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Maharashtra: 'विधानसभा को विश्वास में लिए बिना नई शराब की दुकान के लिए नहीं मिलेगा लाइसेंस', अजित पवार का एलान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पुणे। Published by: निर्मल कांत Updated Sun, 13 Jul 2025 09:24 PM IST
सार

Maharashtra: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि अब शराब की दुकानों के नए लाइसेंस विधानसभा को विश्वास में लिए बिना जारी नहीं किए जाएंगे। इससे पहले राकांपा (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सरकार पर 328 शराब दुकानों के लाइसेंस देकर राज्य को शराब की लत में धकेलने का आरोप लगाया था। आव्हाड ने यह भी कहा कि यह नीति संतों की भूमि महाराष्ट्र को शराब के नशे की लत में डुबो रही है। 

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No liquor shop licences will be given without taking legislature into confidence: Ajit Pawar
अजित पवार - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार ने यह नियम बना दिया है कि अब विधानसभा को विश्वास में लिए बिना शराब की दुकान के लिए नया लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा। इससे पहले दोपहर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली महायुति सरकार 'आर्थिक संकट' से उबरने के लिए 328 शराब की दुकानों को नए लाइसेंस देने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा था कि इससे संतों की भूमि महाराष्ट्र शराब की लत में डूब जाएगा।
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पुणे में पत्रकारों से बातचीत में अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में शराब की दुकानों को लेकर नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है। उन्होंने कहा, हमने एक नियम बनाया है कि अगर राज्य में शराब की दुकान के लिए लाइसेंस देना है, तो उसे विधानसभा को विश्वास में लिए बिना नहीं दिया जाएगा। पवार ने कहा कि बाकी राज्यों में शराब की दुकानों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन महाराष्ट्र में इस पर पूरी प्रक्रिया के तहत और नियमों का पालन करते हुए फैसला लिया जाता है।
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उन्होंने कहा, हमारी कार्यप्रणाली अलग है। अगर कोई दुकान स्थानांतरित करनी हो, तो केवल नियमों के अनुसार ही अनुमति दी जाती है। इसके लिए एक समिति होती है जो फैसला करती है। अगर किसी क्षेत्र की महिलाएं आपत्ति जताती हैं, तो हम वहां की शराब की दुकानें बंद कर देते हैं। अजित पवार ने आश्वासन दिया कि अगर शराब की दुकानों को लेकर कोई आरोप सही पाए जाते हैं, तो सरकार उस पर कार्रवाई करेगी।

इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जितेंद्र आव्हाड ने कहा था कि महाराष्ट्र की शराब नीति राज्य को शराब की लत में धकेल देगी और लाखों परिवारों को परेशान करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लड़की बहिन योजना जैसी योजनाओं के लिए पैसे जुटाने के लिए 328 नई शराब की दुकानों के लाइसेंस देने की योजना बना रही है। लड़की बहिन योजना के तहत पात्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की मदद दी जाती है।

आव्हाड ने कहा, खाली खजाना भरने के लिए शराब पर आधारित नीति अपनाना परिवारों के साथ धोखा है। लड़की, बहन को पैसा देने के लिए यह सरकार भाइयों, पतियों और पिताओं से धोखा कर रही है। यह सरकार इतिहास में शराब बेचने के लिए जानी जाएगी, न कि जनस्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र संत ज्ञानेश्वर, तुकाराम, तुकडोजी महाराज और गाडगे बाबा जैसे संतों की भूमि है, इसे अब शराब की दुकानों और बार में बदलता जा रहा है।

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आव्हाड ने आरोप लगाया कि 50 साल पहले रद्द हुए लाइसेंस अब एक करोड़ रुपये में बेचे जा रहे हैं, जबकि उनकी बाजार कीमत 15 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि उनके पास 47 कंपनियों के निदेशकों की सूची है जो मंत्रालय के चक्कर काट रहे हैं ताकि ये लाइसेंस मिल जाएं। उन्होंने कहा, इस सरकार को इस बात की परवाह नहीं है कि हर घर में पानी मिले या नहीं, लेकिन शराब की आपूर्ति पूरी होनी चाहिए।  

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, अगर यही सरकार की सोच और शासन मॉडल है, तो पैसों के लिए गेटवे ऑफ इंडिया को भी बेच दीजिए। जब 1974 में राज्य सरकार ने ऐसा ही कुछ करने की कोशिश की थी, तो मृणालताई गोरे, अहिल्याबाई रंगनेकर और मधु दंडवते जैसे नेताओं ने आंदोलन चलाया था, जिससे सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा था। अब 50 साल बाद यह सरकार फिर से उसी आग से खेल रही है। उन्होंने राज्य की जनता, खासकर महिलाओं से अपील की कि वे इस शराब नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरें।

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