नापाक पड़ोसी: इस्लामी देशों को जोड़ने के लिए गिड़गिड़ा रहा पाकिस्तान, भारत पर सामरिक दबाव बनाने में जुटा
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान इस्लामी देशों में सामरिक गठजोड़ बनाने की योजना में लगा है। कतर सम्मेलन में पाक और मिस्र ने इस्लामी नाटो बनाने का प्रस्ताव रखा। शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर की सऊदी यात्रा में समझौते किए गए, जो आपसी सुरक्षा और सामूहिक रक्षा सुनिश्चित करेंगे।
विस्तार
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान इस्लामी देशों के बीच एक सामरिक गठजोड़ बनाने की साजिश में जुटा है। उसकी कोशिश है कि भारत के खिलाफ जारी असिमित युद्ध में इस इस्लामी गठजोड़ का इस्तेमाल किया जाए। साथ ही भारत की सैन्य कार्रवाई की सूरत में यह गठजोड़ उसकी सुरक्षा गारंटी या सामूहिक रक्षा ढाल के तौर पर काम करे। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के सैन्य, राजनीतिक और खुफिया नेतृत्व ने कई इस्लामी देशों की यात्राएं की हैं।
9 सितंबर को करीब 60 मुस्लिम देश कतर में इजराइल के खिलाफ एक आपात शिखर सम्मेलन में एकजुट हुए। इसमें पाकिस्तान और मिस्र ने इस्लामी नाटो या संयुक्त इस्लामी सैन्य बल बनाने का प्रस्ताव रखा। पाक पीएम शाहबाज शरीफ ने इसके गठन की जोरदार वकालत की। यह सम्मेलन भले इस्राइल के मसले पर था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में पिटने के बाद पाकिस्तान की निगाह इस्लामी नाटो के बहाने भारत की कार्रवाई से बचने पर लगी थीं।
शहबीज शरीफ और मुनीर की सऊदी यात्रा का कनेक्शन?
कतर के सम्मेलन के चंद दिन बाद ही शहबाज शरीफ और पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने सऊदी अरब की यात्रा की। इस दौरान हुए सामरिक समझौते में कहा गया है कि दोनों में से किसी भी देश के विरुद्ध हमला दोनों देशों के विरुद्ध माना जाएगा। इससे ठीक पहले पाक के विदेश मंत्री इशाक डार ने अपनी ढाका यात्रा के दौरान बांग्लादेश से 6 समझौते किए। अक्तूबर में आसिम मुनीर ने मिस्र, जॉर्डन और सऊदी अरब की यात्रा की।
इन यात्राओं में इन देशों के सैन्य प्रमुखों से मुलाकात के दौरान रक्षा सहयोग बढ़ाने और खुफिया जानकारी साझा करने वाले समझौते हुए। इधर तुर्किये के रक्षा मंत्री यासर गुलेर ने जुलाई में क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा के लिए पाकिस्तान का दौरा किया था। जबकि अगस्त में शहबाज शरीफ ने तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन से मुलाकात की। इन सभी यात्राओं का उद्देश्य सैन्य कूटनीति मजबूत करना था।
पाक-तुर्किये-अजरबैजान त्रिकोण
मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान का पुरजोर साथ दिया। जुलाई में दोनों देशों ने लगभग 900 मिलियन डॉलर के रक्षा सौदे किए। तुर्किये पाक को अपने उन्नत बायराक्तार टीबी2 और अकिनसी ड्रोन देगा। इधर पाकिस्तान के अजरबैजान से भी रक्षा संबंध तेजी से प्रगाढ़ हुए हैं। हाल ही में हुए एक रक्षा सौदे के तहत अजरबैजान पाकिस्तान से जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमान खरीदेगा। कुल 4.6 बिलियन डॉलर का यह सौदा पाकिस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात सौदा है।
पाकिस्तान अकेला नहीं यह दिखाने की कोशिश
विदेश मामलों के जाने माने विशेषज्ञ कमर आगा ने कहा कि भारत के लिए बड़ी चिंता की बात है। तुर्किये, अजरबैजान और जॉर्डन पाकिस्तान के विश्वस्त साझेदार हैं, इसलिए भारत विरोधी बन सकते हैं। यह गठजोड़ ये दिखाने की कोशिश है कि पाकिस्तान अकेला नहीं है, लिहाजा भारत को उस पर हमले के बारे में नहीं सोचना चाहिए। हालांकि यह अमेरिका की शह पर ही हो रहा है। तुर्किये नाटो का भाग है, जबकि जॉर्डन भी हर तरह से अमेरिका पर निर्भर है।
अजरबैजान तुर्किये पर निर्भर है। यदि भारत कोई बड़ा हमला करे तो यह सारे देश पाकिस्तान को हथियार सौंप सकते हैं। वहीं रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा कि पाकिस्तान हमें तंग करने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें यह इंतजार नहीं करना चाहिए कि यह सफल हो जाएं। भारत का रक्षात्मक रुख रखना ठीक नहीं, भारत को आक्रामक रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के चार टुकड़े कर देने चाहिए।