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दूरसंचार क्षेत्र की हालत खराब, वित्तीय संकट ने शुरू किया सरकार को डराना

शशिधर पाठक/ अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Thu, 28 Sep 2017 07:36 PM IST
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Telecommunication industry faced financial crisis government afraid
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उपभोक्ता बढ़ रहे हैं, इंडस्ट्री बढ़ रही है, नये प्रयोग भी बढ़ रहे हैं लेकिन इसी के साथ दूरसंचार क्षेत्र की हालत को लेकर केन्द्र सरकार का भय भी बढ़ रहा है। दिलचस्प पहलू यह है कि केन्द्र सरकार इसकी जितनी बारीकी से निगरानी कर रही है उतनी ही बड़ी उथल-पुथल दूरसंचार प्रदाता बड़ी कंपनियों में देखी जा रही है। 
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हालांकि केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ऐसी सभी स्थितियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। खुद सिन्हा का भी मानना है कि दूरसंचार क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहा है।
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मनोज सिन्हा का कहना है कि इस क्षेत्र पर वित्तीय संकट गहरा रहा है। स्थिति की गंभीरता को भांपकर केन्द्र सरकार ने पहले मंत्रियों के समूह का गठन कर दिया था। इस समूह ने अपनी सिफारिश सरकार को दे दी है और अब मंत्रालय इसके बाबत कानूनी राय मशविरा कर रहा है। समझा जा रहा है कि कानूनी सलाह लेने के बाद केन्द्र सरकार इस मामले में जरूरी कदम उठा सकती है।

हालांकि अपने संबोधन में केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री ने आने वाले समय में दूरसंचार कंपनियों द्वारा करीब 40 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने की संभावना जतायी।

उन्होंने कहा कि भारत में 120 करोड़ के करीब ग्राहक का आधार है। 45 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्मार्ट फोन अपनाने तथा डेटा के बढ़ रहे उपभोग से 2017 के अंत तक यह 3.8 करोड़ डॉलर के राजस्व वाला उद्योग हो जाएगा। एक आंकड़ा देते हुए दूरसंचार मंत्री ने कहा कि 2014-2017 तक 5.2 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि दर्ज की गई है।

अनिल अंबानी पर बकाया 48 हजार करोड़

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अनिल अंबानी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी आरकॉम के मुखिया हैं। आरकॉम ने कभी मोबाइल फोन के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ाया था, लेकिन इन दिनों वह वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही है।

कंपनी पर बैंकों का करीब 48 हजार करोड़ बकाया है। जिस तरह से कंपनी मोबाइल सेवा क्षेत्र में काम कर रही है, उस आधार पर संकट से उबर पाने की कोई सूरत नहीं दिखाई दे रही है।  इस तरह से विभिन्न कंपनियों पर बैंकों का करीब छह लाख करोड़ रुपये बकाया है।

कंपनी और दूरसंचार क्षेत्र की हालत देखकर अनिल अंबानी ने बड़ा अंदेशा जताया है। उन्होंने सरकार से इस क्षेत्र में हस्तक्षेप की मांग की है। अनिल अंबानी का मानना है कि दूरसंचार क्षेत्र में मोनोपोली बढ़ने की प्रबल संभावना है। पहले इस क्षेत्र में जहां एक दर्जन सेवा प्रदाता कंपनियां थी अब घटकर छह रह गई हैं। ऐसी दशा में केवल एक या दो कंपनियों का दबदबा बन सकता है।

मुकेश अंबानी मुस्कराए

अन्य कंपनियों की दशा चाहे जो हो लेकिन आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी की पौ बारह है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दशक तक भारतीय अर्थ व्यवस्था में तीन गुणा तक वृद्धि होने की उम्मीद है। मुकेश अंबानी ने कहा कि दूर संचार क्षेत्र में क्रांति जारी रहेगी और 4जी का उपयोग टू जी से अधिक हो जाएगा।

प्रगति मैदान में आयोजित इंडिया मोबाइल कांग्रेस में बोलते हुए मुकेश अंबानी ने इंटरनेट डेटा उपयोग को अर्थव्यवस्था के लिए आक्सीजन और युग का तेल बताया। इस दौरान उन्होंने उपभोक्ता के लिए सस्ती दर पर सुविधा तथा उपकरण मुहैय्या कराने को अहमियत दी।

मुकेश अंबानी पहली बार इंडिया मोबाइल कांग्रेस में आए थे। उनके मुस्कराने की बड़ी वजह जिओ की सफलता है। जितने कम समय में जिओ ने इतनी बड़ी संख्या में ग्राहक बनाकर नो प्राफिट नो लॉस की स्थिति को पाने के करीब है यह किसी अजूबे से कम नहीं है। इसके लिए जिओ ने लंबे समय तक ग्राहकों को मुफ्त असीमित डेटा, फोन काल्स आदि की सुविधा दी थी। 

रिजर्व बैंक और सरकार की चिंता

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रिजर्व बैंक ने 2017 में देश की बैंकों को दूरसंचार कंपनियों को कर्ज देने के बाबत चेताया था। केन्द्रीय बैंक ने दूर संचार क्षेत्र में बढ़ी प्रतिस्पर्धा और मोनोपोली की तरफ बढ़ रहे क्षेत्र को देखकर बैंको को सावधानी से कर्ज देने की सलाह दी थी।

दूरसंचार क्षेत्र के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह स्थिति जारी रही तो आने वाले समय में न केवल सर्विस प्रोवाइडर घटेंगे बल्कि बैंकों द्वारा कंपनियों को दिया गया कर्ज भी फंस सकता है। इससे कई बैंकों को करारा झटका लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

केन्द्र सरकार ने इसकी समीक्षा के लिए मंत्रियों के समूह का गठन किया था। इस समूह ने अपनी जांच पूरी करके केन्द्र सरकार से कुछ ठोस कदम उठाने की सिफारिश की है। केन्द्र सरकार इस सिफारिश पर कानूनी राय ले रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही केन्द्र सरकार इसके बाबत कुछ कदम उठा सकती है।

सुनील भारती मित्तल भी बोले

इंडिया मोबाइल कांग्रेस-2017 में सबसे बड़े मोबाइल सर्विस नेटवर्क एयरटेल के मुखिया सुनील भारती मित्तल ने भी राय रखी। मित्तल ने बढ़ती प्रतिपर्धा को देखते हुए कहा की एयरटेल 18-20 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यह प्रदर्शनी दिल्ली के प्रगति मैदान में 27 से 29 सितंबर चलेगी।
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