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Supreme Court: बानू मुश्ताक ही करेंगी मैसूरु दशहरा उत्सव का उद्घाटन, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Fri, 19 Sep 2025 12:43 PM IST
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सार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें मैसूर के दशहरा उत्सव के उद्घाटन समारोह में बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दी थी।

सुप्रीम कोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष मैसूरु दशहरा के उद्घाटन के लिए बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के कर्नाटक सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि गैर-हिंदू को परंपरागत पूजा-अर्चना का अधिकार देना अनुचित है। बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने पहले ही इस मामले को खारिज कर दिया था।

सप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि दशहरा 22 सितंबर से शुरू हो रहा है, इसलिए मामले की तुरंत सुनवाई जरूरी है। उनका तर्क है कि एक गैर-हिंदू द्वारा अग्रेश्वरी पूजा करना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी।
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दलील सुनते ही खारिज कर दी याचिका
शुक्रवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद मामले को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीबी सुरेश ने दलील दी कि किसी गैर-हिंदू व्यक्ति को पूजा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस पर न्यायमूर्ति नाथ ने फैसला सुनाया...'खारिज'।
इसके बाद सुरेश ने दलील दी कि मंदिर के अंदर पूजा करना धर्मनिरपेक्ष कृत्य नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से राजनीतिक है... कोई कारण नहीं कि उन्हें धार्मिक गतिविधि के लिए मंदिर के अंदर लाया जाए। उनकी दलील पर न्यायमूर्ति नाथ ने फिर दोहराया...'बर्खास्त'। वरिष्ठ वकील ने बिना किसी हिचकिचाहट के आगे आरोप लगाया कि आमंत्रित व्यक्ति ने अतीत में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। वकील ने आगे कहा कि ऐसे व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति नाथ ने फिर दोहराया कि मामला खारिज कर दिया गया है। न्यायमूर्ति नाथ ने टिप्पणी करते हुए कहा, हमने तीन बार 'बर्खास्त' कहा है। कितनी बार बर्खास्त करने की जरूरत है?
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हाईकोर्ट ने किया था याचिकाओं को खारिज
15 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले पर दायर चार जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इनमें से एक याचिका भाजपा के पूर्व सांसद प्रताप सिंघा ने दायर की थी। अदालत ने साफ कहा था कि किसी अलग धर्म के व्यक्ति द्वारा राज्य सरकार की ओर से आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करना संविधान या किसी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है।
तीन सितंबर को मैसूरु जिला प्रशासन ने औपचारिक रूप से मुश्ताक को उद्घाटन का आमंत्रण दिया था। इसके बाद भाजपा और अन्य विरोधी समूहों ने कड़ा एतराज जताया। उनका कहना है कि मुश्ताक ने पहले भी ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें “हिंदू विरोधी” और “कन्नड़ विरोधी” माना गया है।
SC dismisses plea challenging Karnataka govt's decision to invite Banu Mushtaq to inaugurate Mysuru Dasara