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Report: लॉकडाउन और टीकाकरण से बची 54 लाख लोगों की जान, 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज ने अर्थव्यवस्था को उबारा

एजेंसी, नई दिल्ली। Published by: देव कश्यप Updated Sat, 25 Feb 2023 04:36 AM IST
सार

रिपोर्ट को केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को सार्वजनिक किया। रिपोर्ट में दावा किया कि कोविड के शुरुआती दौर में लॉकडाउन के जरिये करीब 20 लाख लोगों की जान बचाई गई। वहीं, टीकाकरण की वजह से करीब 34 लाख लोगों की जान बची।

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Report: Lockdown and vaccination saved lives of 54 lakh people
कोरोना टीकाकरण (सांकेतिक तस्वीर)। - फोटो : ANI (फाइल फोटो)
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विस्तार
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भारत ने लॉकडाउन और टीकाकरण की मदद से करीब 54 लाख लोगों को कोविडकाल में मौत के मुंह में जाने से रोका। वहीं, 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज ने लॉकडाउन के असर से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद की। इन तीनों उपायों से लोगों का जीवन बचा और आजीविका भी ज्यादा प्रभावित नहीं हुई।

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स्टैनफोर्ड विवि के यूएस-एशिया टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट सेंटर और इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पेटीटिवनेस के शोधकर्ता अमित कपूर व रिचर्ड डैशर ने हीलिंग द इकोनॉमी : एस्टिमेटिंग द इकोनॉमिक इम्पैक्ट ऑन इंडियाज वैक्सिनेशन एंड रिलेटेड इश्यूज नाम से रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। 
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रिपोर्ट को केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को सार्वजनिक किया। रिपोर्ट में दावा किया कि कोविड के शुरुआती दौर में लॉकडाउन के जरिये करीब 20 लाख लोगों की जान बचाई गई। वहीं, टीकाकरण की वजह से करीब 34 लाख लोगों की जान बची। अगर समय रहते लॉकडाउन नहीं लगाया जाता तो 11 अप्रैल, 2020 तक भारत में कोविड से मरने वालों की संख्या करीब दो लाख होती, लेकिन यह आंकड़ा 7,500 पर सिमट गया। भारत ने टीकाकरण से 18.3 अरब डॉलर के नुकसान को रोककर सकारात्मक आर्थिक प्रभाव पैदा कर अर्थव्यवस्था को 15.42 अरब डॉलर का लाभ भी पहुंचाया है। 

भारत में देर से आई महामारी
लॉकडाउन की वजह से भारत में कोविड का पीक दुनियाभर के तमाम देशों की तुलना में काफी देर से आया। रूस, कनाडा, फ्रांस, इटली, जर्मनी, ब्रिटेन व अमेरिका जैसे देशों में जहां कोविड के पहले 100 मामले आने के बाद महज 50 दिनों में महामारी शीर्ष पर पहुंच गई, जबकि भारत में शीर्ष स्तर पर पहुंचने में 175 दिन लगे।

वित्तीय पैकेज का असर
मई 2020 में 20 लाख करोड़ के वित्तीय पैकेज का एलान किया। इसके तहत सबसे पहले लोगों को भोजन, नकद सहायता, श्रमिकों को काम और बीमा जैसे उपाय किए गए। इसके बाद अक्तूबर 2020 में कर्ज में राहत के उपाय किए गए, और फिर आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना व प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत एक करोड़ से ज्यादा लोगों को लाभ मिला।

कृषि क्षेत्र पर वित्तीय पैकेज का प्रभाव  
वित्तीय राहत पैकेज के तहत भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए 49.4 अरब डॉलर आवंटित किए, जिनमें से अबतक 23.7 अरब डॉलर खर्च किए जा चुके हैं। कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा मदद रियायती ऋण व फसल बीमा के तहत दी गई। नाबार्ड के जरिये आपातकालीन पूंजीगत मदद के तहत 30 हजार करोड़ के ऋण सहकारी व ग्रामीण बैंकों को दिए गए। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत आठ लाख लाभार्थियों पर 361 करोड़ रुपये खर्च हुए। कृषि बुनियादी ढांचा निधि के तहत 7,677 करोड़ खर्च हुए।

स्वास्थ्य ढांचे पर असर  
कोविड महामारी से निपटने के लिए सरकार की प्रतिक्रिया का एक असर यह हुआ कि स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ। सरकार ने कोविड से संबंधित बिस्तरों, दवाओं, लॉजिस्टिक्स यानी एन-95 मास्क, पीपीई किट और मेडिकल ऑक्सीजन के संदर्भ में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा, आरोग्य सेतु, कोविड-19 इंडिया पोर्टल जैसे डिजिटल समाधान पेश किए। इसके अलावा 91.78 करोड़ परीक्षण किए गए, साथ ही वायरस के उभरते रूपों की निगरानी के लिए जीनोमिक निगरानी के लिए 52 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क स्थापित किया गया।

महामारी से पहले शुरू की तैयारी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने जनवरी 2020 में कोविड को लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था। लेकिन, भारत ने इससे पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी। पीएम मोदी के जल्दी लॉकडाउन लगाने के फैसले से काफी मदद मिली। खासतौर पर टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-वैक्सीनेशन-कंप्लायंस की पांच-स्तरीय रणनीति को लागू करने और तीव्र व मजबूत संस्थागत प्रतिक्रिया देने में मदद मिली। 

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