
बैंक अब जेट एयरवेज के निदेशक मंडल में अपने दो सदस्य शामिल करेंगे और एयरलाइन के दैनिक परिचालन और नकदी प्रवाह बनाए रखने के लिए अंतरिम प्रबंधन समिति बनाई जाएगी। पिछले दिनों कंपनी के 80 से ज्यादा विमान जमीन पर आने से उसकी हालत बहुत खस्ता हो गई थी और पायलटों ने वेतन न मिलने पर अप्रैल से उड़ानें रोकने की चेतावनी दी थी।
आधी हो गई गोयल की हिस्सेदारी
इस्तीफा देने के बाद
कब क्या हुआ?
सितंबर, 2018: असंतोष को कम करने के लिए कंपनी ने 84 फीसदी कर्मचारियों को वेतन दिया।
अक्तूबर, 2018: जेट को खरीदने को लेकर टाटा समूह और डेल्टा लाइन से बातचीत विफल हो गई।
नवंबर, 2018: तीसरी तिमाही में कंपनी को काफी नुकसान हुआ।
दिसंबर, 2018: कंपनी ने 19 अप्रैल, 2019 तक कर्मचारियों का बकाया देने की बात कही। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने जेट एयरवेज की रेटिंग बी से घटाकर सी कर दी।
जनवरी, 2019: जेट ने बैंकों के भुगतान में देरी की।
फरवरी, 2019: जेट बोर्ड ने ऋणदाताओं को सबसे बड़ा शेयरधारक बनाकर बचाव के लिए सौदा किया।
मार्च, 2019: जेट पायलटों ने एयरलाइन को छोड़ अन्य एयरलाइन कंपनियों से जुड़ना शुरू किया। पायलट संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मदद मांगी।