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Vice President Poll : आदिवासी-किसान कार्ड से भाजपा की सौ सीट पर व्यूहरचना तैयार, दोनों मौकों पर बिखरा विपक्ष

हिमांशु मिश्र, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: योगेश साहू Updated Sun, 07 Aug 2022 06:24 AM IST
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सार

Vice President Poll: जगदीप धनखड़ के उप राष्ट्रपति निर्वाचित होने की खबर मिलते ही उनके पैतृक गांव किठाना (झुंझुनू) में जश्न शुरू हो गया। नतीजा आते ही सभी लोग नाचकर खुशियां मनाने लगे। आतिशबाजी करने लगे। गांव में दीवाली जैसा माहौल हो गया।

Vice President Poll: BJP pepared strategy on hundred seats by Tribe Kisan card
जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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Vice President Poll: राष्ट्रपति चुनाव के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव में भी विपक्षी एकता धराशायी हो गई। ऐसे समय में जब आगामी लोकसभा चुनाव दो साल से भी कम समय बचे हैं, तब भाजपा की ब्यूहरचना के आगे विपक्ष असहाय नजर आया। इन दोनों चुनावों में विपक्ष जीत से दूर था। दोनों ही चुनाव में उसे बस अपनी एकजुटता प्रदर्शित कर आगामी लोकसभा चुनाव की मजबूत तैयारियों का संदेश देना था। राष्ट्पति चुनाव में भाजपा के आदिवासी कार्ड और उपराष्ट्रपति चुनाव किसान कार्ड के आगे विपक्ष असहाय नजर आया।

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विपक्षी एकता राष्ट्रपति चुनाव में भी बिखरी थी, मगर उपराष्ट्पति चुनाव ने भविष्य में विपक्ष में एकता कायम होने की संभावना को करीब-करीब खत्म कर दिया है। राष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार के नाम पर कई विपक्षी दलों में सहमति बनाने वाली तृणमूल कांग्रेस ने इस चुनाव में कांग्रेस पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए दूरी बना ली। वह भी तब जब नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति धनखड़ के पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते कई बार टकराव हुआ। तृणमूल कांग्रेस और धनखड़ के बीच हमेशा छत्तीस का आंकड़ा बना रहा।
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सफल रही भाजपा की विपक्ष में सेंध लगाने की रणनीति
दोनों ही चुनाव में भाजपा के सामने बड़ी चुनौती विपक्ष के बीच एकजुटता कायम नहीं होने देने की थी। दोनों ही मौके पर भाजपा ने कामयाब रणनीति बनाई। राष्ट्रपति चुनाव में बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बसपा, जद-एस, टीडीपी, झामुमो जैसे कई विपक्षी दल राजग उम्मीदवार के पक्ष में खड़े हुए। उपराष्ट्पति चुनाव में भी भाजपा उम्मीदवार को इनमें से करीब-करीब सभी दलों का साथ मिला, जबकि टीएमसी की मतदान से दूरी ने मुकाबले को एकतरफा बना दिया।

दोनों ही चुनाव में भाजपा का सधा दांव
दोनों अहम चुनावों में भाजपा ने बेहद सधा दांव चल कर विपक्ष को हतप्रभ कर दिया। उम्मीदवारों के चयन के मामले में पार्टी की आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी साफ दिखी।

  • राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में आदिवासी चेहरा मुर्मू के साथ पार्टी आदिवासी प्रभाव वाली की साठ से अधिक लोकसभा सीटों पर सकारात्मक संदेश देने में सफल रही।
  • अब जाट बिरादरी के किसान नेता रहे धनखड़ के जरिए पार्टी ने हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश की इस बिरादरी के प्रभाव वाली 50 सीटों पर बेहतर संदेश देने में सफलता हासिल की।

जीत नहीं, एकता थी मुद्दा
राष्ट्रपति चुनाव में राजग के पास 49 फीसदी मत थे। उपराष्ट्रपति चुनाव में तो भाजपा के पास अपने दम पर चुनाव जीतने का संख्या बल था। विपक्ष के पास बस एकजुटता की चुनौती थी। मगर दोनों ही चुनाव में विपक्ष ऐसा उम्मीदवार पेश नहीं कर पाया, जिससे सियासी हलचल पैदा हो सके। राष्ट्पति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा थे, जो लंबे समय तक भाजपा में रहे थे। जबकि उपराष्ट्पति चुनाव में मार्गरेट अल्वा उम्मीदवार बनीं। दोनों के चयन में विपक्ष की सोशल इंजीनियरिंग की जगह अपना उम्मीदवार बनाने का हठ दिखा।

विधानसभा चुनावों पर भी नजर
उम्मीदवार चयन में भाजपा की निगाहें विधानसभा चुनाव पर भी थी। लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में जहां छत्तीसगढ़ और गुजरात में आदिवासियों का बेहद प्रभाव है। जबकि मप्र में आदिवासी के साथ कुछ सीटों पर जाट बिरादरी, राजस्थान की भी कई सीटों पर इस बिरादरी का प्रभाव है।

