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Kerala: सोशल मीडिया पोस्ट में सीएम विजयन पर बम से हमले की धमकी दी, खुद को नन कहने वाली महिला पर केस दर्ज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Thu, 27 Nov 2025 03:20 PM IST
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पिनरई विजयन
- फोटो : ANI
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केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन पर सोशल मीडिया के जरिए बम से हमले की धमकी देने के आरोप में एक स्वयंभू नन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने गुरुवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि टीना जोस नामक महिला के खिलाफ फेसबुक पर एक अन्य यूजर के पोस्ट पर कमेंट किया गया था। इसमें उन्होंने लिखा था- मुख्यमंत्री पर बम हमला करने की कथित अपील करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि नई दिल्ली स्थित एक वकील की शिकायत पर बुधवार को तिरुवनंतपुरम सिटी साइबर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। स्वयंभू नन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 192 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसावा) और 351(2) (आपराधिक डराना-धमकाना) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस फेसबुक पोस्ट का स्रोत भी ढूंढने की कोशिश कर रही है और जल्द ही जोस से पूछताछ की बात कही गई है।
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अधिकारियों ने बताया कि नई दिल्ली स्थित एक वकील की शिकायत पर बुधवार को तिरुवनंतपुरम सिटी साइबर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। स्वयंभू नन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 192 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसावा) और 351(2) (आपराधिक डराना-धमकाना) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस फेसबुक पोस्ट का स्रोत भी ढूंढने की कोशिश कर रही है और जल्द ही जोस से पूछताछ की बात कही गई है।
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बताया गया है कि यह घटना पिछले हफ्ते तब सामने आई जब सेल्टन एल डीसूजा नाम के व्यक्ति ने स्थानीय निकाय चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री विजयन की भागीदारी से जुड़ी एक पोस्ट साझा किया। इसी पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए जोस ने कथित रूप से मुख्यमंत्री पर बम हमले की बात कही थी। उन्होंने कमेंट में लिखा था- “जो दुनिया पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जैसे अच्छे इंसान की हत्या कर सकती है, वह यह भी कर सकती है।”
बाद में जिस धार्मिक संगठन से वह पहले जुड़ी थीं, उसने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया कि उसकी सदस्यता उन्हें 2009 में ही रद्द कर दी गई थी और उन्हें धार्मिक वस्त्र धारण करने से भी रोका गया था। संगठन ने कहा कि उनके कार्य पूरी तरह उनका व्यक्तिगत निर्णय और जिम्मेदारी हैं।
बाद में जिस धार्मिक संगठन से वह पहले जुड़ी थीं, उसने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया कि उसकी सदस्यता उन्हें 2009 में ही रद्द कर दी गई थी और उन्हें धार्मिक वस्त्र धारण करने से भी रोका गया था। संगठन ने कहा कि उनके कार्य पूरी तरह उनका व्यक्तिगत निर्णय और जिम्मेदारी हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक, कोच्चि की निवासी जोस ने विधि की पढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत के लिए नामांकन तभी प्राप्त किया जब उन्होंने केरल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन नियमों को चुनौती दी जो किसी धार्मिक जीवन से जुड़े व्यक्ति को कानून के पेशे से रोकते थे।