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Bhopal Gas Tragedy: अपशिष्ट जलाने के खिलाफ याचिका, तत्काल सुनवाई से सुप्रीम इनकार; 1984 में हुई थीं 5479 मौतें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Wed, 04 Jun 2025 02:04 PM IST
सार

1984 भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े खतरनाक अपशिष्ट को जलाने पर रोक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में मामला उठ चुका है और विशेषज्ञ एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं, इसलिए जल्दबाजी में फैसला नहीं लिया जा सकता है। अदालत ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई जुलाई में की जाएगी, जब अदालत की छुट्टियां खत्म होंगी। 
 

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Supreme Court refuses urgent hearing on plea against disposal of waste from 1984 Bhopal gas tragedy
सुप्रीम कोर्ट (फाइल) - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को जलाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे पहले भी 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर दखल देने से इनकार कर दिया था कि मामला पहले ही मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चल रहा है। वहां से कचरे को धार जिले के पीथमपुर में ले जाकर निपटाने का आदेश दिया जा चुका है। 1984 की इस त्रासदी में 5,479 लोगों की जान चली गई थी और पांच लाख से अधिक लोग अपंग हो गए थे। 

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बुधवार को न्यामूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख करते हुए वकील ने कहा कि मामला लगभग 377 टन खतरनाक कचरे को जलाने से संबंधित है। इस पर पीठ ने वकील से पूछा, 'आप मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष इस प्रयास में विफल रहे हैं। आपकी प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया गया था। आपने इस न्यायालय के समक्ष भी इसे रोकने का प्रयास किया था। कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है। अब छुट्टियों के दौरान, आप चाहते हैं कि हम यह सब रोक दें? कितने सालों से हम उस बर्बादी से लड़ रहे हैं?' पीठ ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई जुलाई में की जाएगी, जब अदालत की छुट्टियां खत्म होंगी। 
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27 फरवरी को शीर्ष अदालत ने एक याचिका का किया था निपटारा
27 फरवरी को, शीर्ष अदालत ने एक याचिका का निपटारा किया, जिसमें हाईकोर्ट के 3 दिसंबर, 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस दौरान अदालत ने कहा था कि राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई), राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के विशेषज्ञों ने मुद्दों पर अपने विचार दिए हैं, जिन पर हाईकोर्ट के साथ-साथ विशेषज्ञ पैनल ने भी गौर किया है। शीर्ष अदालत ने कचरे के निपटान का विरोध करने वाली नागरिक संस्थाओं के सदस्यों सहित पीड़ित पक्षों से इस मामले पर सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के पास जाने को कहा।

कोर्ट ने 25 फरवरी को प्राधिकारियों से कहा था
इससे पहले, शीर्ष कोर्ट ने 25 फरवरी को प्राधिकारियों से कहा था कि वे उसे मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के खतरनाक अपशिष्ट के निपटान के संबंध में बरती गई सावधानियों के बारे में अवगत कराएं।

पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक संयंत्र में निपटान के लिए ले जाया गया था
अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के लगभग 377 टन खतरनाक कचरे को भोपाल से 250 किलोमीटर और इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक संयंत्र में निपटान के लिए ले जाया गया था।

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हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह भोपाल कारखाने से कचरा हटाए और चार हफ्ते के अंदर उसे पीथमपुर भेजे। कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही होगी। इसके बाद एक जनवरी 2025 को 12 सीलबंद ट्रकों में कचरे को ले जाने का काम शुरू हुआ। इसके अलावा, 18 फरवरी के एक आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि पहले एक ट्रायल किया जाएगा, जिसमें 10 टन कचरा जलाया जाएगा। इसके बाद नतीजों को देखकर आगे का फैसला होगा।

क्या है 1984 की भोपाल गैस त्रासदी
2-3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली गैस- मिथाइल आइसोसाइनेट लीक हो गई थी। इस गैस के लीक होने से 5,479 लोग मारे गए थे और पांच लाख से अधिक लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। 

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