भविष्य में भी एकता की राह और कठिन
भाजपा की कोशिश भविष्य में भी विपक्षी एकता कायम नहीं होने देने की है। दोनों चुनाव में जिस प्रकार विपक्षी एकता तार-तार हुई है, उससे भाजपा अपनी रणनीति में सफल होती दिख रही है। दरअसल कांग्रेस जहां खुद अंतर्विरोधों में उलझी है, वहीं तृणमूल, टीआरएस जैसे कई दल चाहते हैं कि आगामी चुनाव में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों का नेतृत्व स्वीकारे। इसी तालमेल के अभाव में दोनों ही चुनाव में विपक्षी एकता तार-तार हुई है। 

भविष्य में भी यही स्थिति जारी रहने के आसार हैं। वह इसलिए कि विपक्ष के पास कोई बड़ा और सर्वस्वीकार्य चेहरा नहीं है। कांग्रेस विपक्ष को अपने नेतृत्व में एकजुट करने पर अडिग है तो कई क्षेत्रीय दल इसे स्वीकार नहीं कर रही है। इसके उलट तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दल कई राज्यों में कांग्रेस का विकल्प बनने की मुहिम चलाए हुए हैं।

शेखावत के बाद राजस्थान से दूसरे उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़, भैरों सिंह शेखावत के बाद राजस्थान से दूसरे उपराष्ट्रपति होंगे। दिग्गज भाजपा नेता शेखावत राजग की पहली सरकार में उपराष्ट्रपति बने थे। बाद में राष्ट्रपति चुनाव में वह राजग के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस की प्रतिभा पाटिल से हार गए थे।

नड्डा ने कहा था किसानपुत्र
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि धनखड़ तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में हैं। उन्होंने जाट नेता को किसानपुत्र करार दिया था।

अनुभव से देश को होगा लाभ

  • मैं हृदय से जगदीप धनखड़ को देश का 14वां उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने की बधाई देता हूं। देश को आपके व्यापक अनुभव और कानूनी विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा। मैं आपके सफल और सार्थक कार्यकाल की कामना करता हूं। -एम वेंकैया नायडू, निवर्तमान उपराष्ट्रपति
  • किसान पुत्र जगदीप धनखड़ का भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होना पूरे देश के लिए हर्ष का विषय है। धनखड़ अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में निरंतर जनता से जुड़े रहे हैं। जमीनी मुद्दों की बारीक समझ और उनके अनुभव का उच्च सदन को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। -अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
  • जगदीप धनखड़ को बधाई। उनका लंबा सार्वजनिक जीवन, व्यापक अनुभव और लोगों के मुद्दों की गहरी समझ निश्चित रूप से देश को लाभान्वित करेगी। मुझे विश्वास है कि वह एक असाधारण उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति होंगे। -राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री

  • जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने पर बधाई। उनके सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं। -शरद पवार, एनसीपी प्रमुख
  • धनखड़ को भारत का 14वां उपराष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई। साझा विपक्ष की भावना का गरिमा के साथ प्रतिनिधित्व करने के लिए मार्गरेट अल्वा जी का आभार। -राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
  • किसान परिवार से उपराष्ट्रपति तक की यात्रा लोकतंत्र के प्रति जन-जन के विश्वास को मजबूत करती है। -योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री यूपी
  • उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचन के लिए जगदीप धनखड़ को हार्दिक बधाई देता हूं। -रामनाथ कोविंद, पूर्व राष्ट्रपति

जीत के साथ ही पैतृक गांव में आतिशबाजी से मना जश्न

  • धनखड़ के उप राष्ट्रपति निर्वाचित होने की खबर मिलते ही उनके पैतृक गांव किठाना (झुंझुनू) में जश्न शुरू हो गया। नतीजा आते ही सभी लोग नाचकर खुशियां मनाने लगे। आतिशबाजी करने लगे। गांव में दीवाली जैसा माहौल हो गया। लोग एक दूसरे को बधाइयां देने लगे। एक दूसरे गले मिलकर बधाई दी गई। महिलाएं ग्रामीण महिलाएं घर खुशी के गीत गा रही थी। घर पर आसपास के गांवों के लोगों का मेला लगा रहा।
  • ग्रामीणों ने कहा कि आज उनके गांव का नाम पूरे देश में रोशन हो गया है। सुबह से ही गांव में पूजा अर्चना का दौर जारी था। अपने लाड़ले के लिए लोग प्रार्थनाएं कर रहे थे। उनकी प्रार्थनाएं रंग लाईं और गांव के बेटे के उपराष्ट्रपति बनने का समाचार मिलते ही मिठाइयां बांटने का दौर शुरू हो गया।

महिला शक्ति
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद परिसर में मतदान करने पहुंचीं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, साध्वी निरंजन ज्योति व भाजपा सांसद दर्शना जरदोश और अन्य महिला सांसद कुछ हल्के-फुल्के पल भी बिताती हुईं नजर आईं।

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