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क्या रायते से रेबीज फैलता है: भैंस को कुत्ते ने काटा, उसी के दूध से बना रायता गांववालों ने खाया; अब क्या होगा?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 29 Dec 2025 03:11 PM IST
सार
बदायूं के उझानी गांव में एक रेबीज वायरस से संक्रमित कुत्ते ने भैंस को काट लिया था। 23 दिसंबर को एक कार्यक्रम के दौरान इस भैंस के दूध से बने रायते को गांव वालों को परोसा गया। वहीं, 25 दिसंबर को भैंस की जान चली गई। इसके बाद से ही पूरे गांव में रेबीज को लेकर डर फैल गया।
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यूपी के बदायूं स्थित एक गांव में दहशत।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
उत्तर प्रदेश के बदायूं से हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक गांव में तेरहवीं के भोज के दौरान रायता खाने वाले सैकड़ों लोग अचानक घबराकर अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच गए। पूरे गांव में इस रायते की ऐसी दहशत रही कि स्वास्थ्यकर्मियों को भी आनन-फानन में लोगों की मदद के लिए अस्पताल में अलग काउंटर बनाना पड़ा। इस बीच जिन लोगों को सरकारी अस्पताल में टीका नहीं मिल पाया, वे जान बचाने के लिए निजी अस्पताल भागे।
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, हुआ कुछ यूं कि बदायूं के उझानी गांव में 25 दिसंबर (गुरुवार) को एक भैंस की मौत हो गई। सामने आया कि इस भैंस को कुछ दिन पहले एक कुत्ते ने काटा था, जिसके बाद से उसकी स्थिति खराब थी। भैंस की मौत से पहले 23 दिसंबर को गांव में एक तेरहवीं का कार्यक्रम था। इसके लिए भोज में जो रायता बना, उसमें कथित तौर पर रेबीज संक्रमित भैंस के दूध का इस्तेमाल किया गया था। भोज में करीब एक हजार से अधिक लोग पहुंचे थे। बताया जाता है कि जैसे ही गांव में भैंस के संक्रमित कुत्ते के काटने की वजह से मरने की खबर फैली, लोगों में डर फैल गया। बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंच गए। जो लोग अस्पताल पहुंचे उनका कहना था कि पागल कुत्ते ने करीब 20 दिन पहले उस भैंस को काटा था, जिसके दूध का इस्तेमाल तेरहवीं में हुआ था। काटने के पांच दिन बाद कुत्ता मर गया था।
ये भी पढ़ें- UP: भैंस के दूध से बना दही और फिर रायता, खाने वालों में फैली दहशत; जानें पूरा मामला
दरअसल, हुआ कुछ यूं कि बदायूं के उझानी गांव में 25 दिसंबर (गुरुवार) को एक भैंस की मौत हो गई। सामने आया कि इस भैंस को कुछ दिन पहले एक कुत्ते ने काटा था, जिसके बाद से उसकी स्थिति खराब थी। भैंस की मौत से पहले 23 दिसंबर को गांव में एक तेरहवीं का कार्यक्रम था। इसके लिए भोज में जो रायता बना, उसमें कथित तौर पर रेबीज संक्रमित भैंस के दूध का इस्तेमाल किया गया था। भोज में करीब एक हजार से अधिक लोग पहुंचे थे। बताया जाता है कि जैसे ही गांव में भैंस के संक्रमित कुत्ते के काटने की वजह से मरने की खबर फैली, लोगों में डर फैल गया। बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंच गए। जो लोग अस्पताल पहुंचे उनका कहना था कि पागल कुत्ते ने करीब 20 दिन पहले उस भैंस को काटा था, जिसके दूध का इस्तेमाल तेरहवीं में हुआ था। काटने के पांच दिन बाद कुत्ता मर गया था।
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ग्रामीणों में फैला डर, कम पड़ीं एंबुलेंस; 200 लोगों ने लगवाया टीका
एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल पहुंचने के लिए लोगों ने शुक्रवार रात से एंबुलेंस बुलाने के लिए कॉल करनी शुरू कर दी। ग्रामीण मोहन ने बताया कि एक-एक एंबुलेंस में आठ-नौ लोग बैठकर अस्पताल पहुंचे। कुछ परिवार के सदस्य तो निजी वाहनों से अस्पताल आ गए। करीब 200 लोगों को शंका कम करने के लिए टीका लगाया गया।
एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल पहुंचने के लिए लोगों ने शुक्रवार रात से एंबुलेंस बुलाने के लिए कॉल करनी शुरू कर दी। ग्रामीण मोहन ने बताया कि एक-एक एंबुलेंस में आठ-नौ लोग बैठकर अस्पताल पहुंचे। कुछ परिवार के सदस्य तो निजी वाहनों से अस्पताल आ गए। करीब 200 लोगों को शंका कम करने के लिए टीका लगाया गया।
