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Supreme Court: एंजेल चकमा की मौत का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, नस्लीय भेदभाव और हिंसा के खिलाफ दायर की गई PIL

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: राहुल कुमार Updated Tue, 30 Dec 2025 03:34 PM IST
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सार

देहरादून में त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की नस्लीय हमले में मौत के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस संबंध में दायर पीआईएल में नस्लीय भेदभाव और हिंसा को रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है। याचिका में विशेष कानून बनाने की भी अपील की गई है।
 

PIL in Supreme Court seeking action against racial violence targeting northeastern citizens Anjel Chakma
एंजेल चकमा - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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देहरादून में त्रिपुरा के 24 साल एक छात्र एंजेल चकमा की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक पीआईएल दायर की गई है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों और दूसरे सीमावर्ती इलाकों के नागरिकों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव और हिंसा को रोकने की मांग की गई है। इसके साथ ही याचिका में लगातार हो रही संवैधानिक नाकामी को दूर करने के लिए न्यायिक दखल की भी अपील की गई है। बता दें कि एंजेल चकमा की 27 दिसंबर को देहरादून के सेलाकुई इलाके में नस्लीय हमले में लगी गंभीर चोटों के कारण मौत हो गई थी। 

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देहरादून की घटना क्या है?
याचिका के अनुसार, त्रिपुरा के उनाकोटी जिले के मछमारा निवासी 24 वर्षीय एंजेल चकमा 27 दिसंबर को देहरादून के सेलाकुई इलाके में हुए एक नस्लीय हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वह एमबीए की पढ़ाई के लिए देहरादून आए थे और घटना के वक्त अपने छोटे भाई माइकल के साथ थे।
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परिवार की मांग और पीड़ा
एंजेल चकमा के परिवार ने सभी आरोपियों के लिए फांसी या कम से कम आजीवन कारावास की मांग की है। परिवार का कहना है कि यह हमला अचानक नहीं था, बल्कि नस्लीय नफरत से प्रेरित था। घटना के दौरान दोनों भाइयों पर हमला किया गया और एंजेल के गले और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आईं।

याचिका में क्या मांग की गई
दिल्ली के वकील अनूप प्रकाश अवस्थी द्वारा दायर पीआईएल में केंद्र सरकार के साथ-साथ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के उल्लंघन का हवाला देते हुए नस्लीय हिंसा को रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाने की मांग की गई है। इसमें ‘रेशियल स्लर’ को अलग श्रेणी का घृणा अपराध मानने और उसके लिए सजा तय करने की भी अपील की गई है।

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संस्थागत व्यवस्था की मांग
पीआईएल में केंद्र और राज्यों से नस्लीय अपराधों के लिए एक स्थायी नोडल एजेंसी या आयोग बनाने की मांग की गई है। साथ ही हर जिले और महानगर में विशेष पुलिस इकाई गठित करने का सुझाव दिया गया है, ताकि ऐसे मामलों की तुरंत शिकायत दर्ज हो और कार्रवाई हो सके।

पुराने मामलों का भी जिक्र
याचिका में कहा गया है कि एंजेल चकमा की हत्या कोई अकेली घटना नहीं है। इसमें 2014 में नीदो तानियाम की मौत और महानगरों में पूर्वोत्तर के छात्रों व कामगारों पर हुए हमलों का भी उल्लेख किया गया है। याचिका के मुताबिक, नस्लीय मंशा को जांच के शुरुआती चरण में दर्ज न करने से ऐसे अपराध सामान्य मामलों में बदल जाते हैं और दोषियों को सख्त सजा नहीं मिल पाती।


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