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Maharashtra: टॉप नक्सली लीडर का 60 साथियों के साथ सरेंडर, एक करोड़ का इनामी था सोनू; टूटी नक्सलियों की कमर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गढ़चिरौली
Published by: लव गौर
Updated Tue, 14 Oct 2025 01:40 PM IST
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सार
Top Naxalite Leader: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में कुख्यात नक्सली मल्लौजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने अपने 60 साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। सोनू पर एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था, जिसके बाद अब उसके सरेंडर से अबूझमाड़ में नक्सलियों की कमर टूट गई है।

में कुख्यात नक्सली मल्लौजुला वेणुगोपाल राव का सरेंडर
- फोटो : ANI
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विस्तार
नक्सवाद पर एक बार फिर बड़ी कामयाबी हासिल की गई है। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में कुख्यात माओवादी नेता मल्लौजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू ने अपने 60 साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। सोनू पर एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था, जिसके बाद अब अबूझमाड़ में नक्सलियों की कमर पूरी तरह से टूट गई है।
भाकपा-माओवादी को बड़ा झटका
भाकपा-माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लौजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने मंगलवार (14 अक्तूबर) को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 60 माओवादी कार्यकर्ताओं के साथ हथियार डाल दिए। यह भाकपा-माओवादी के लिए एक बड़ा झटका है और यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और देश भर की राज्य सरकारों के नेतृत्व में पुलिस द्वारा चलाए जा रहे निरंतर अभियानों का परिणाम है।
एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने सोमवार देर रात (13 अक्तूबर) पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति का एक सदस्य और एक संभागीय समिति के 10 सदस्य शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार वेणुगोपाल उर्फ भूपति उर्फ सोनू को माओवादी संगठन के सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था और वह लंबे समय से महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों की निगरानी करता था। हालांकि, उन्होंने बताया कि हाल के महीनों में उसके और शीर्ष नक्सल नेतृत्व के बीच बढ़ते मतभेदों के कारण आंतरिक संघर्ष हुआ।
माना जाता है कि अपने बड़े भाई शीर्ष माओवादी नेता किशनजी की मौत के बाद वेणुगोपाल ने पश्चिम बंगाल में खासकर लालगढ़ आंदोलन के दौरान ऑपरेशन ग्रीन हंट के खिलाफ सीपीआई (माओवादी) के सशस्त्र प्रतिरोध की कमान संभाली थी। वर्षों से उन्हें माओवादी पदानुक्रम में एक प्रमुख रणनीतिकार और विचारक माना जाता रहा, जो ज्यादातर मध्य भारत के घने जंगलों में जिनमें छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा के कुछ हिस्से शामिल हैं, वहां सक्रिय रहे।
माओवादी कार्यकर्ताओं के बड़े हिस्से का समर्थन
सितंबर में सोनू ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हथियार डालने की जानकारी दी थी। उन्हें छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में माओवादी कार्यकर्ताओं के एक बड़े हिस्से का समर्थन हासिल था। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सोनू को भाकपा (माओवादी) के उत्तर उप-क्षेत्रीय और पश्चिम उप-क्षेत्रीय ब्यूरो से समर्थन मिला, जिन्होंने अब मुख्यधारा में लौटने के लिए अपनी रुचि दिखाई।
मौखिक और लिखित बयान किया था जारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुख्यात नक्सली सोनू ने 15 अगस्त को एक मौखिक और लिखित बयान जारी कर युद्धविराम के लिए तैयार होने का दावा किया था। बता दें कि पिछले हफ्ते ऐसी खबरें आईं थीं कि तेलंगाना के मूल निवासी वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और साथी कार्यकर्ताओं से खुद को बचाने और व्यर्थ बलिदान ना देने की अपील की थी।