रेबीज पीड़ित कुत्ते ने भैंस को काटा, क्या उसके दूध से भी पैदा हो सकता है खतरा?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, रेबीज एक वायरल बीमारी है। यानी रेबीज वायरस एक जानवर से दूसरे जानवर या इंसान को फैल सकता है। आमतौर पर यह वायरस तब फैलता है, जब कोई जानवर किसी इंसान को काट ले या अपने पंजों से उसे खंरोच मार दे। इस स्थिति में वायरस जानवर की लार या उसके शरीर के चुनिंदा तरल पदार्थ (आंसू या तंत्रिका ऊतक) के जरिए दूसरे में फैल सकता है। हालांकि, रेबीज पीड़ित जानवर के खून या मल में यह वायरस नहीं पाया जाता। एक बार अगर कोई व्यक्ति रेबीज से संक्रमित हो जाए तो पांच दिन से लेकर दो से तीन महीने के अंदर यह वायरस शरीर को पूरी तरह प्रभावित कर सकता है। एक बार अगर किसी व्यक्ति में रेबीज के लक्षण दिखें तो उसके दो से 10 दिन के अंदर संक्रमित की मौत हो सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, रेबीज एक वायरल बीमारी है। यानी रेबीज वायरस एक जानवर से दूसरे जानवर या इंसान को फैल सकता है। आमतौर पर यह वायरस तब फैलता है, जब कोई जानवर किसी इंसान को काट ले या अपने पंजों से उसे खंरोच मार दे। इस स्थिति में वायरस जानवर की लार या उसके शरीर के चुनिंदा तरल पदार्थ (आंसू या तंत्रिका ऊतक) के जरिए दूसरे में फैल सकता है। हालांकि, रेबीज पीड़ित जानवर के खून या मल में यह वायरस नहीं पाया जाता। एक बार अगर कोई व्यक्ति रेबीज से संक्रमित हो जाए तो पांच दिन से लेकर दो से तीन महीने के अंदर यह वायरस शरीर को पूरी तरह प्रभावित कर सकता है। एक बार अगर किसी व्यक्ति में रेबीज के लक्षण दिखें तो उसके दो से 10 दिन के अंदर संक्रमित की मौत हो सकती है।
किसी रेबीज पीड़ित जानवर के दूध से इस वायरस का फैलना लगभग नामुमकिन है। दुनियाभर में अब तक किसी जानवर के दूध से रेबीज फैलने का तथ्यात्मक मामला नहीं मिला है। यहां तक कि रेबीज पीड़ित जानवर के पके हुए मांस को खाने से भी रेबीज होने का कोई मामला अब तक दुनिया में सामने नहीं आया है।
हालांकि, रेबीज पीड़ित जानवर के दूध और उसके मांस के सेवन को सुरक्षित नहीं माना जाता। इसकी वजह यह है कि जो भी लोग ऐसे वायरस पीड़ित जानवरों से दूध निकालते हैं या उनका मांस काटते हैं, उनके संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है (लार या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से)।
हालांकि, रेबीज पीड़ित जानवर के दूध और उसके मांस के सेवन को सुरक्षित नहीं माना जाता। इसकी वजह यह है कि जो भी लोग ऐसे वायरस पीड़ित जानवरों से दूध निकालते हैं या उनका मांस काटते हैं, उनके संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है (लार या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से)।
दूसरी तरफ किसी इंसान से इंसान को रेबीज फैलने का भी दस्तावेजी सबूत नहीं मिला है। इसके गिने-चुने मामले सिर्फ संक्रमित अंग प्रत्यर्पण की वजह से सामने आए हैं। हालांकि, स्वास्थ्य गाइडलाइंस के मुताबिक, रेबीज संक्रमित व्यक्ति की लार और उसके शरीर के तरल पदार्थों से भी बचने की सलाह दी जाती है, ताकि कोई संभावित खतरा पैदा न हो।
तो बदायूं के गांव के लोगों पर कितना खतरा?
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के रेफरल पॉलीक्लीनिक प्रभारी प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अभिजीत पावड़े के मुताबिक दुधारू पशु अगर रेबीज संक्रमित है तो उसके दूध के सेवन से संक्रमण की आशंका नहीं होती। दूध पूरी तरह सुरक्षित होता है। वायरस पशु के लार में होता है। इसलिए संक्रमित भैंस का दूध पीने वालों को कोई खतरा नहीं।
तो बदायूं के गांव के लोगों पर कितना खतरा?
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के रेफरल पॉलीक्लीनिक प्रभारी प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अभिजीत पावड़े के मुताबिक दुधारू पशु अगर रेबीज संक्रमित है तो उसके दूध के सेवन से संक्रमण की आशंका नहीं होती। दूध पूरी तरह सुरक्षित होता है। वायरस पशु के लार में होता है। इसलिए संक्रमित भैंस का दूध पीने वालों को कोई खतरा नहीं।
हालांकि जो भैंस के चारा देने, नहलाने, दुहने, साफ-सफाई के कार्य करते हैं, उनके संक्रमण की चपेट में आने की आशंका से इनकार नहीं कर सकते। इसलिए उन्हें एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने का सुझाव दिया जाता है। संक्रमित भैंस को अन्य पशुओं से अलग रखने, उसके पास जाने के दौरान सावधानी बरतने की अपील भी की गई है।
बदायूं के चिकित्साधीक्षक डॉ. सर्वेश कुमार के मुताबिक, उझानी में जिन लोगों, महिलाओं और बच्चों के इंजेक्शन लगाए गए हैं, उन्हें सिर्फ एहतियातन यह टीका दिया गया। चूंकि संक्रमित भैंस के दूध को गर्म किए जाने के बाद ही दही जमाया गया होगा, इसलिए उसमें वायरस के होने की संभावना नहीं है। लोगों में बेवजह की आशंका बनी थी। फिर भी जो लोग एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल आए, उन्हें टीका दिया गया।
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बदायूं के चिकित्साधीक्षक डॉ. सर्वेश कुमार के मुताबिक, उझानी में जिन लोगों, महिलाओं और बच्चों के इंजेक्शन लगाए गए हैं, उन्हें सिर्फ एहतियातन यह टीका दिया गया। चूंकि संक्रमित भैंस के दूध को गर्म किए जाने के बाद ही दही जमाया गया होगा, इसलिए उसमें वायरस के होने की संभावना नहीं है। लोगों में बेवजह की आशंका बनी थी। फिर भी जो लोग एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल आए, उन्हें टीका दिया गया।
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