Supreme Court Updates: 'गरीबों को न्याय दिलाने के लिए आधी रात तक बैठने को तैयार', कोर्ट में बोले CJI सूर्यकांत
Supreme Court Updates: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पूर्व विधायक पिन्नेली राम कृष्णा रेड्डी और उनके भाई की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। वहीं, एक सुनावई के दौरान मुख्य न्यायधीश ने कहा कि वो गरीब और कमजोर वर्ग को न्याय दिलाने के लिए आधी रात तक अदालत में बैठने को तैयार हैं।
विस्तार
नए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को समय पर न्याय दिलाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि उनके सामने लक्जरी लिटिगेशन की कोई जगह नहीं है और वह केवल उन मामलों के लिए आधी रात तक भी अदालत में बैठने को तैयार हैं, जिनमें जरूरतमंद लोगों का हक जुड़ा हो। यह टिप्पणी उन्होंने जस्टिस जॉयमाल्या बागची के साथ बैठकर उस समय दिया जब उन्होंने तिलक सिंह डांगी की केंद्र के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया।
सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि उनका पूरा ध्यान सबसे छोटे और आखिरी पंक्ति में खड़े गरीब नागरिक पर केंद्रित रहेगा। हरियाणा के हिसार की मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से आने वाले जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। वे लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे और 9 फरवरी 2027 को 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर रिटायर होंगे। उन्होंने दोहराया कि अदालतों का असली उद्देश्य सुविधा सम्पन्नों की लड़ाइया लड़ना नहीं, बल्कि जरूरतमंदों को समयबद्ध न्याय देना है।
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दोहरे हत्याकांड में आंध्र प्रदेश के पूर्व MLA को दो हफ्ते में सरेंडर का आदेश
एक और दोहरे हत्याकांड मामले में कोर्ट ने सुनवाई की। इससे जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए आंध्र प्रदेश के पूर्व विधायक पिन्नेली राम कृष्णा रेड्डी और उनके भाई पिन्नेली वेंकटरामी रेड्डी की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपियों के असाधारण पहुंच पर सवाल उठाए। साथ ही कहा कि जांच अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए बयानों की प्रतियां आरोपियों तक कैसे पहुंचीं। ऐसे में कोर्ट ने कहा कि यह खुद एक संकेत है कि कहीं न कहीं साजिश की गंध आती है। अदालत ने साफ कहा कि चार्जशीट दाखिल होने से पहले ही जांच से जुड़े दस्तावेजों का आरोपियों तक पहुंचना बेहद चिंताजनक है। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा कि आरोपियों को जांच की अंतरंग जानकारी कैसे मिली।
अदालत ने इसे जांच में सीधा दखल बताया और कहा कि यह तरीका स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि दोनों आरोपी दो सप्ताह के भीतर सरेंडर करें। पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि जिस तरीके से दस्तावेज हासिल किए गए, वह बताता है कि जांच प्रभावित करने की कोशिश हुई है। सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता की ओर से बताया गया कि आरोपियों ने जांच अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए बयानों की प्रतियां अदालत में दाखिल की हैं। इस पर कोर्ट ने पूछा कि ऐसी प्रतियां उन्हें कैसे मिलीं, जबकि केस डायरी कभी भी सार्वजनिक नहीं की जाती। आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने दलील दी कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का है और आरोपियों को झूठा फंसाया गया है। हालांकि अदालत ने उनकी दलील पर संतोष नहीं जताया और कहा कि आरोपियों की पहुंच चौकाने वाली है।
आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने भी चिंता जताते हुए कहा कि जांच महत्वपूर्ण चरण में है और ऐसे में जमानत मिलने से जांच प्रभावित होगी। इससे पहले आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने अगस्त में अग्रिम जमानत याचिका खारिज की थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि दोनों आरोपी जे. वेंकटेश्वरलु और जे. कोटेश्वर राव की मई में हुई हत्या के मुख्य षड्यंत्रकारी हैं। हाई कोर्ट ने माना था कि इस समय जमानत मिलने से जांच बाधित होगी। यही आदेश सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। दोहरे हत्याकांड के पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राहत जताई है। उनका कहना है कि आरोपियों की राजनीतिक पहुंच के कारण अब तक जांच के प्रभावित होने की आशंका बनी हुई थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद अब उम्मीद है कि जांच बिना दबाव के पूरी हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने मामले की दिशा और गंभीरता को साफ कर दिया है।
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