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Politics: मदनी के बयान पर सियासी टकराव, भाजपा ने बताया भ्रामक, कांग्रेस बोली- सरकार आरोपियों पर करें कार्रवाई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: शिवम गर्ग
Updated Sun, 23 Nov 2025 11:52 PM IST
सार
मदनी के बयान के बाद यह बहस एक बार फिर तेज हो गई है कि क्या भारतीय मुसलमानों को समान अवसर मिल रहे हैं या नहीं। फडणवीस और भाजपा नेताओं का दावा है कि संविधान में हर नागरिक के लिए बराबर हक हैं।
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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कांग्रेस नेता राशिद अल्वी
- फोटो : ANI
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विस्तार
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के बयान को सख्ती से खारिज करते हुए कहा कि भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान व्यक्तित्व रहे हैं, जिन्हें मुस्लिम समुदाय का असली आइकॉन माना जाना चाहिए। फडणवीस ने कहा भारत ने अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रपति देखे हैं, जो मुस्लिम समुदाय के लिए सच्चे प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने हमेशा सिर ऊंचा रखकर देश की सेवा की। उन्हें ही आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
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इससे पहले भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी मदनी के बयान पर नाराजगी जताई और इसे गैर-जिम्मेदाराना बताया। उन्होंने कहा कि जमीयत का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान रहा है, इसलिए इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं थी।
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हुसैन ने कहा भारत में एक मुस्लिम राष्ट्रपति बन सकता है, हॉकी टीम का कप्तान बन सकता है, यहां तक कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी बन सकता है। संविधान हर नागरिक को बराबर अवसर देता है।
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क्या बोले थे मौलाना अरशद मदनी?
शनिवार को मदनी ने दावा किया कि भारत में मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव बढ़ा है। उन्होंने आजम खान की गिरफ्तारी और अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई जैसे मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां कोई मुस्लिम वाइस चांसलर नहीं बन सकता और अगर बनेगा तो जेल भेज दिया जाएगा।
उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन में मुस्लिम नेताओं के मेयर बनने का उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया मुसलमानों को बेबस और खत्म हुआ समुदाय मानने लगी है, जिसे वह सही नहीं मानते।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी सरकार पर निशाना साधा
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि आतंक फैलाने वालों या कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इसके नाम पर किसी पूरी यूनिवर्सिटी को बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने मुंबई के भाजपा नेता द्वारा पहले दिए गए बयान हम किसी खान को मेयर नहीं बनने देंगे का भी जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि आखिर फैसला जनता करेगी या पार्टी? अल्वी ने कहा कि मदनी की बात कुछ हद तक सही है, लेकिन समाधान संवाद और न्यायपूर्ण कार्रवाई से ही मिल सकता है।
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भेदभाव या अवसरों की समानता?
मदनी के बयान के बाद यह बहस एक बार फिर तेज हो गई है कि क्या भारतीय मुसलमानों को समान अवसर मिल रहे हैं या नहीं। फडणवीस और भाजपा नेताओं का दावा है कि संविधान में हर नागरिक के लिए बराबर हक हैं। वहीं मदनी और विपक्षी नेता मानते हैं कि कई फैसलों में पूर्वाग्रह झलकता है। भारत में मुस्लिम प्रतिनिधित्व, भेदभाव के आरोप और समान अधिकारों पर यह राजनीतिक और सामाजिक बहस फिलहाल तेजी से जारी है।