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Sharad Pawar: महिलाओं के खातों में 10 हजार रुपये डालने का मुद्दा गरमाया, शरद पवार बोले- संसद में करेंगे चर्चा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: हिमांशु चंदेल Updated Sun, 16 Nov 2025 11:18 PM IST
सार

Sharad Pawar on Bihar Verdict: शरद पवार ने बिहार चुनाव से पहले महिलाओं के खातों में 10 हजार रुपये डालने के मुद्दे को संसद सत्र में प्रमुखता से उठाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि एनडीए की जीत के पीछे यह सीधी धनराशि योजना बड़ा कारण हो सकती है।

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Sharad Pawar raise issue of depositing Rs 10000 womens accounts discuss it in Parliament with opposition
शरद पवार। - फोटो : PTI
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विस्तार
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बिहार चुनाव में एनडीए की भारी जीत के बाद अब इस मुद्दे ने नई राजनीतिक गर्माहट पैदा कर दी है कि वोटिंग से ठीक पहले महिलाओं के खातों में 10 हजार रुपये डालना किस हद तक चुनावी असर का कारण बना। एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार ने संकेत दिया है कि वे इस मामले को संसद सत्र के दौरान विपक्षी दलों के बीच गंभीर चर्चा के लिए उठाएंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव से पहले सरकार द्वारा महिलाओं को सीधे धनराशि देने जैसी प्रक्रिया पहले कभी नहीं देखी गई।
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पवार ने रविवार को पुणे में कहा कि वे बिहार में चुनाव पूर्व महिलाओं के खातों में डाली गई राशि के मुद्दे पर विपक्षी नेताओं से बात करेंगे। उनका बयान उस समय आया है जब बिहार चुनाव में एनडीए ने महागठबंधन को बड़े अंतर से हराया है। पवार ने कहा कि चुनाव नतीजे अपेक्षा के विपरीत आए, लेकिन जनता के फैसले को स्वीकार करना पड़ता है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र और बिहार दोनों जगह चुनाव से ऐन पहले योजनाओं के नाम पर सीधी लाभांश राशि बांटी गई।
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चुनाव से ठीक पहले सरकारी योजनाओं का सवाल
पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में लाड़की बहिन योजना और बिहार में महिलाओं को सीधे 10 हजार रुपये भेजने की प्रक्रिया अभूतपूर्व रही। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों में पैसे बांटने की बातें पहले सुनी गई थीं, लेकिन किसी राज्य सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इतनी बड़ी आर्थिक सहायता देना नई बात है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत परिवार की एक महिला को व्यवसाय शुरू करने के लिए राशि दी गई, और यह सीधे चुनावी माहौल में किया गया।

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पवार ने दागे कई सवाल
पवार ने कहा कि अगर बिहार चुनाव में एनडीए की जीत का कारण 10 हजार रुपये का सीधा लाभांश था, तो इस पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह प्रथा अगर राजनीति में शुरू हो गई तो चुनावों की निष्पक्षता पर इसका गहरा असर पड़ेगा। पवार ने यह भी जोड़ा कि वे संसद सत्र में विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं को एक मंच पर लाकर इस मुद्दे पर रणनीति तय करने की कोशिश करेंगे। उनके अनुसार, वे व्यक्तिगत तौर पर मानते हैं कि इस तरह की योजनाओं पर चुनाव आयोग को अधिक सतर्क रहना चाहिए।

इससे पहले भी उठाए थे सवाल
इससे एक दिन पहले भी पवार ने सवाल उठाया था कि चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान ऐसी धनराशि वितरण को अनुमति कैसे दी। उन्होंने कहा कि जब आचार संहिता लागू रहती है, तब किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता या लाभ योजनाओं में बदलाव आमतौर पर प्रतिबंधित होता है। पवार ने संकेत दिया कि यह मामला सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है बल्कि आने वाले राज्यों के चुनावों में भी इसका असर दिख सकता है।

पवार ने कहा कि एक दिसंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार से जवाब मांग सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सीधे आर्थिक लाभ देने का मुद्दा न समाज के खिलाफ है और न ही कल्याण योजनाओं के खिलाफ, लेकिन चुनावी समय में ऐसे कदम राजनीतिक रूप से गंभीर प्रश्न खड़े करते हैं। पवार ने साफ कहा कि वे विपक्ष को एकजुट करने और इस मुद्दे पर एक समान आवाज उठाने की दिशा में काम करेंगे, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता बनी रहे।


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