Election Result: तेलंगाना में कांग्रेस आई तो कौन होगा CM? रेस में चार बड़े दावेदार; ऐसा है इनका सियासी सफर
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विस्तार
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं। इससे पहले इनके एग्जिट पोल सामने आ गए हैं। दक्षिणी राज्य तेलंगाना में अधिकतर एजेंसियों ने कांग्रेस की सरकार बनती दिखाई है। अब तक तो कर्नाटक के बाद एक और दक्षिणी राज्य में कांग्रेस की खुद की सरकार बनाती दिख रही है। वहीं, चुनाव नतीजों के साथ सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात की हो रही है, वो होगी राज्य में कांग्रेस मुख्यमंत्री किसे बनाएगी।
ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि तेलंगाना में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे कौन से हैं? इन नेताओं का सियासी रुतबा कितना है?
मुख्यमंत्री पद के चार बड़े चेहरे
मुख्यमंत्री के दावेदारों को समझने से पहले तेलंगाना के जातीय समीकरण को जानना अहम होता है। यहां की सियासी धुरी रेड्डी और दलित-आदिवासी समाजों के आसपास घूमती है। राज्य की आबादी में दलित 15 प्रतिशत, आदिवासी नौ प्रतिशत और सामाजिक रूप से प्रभावशाली रेड्डी आबादी अनुमानित सात प्रतिशत हैं।
कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री पद की रेस में कई चेहरों की चर्चा होती है। इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी, सांसद कैप्टन एन उत्तमकुमार रेड्डी और कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी और खम्मम जिले से तीन बार के विधायक मल्लू भट्टी विक्रमार्क शामिल हैं। मैदान में चार उम्मीदवारों के साथ तीन रेड्डी और दलित नेता भट्टी कांग्रेस के लिए काफी विकल्प हैं। हालांकि, पार्टी नेतृत्व कई बार दलित नेता को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश करने के संकेत देता रहा है।
रेवंत रेड्डी सबसे बड़े चेहरे
कांग्रेस की तरफ से सबसे बड़े दावेदार के रूप में जिस नाम की चर्चा हो रही है, वह हैं रेवंत रेड्डी। दरअसल, रेवंत रेड्डी तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस इकाई के मौजूदा अध्यक्ष हैं। रेड्डी तेलंगाना में कांग्रेस के उन तीन लोकसभा सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने 2019 में जीत दर्ज की थी। इस विधानसभा चुनाव में रेवंत तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के सामने चुनाव लड़ रहे हैं। यह मुकाबला सिद्दिपेट जिले की गजवेल विधानसभा सीट पर है।
दलित नेता भट्टी विक्रमार्क का भी नाम सुर्खियों में
रेवंत के बाद मुख्यमंत्री के चेहरों में वरिष्ठ नेता मल्लू भट्टी विक्रमार्क के नाम की भी खूब चर्चा हो रही है। विक्रमार्क माधिरा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जहां से वह मौजूदा विधायक भी हैं। आंध्र प्रदेश में पार्टी के एमएलसी रहने के बाद विक्रमार्क माधिरा सीट पर 2009 में पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके साथ ही पार्टी ने उन्हें मुख्य सचेतक भी बना दिया। जून 2011 में आंध्रप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष बनने वाले वरिष्ठ नेता 2014 और 2018 में फिर विधायक बने। जनवरी 2019 में विक्रमार्क को तेलंगाना विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता के रूप में नियुक्त किया गया। विक्रमार्क के बड़े भाई अविभाजित आंध्र के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके मझले भाई भी कांग्रेस सांसद रह चुके हैं।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उत्तम भी बड़े दावेदार
तेलंगाना में कांग्रेस ने अपने जिन लोकसभा सांसदों को टिकट दिया है, उनमें एक नाम उत्तम कुमार रेड्डी का भी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उत्तम सूर्यापेट जिले की हुजूरनगर सीट से चुनाव मैदान में हैं। फिलहाल वह नलकोंडा लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद हैं। 2019 में सांसद बनने से पहले रेड्डी हुजूरनगर सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उत्तम कुमार रेड्डी ने बीआरएस के शानमपुडी सैदी रेड्डी को 7,466 वोटों से हराया था।
तेलंगाना से पहले 1999 से 2014 के बीच वह तीन बार आंध्र प्रदेश से विधायक रह चुके हैं। वहीं 2012 से 2014 तक वह आंध्र प्रदेश की सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। भारतीय वायुसेना में पायलट रहे उत्तम कुमार 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में हुजूरनगर सीट पर एक बार फिर कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। यहां उत्तम का मुकाबला बीआरएस के मौजूदा विधायक शानमपुडी सैदी रेड्डी और भाजपा की श्रीलता रेड्डी से है।
सांसद कोमाटी रेड्डी वेंकट रेड्डी भी अहम चेहरा
भुवनगिरि लोकसभा सीट से सांसद कोमाटी रेड्डी वेंकट रेड्डी भी तेलंगाना में कांग्रेस के लिए चुनाव मैदान में हैं। वह नलगोंडा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए हैं। उनका नाम भी राज्य में कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। वह मई 2019 में 17वीं लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले 2018 तक कोमाटी तेलंगाना के विधायक थे।
इससे पहले वह 1999 से 2014 के बीच आंध्र प्रदेश से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वह राज्य की वाईएस राजशेखर रेड्डी की सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।