नक्सलियों पर ताबड़तोड़ एक्शन जारी
सुरक्षाबलों का नक्सलियों पर ताबड़तोड़ एक्श जारी है। इससे पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने कार्रवाई करते हुए आठ सक्रिय नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तार नक्सलियों में तीन पर तीन लाख का इनाम घोषित था। इस दौरान गिरफ्तार नक्सलियों के कब्जे से टिफिन बम, डेटोनेटर, सेफ्टी फ्यूज, कार्डेक्स वायर, बैटरी, बिजली के तार, जमीन खोदने के औजार, एवं शासन विरोधी नारों वाले पाम्पलेट और बैनर बरामद किए गए।

भाकपा-माओवादी को बड़ा झटका
भाकपा-माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लौजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने मंगलवार (14 अक्तूबर) को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 60 माओवादी कार्यकर्ताओं के साथ हथियार डाल दिए। यह भाकपा-माओवादी के लिए एक बड़ा झटका है और यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और देश भर की राज्य सरकारों के नेतृत्व में पुलिस द्वारा चलाए जा रहे निरंतर अभियानों का परिणाम है।
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एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने सोमवार देर रात (13 अक्तूबर) पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति का एक सदस्य और एक संभागीय समिति के 10 सदस्य शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार वेणुगोपाल उर्फ भूपति उर्फ सोनू को माओवादी संगठन के सबसे प्रभावशाली रणनीतिकारों में से एक माना जाता था और वह लंबे समय से महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर प्लाटून अभियानों की निगरानी करता था। हालांकि, उन्होंने बताया कि हाल के महीनों में उसके और शीर्ष नक्सल नेतृत्व के बीच बढ़ते मतभेदों के कारण आंतरिक संघर्ष हुआ।
माना जाता है कि अपने बड़े भाई शीर्ष माओवादी नेता किशनजी की मौत के बाद वेणुगोपाल ने पश्चिम बंगाल में खासकर लालगढ़ आंदोलन के दौरान ऑपरेशन ग्रीन हंट के खिलाफ सीपीआई (माओवादी) के सशस्त्र प्रतिरोध की कमान संभाली थी। वर्षों से उन्हें माओवादी पदानुक्रम में एक प्रमुख रणनीतिकार और विचारक माना जाता रहा, जो ज्यादातर मध्य भारत के घने जंगलों में जिनमें छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा के कुछ हिस्से शामिल हैं, वहां सक्रिय रहे।
माओवादी कार्यकर्ताओं के बड़े हिस्से का समर्थन
सितंबर में सोनू ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हथियार डालने की जानकारी दी थी। उन्हें छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में माओवादी कार्यकर्ताओं के एक बड़े हिस्से का समर्थन हासिल था। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सोनू को भाकपा (माओवादी) के उत्तर उप-क्षेत्रीय और पश्चिम उप-क्षेत्रीय ब्यूरो से समर्थन मिला, जिन्होंने अब मुख्यधारा में लौटने के लिए अपनी रुचि दिखाई।
मौखिक और लिखित बयान किया था जारी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुख्यात नक्सली सोनू ने 15 अगस्त को एक मौखिक और लिखित बयान जारी कर युद्धविराम के लिए तैयार होने का दावा किया था। बता दें कि पिछले हफ्ते ऐसी खबरें आईं थीं कि तेलंगाना के मूल निवासी वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और साथी कार्यकर्ताओं से खुद को बचाने और व्यर्थ बलिदान ना देने की अपील की थी।
नक्सलियों पर ताबड़तोड़ एक्शन जारी
सुरक्षाबलों का नक्सलियों पर ताबड़तोड़ एक्श जारी है। इससे पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने कार्रवाई करते हुए आठ सक्रिय नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तार नक्सलियों में तीन पर तीन लाख का इनाम घोषित था। इस दौरान गिरफ्तार नक्सलियों के कब्जे से टिफिन बम, डेटोनेटर, सेफ्टी फ्यूज, कार्डेक्स वायर, बैटरी, बिजली के तार, जमीन खोदने के औजार, एवं शासन विरोधी नारों वाले पाम्पलेट और बैनर बरामद किए गए।