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Land Acquisition Law: संसदीय समिति ने भू-अधिग्रहण कानून प्रावधानों के उल्लंघन पर जताई चिंता, सख्त अमल का सुझाव

एजेंसी, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Sun, 21 Dec 2025 05:34 AM IST
सार

Land Acquisition Law: संसद की स्थायी समिति ने 2013 के भू-अधिग्रहण कानून का कड़ाई से पालन करने की सिफारिश की, खासकर अनुसूचित क्षेत्रों में। समिति ने कानून के उल्लंघन, कम मुआवजा और ग्राम सभाओं की औपचारिक भूमिका पर चिंता जताई। समिति की रिपोर्ट में वन अधिकार कानून और पर्यावरण आकलन में सुधार की जरूरत और प्रभावित समुदायों की सुरक्षा पर जोर दिया गया।

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parliamentary committee calls for strict implementation of land acquisition law-raises concern over violations
संसद की फाइल तस्वीर - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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संसद की एक स्थायी समिति ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम (2013) के कड़ाई से अमल का सुझाव दिया है, खासकर अनुसूचित क्षेत्रों में। समिति ने कहा कि कानून में स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद जमीनी स्तर पर उल्लंघन जारी हैं।
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इस सप्ताह संसद में पेश रिपोर्ट में संसदीय स्थायी समिति (ग्रामीण विकास और पंचायती राज) ने बताया कि अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि का मूल्यांकन अक्सर कम किया जाता है। इन क्षेत्रों में बाजार लेन-देन सीमित होने के कारण वास्तविक कीमत सामने नहीं आ पाती।
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कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उलाका की अध्यक्षता वाली समिति ने ग्राम सभाओं की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि कई मामलों में परामर्श केवल औपचारिकता बनकर रह गया है।

स्थानीय भाषा में सामग्री उपलब्ध न होना, महिलाओं और कमजोर वर्गों को बाहर रखना और बिना वास्तविक संवाद के अनुपालन प्रमाणपत्र जारी करना गंभीर चिंता का विषय है। रिपोर्ट में वन अधिकार अधिनियम, 2006 के उल्लंघन की ओर भी ध्यान दिलाया गया और कहा गया कि वन समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए भूमि अधिग्रहण कानून और वन अधिकार कानून के बीच मजबूत तालमेल जरूरी है।

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समिति ने सामाजिक प्रभाव आकलन (एसआईए) व पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) को कई जगह औपचारिक करार देते हुए कहा कि रिपोर्टें अक्सर अधिग्रहण के पक्ष में झुकी होती हैं। समिति ने राष्ट्रीय निगरानी समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और कहा कि केन-बेतवा लिंक और पोलावरम जैसी परियोजनाओं में शिकायतें कम नहीं हुई हैं। रिपोर्ट में लक्षद्वीप और ग्रेट निकोबार में आजीविका पर निर्भर लोगों को प्रभावित परिवार मानने की सिफारिश की गई। 

ओडिशा के रायगड़ा और कालाहांडी जिलों में सिजिमाली बॉक्साइट खदानों के लिए कथित मनमानी प्रक्रियाओं और ‘फर्जी’ ग्राम सभाओं का भी जिक्र किया गया।



 
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