सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Supreme Court modified Allahabad HC order and says UP govt give lump sum compensation to dismissed doctors

Supreme Court: 'अनुपस्थिति पर बर्खास्त डॉक्टरों को एकमुश्त मुआवजा दे UP सरकार', सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sun, 15 Dec 2024 06:25 AM IST
सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की रिट याचिकाओं पर विचार करते हुए 3 मई, 2010 को जारी बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया था। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने पाया कि उनमें से किसी ने भी यह दलील नहीं दी कि बर्खास्तगी के आदेश के बाद उनके पास कोई रोजगार नहीं था। यह भी नहीं कहा कि सेवा खत्म होने से उनकी कोई आय नहीं थी।

विज्ञापन
Supreme Court modified Allahabad HC order and says UP govt give lump sum compensation to dismissed doctors
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : पीटीआई
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को संशोधित किया है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को 2010 में लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण बर्खास्त किए डॉक्टरों की सेवाएं बहाल करने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष कोर्ट ने कहा, राहत देने से पहले अधिकार क्षेत्र का हवाला देने वाले लोगों के आचरण पर विचार किया जाना चाहिए। पीठ ने निर्देश दिया, राज्य सरकार डॉक्टरों को तीन महीने के अंदर 2.50-2.50 लाख रुपये का एकमुश्त मुआवजा दे, जिससे न्याय के हित पूरे होंगे।

Trending Videos


राज्य सरकार की अपील पर जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, यह स्वीकार्य तथ्य है कि डॉक्टर 4-5 साल से अधिक समय तक लगातार अनुपस्थित रहे। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की रिट याचिकाओं पर विचार करते हुए 3 मई, 2010 को जारी बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया था। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने पाया कि उनमें से किसी ने भी यह दलील नहीं दी कि बर्खास्तगी के आदेश के बाद उनके पास कोई रोजगार नहीं था। यह भी नहीं कहा कि सेवा खत्म होने से उनकी कोई आय नहीं थी। पीठ ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट क्षेत्राधिकार हमेशा विवेकाधीन होता है और राहत देते समय व्यक्तियों के आचरण को ध्यान में रखना चाहिए।
विज्ञापन
विज्ञापन


दलील...हाईकोर्ट ने तर्क नजरअंदाज किए
अपील में राज्य सरकार का तर्क था कि हाईकोर्ट ने सेवा समाप्ति के आदेश के तथ्यों को नजरअंदाज किया। वर्षों से अनुपस्थित कुछ हजार डॉक्टरों के खिलाफ जांच करना अव्यावहारिक था। उसने दलील दी, संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के दूसरे प्रावधान के खंड (बी) का सहारा लिया और प्रतिवादी डॉक्टरों की नौकरी खत्म कर दी गई।

संबंधित वीडियो
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed