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Supreme Court: उमर खालिद की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी; UAPA के विभिन्न प्रावधानों को दी गई है चुनौती

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिव शरण शुक्ला Updated Tue, 31 Oct 2023 04:09 PM IST
सार

उमर खालिद सितंबर 2020 से ही जेल में है फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 घायल हुए थे। यह दंगे सीएए और एनआरसी कानून के खिलाफ हुए थे। 

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Supreme Court issues notice to Centre on Umar Khalid plea challenging various provisions of UAPA updates news
उमर खालिद। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में जेल में बंद पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद की याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में खालिद ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है। इस याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। 

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इसके साथ ही न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर और इसी तरह की अन्य याचिकाओं पर 22 नवंबर को सुनवाई करेगी। इसके अलावा, शीर्ष कोर्ट 22 नवंबर को ही खालिद की जमानत की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई करेगी।
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बता दें कि उमर खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के 'मास्टरमाइंड' होने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में उमर खालिद जेल में बंद हैं। उमर खालिद ने जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। खालिद ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि हिंसा में उसकी न तो कोई आपराधिक भूमिका थी और न ही मामले में किसी अन्य आरोपी के साथ कोई 'षड्यंत्रकारी संबंध' था।

हालांकि 18 अक्तूबर 2022 को हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उमर खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि उमर खालिद लगातार दंगे के साजिशकर्ताओं के संपर्क में था और पृथम दृष्टया उसके खिलाफ लगे आरोप सही लगते हैं। हाईकोर्ट ने उमर खालिद के एक्शन को आतंकवादी कार्रवाई माना था और उसके खिलाफ दर्ज गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA)के तहत मामले को सही ठहराया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

उमर खालिद सितंबर 2020 से ही जेल में है फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 घायल हुए थे। यह दंगे सीएए और एनआरसी कानून के खिलाफ हुए थे। 

अतिरिक्त जज जस्टिस सिद्धार्थ रॉय चौधरी को नियमित करने की सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अतिरिक्त जज जस्टिस सिद्धार्थ रॉय चौधरी को कलकत्ता हाईकोर्ट में नियमित जज बनाने की सिफारिश की है। कॉलेजियम ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपने दो वरिष्ठतम जजों से विचार विमर्श करने के बाद 5 अप्रैल को उनके नाम की सिफारिश भेजी थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने भी इस सिफारिश से सहमति जताई है।सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने कहा, हमने रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री की जांच और मूल्यांकन किया है। मामले के सभी पहलुओं पर विचार करने और उपरोक्त प्रस्ताव पर समग्र विचार करने के बाद हम 27 दिसंबर 2023 को सेवानिवृत्त हो रहे जस्टिस सिद्धार्थ रॉय चौधरी को स्थायी जज बनाने की सिफारिश करते हैं।

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