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Messi Bengal Event Chaos: पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री अरूप बिस्वास ने दिया इस्तीफा, ममता बनर्जी ने किया स्वीकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता। Published by: राहुल कुमार Updated Tue, 16 Dec 2025 05:20 PM IST
सार

Messi Bengal Event Chaos:  पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री अरूप बिस्वास ने मेसी इवेंट में हुए कुप्रंबधन के बाद अपने पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई थी। उनके इस्तीफे को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वीकार कर लिया है। 

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West Bengal Sports minister Aroop Biswas seeks to quit after Messi event 'mismanagement'
पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री अरूप बिस्वास। - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित युवा भारती स्टेडियम में प्रसिद्ध फुटबॉलर मेसी के आगमन के दौरान अव्यस्था को लेकर बढ़ते विवाद के बाद पश्चिम बंगाल के खेल व युवा कल्याण मंत्री अरूप बिस्वास ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। अरूप विश्वास के इस्तीफे के बाद उनके मंत्रालय का कार्यभार खुद ममता बनर्जी संभालेंगीं। इसस पहले उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर कहा था कि निष्पक्ष जांच के हित में वह खेल विभाग की जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते हैं।

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कुणाल घोष ने शेयर की इस्तीफे की कॉपी
मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने अरूप के इस्तीफे से जुड़े पत्र को सार्वजनिक किया। पत्र पर तारीख 15 दिसंबर 2025 अंकित है। हालांकि सोशल मीडिया पर साझा किए गए पत्र में अरूप विश्वास के हस्ताक्षर नहीं हैं। इसे लेकर भी कई तरह की बातें चल रही हैं।
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इस्तीफे की पेशकश के तुरंत बाद खेल व युवा कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को नवान्न तलब किया गया। दोपहर में अधिकारी वहां पहुंच भी गए। शनिवार को युवभारती कांड सामने आने के बाद से ही फुटबॉल प्रेमियों के एक बड़े वर्ग के निशाने पर अरूप विश्वास रहे हैं। हालांकि इस्तीफे को लेकर उन्होंने अपने करीबी लोगों से भी कोई औपचारिक बयान नहीं दिया था। बताया जा रहा था कि मंगलवार को एसआईआर की मसौदा मतदाता सूची जारी होने के बाद युवभारती कांड का मुद्दा दब जाएगा, लेकिन इसके उलट चुनाव आयोग द्वारा सूची जारी करने से पहले ही अरूप ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर खेल मंत्री पद से हटने की इच्छा जता दी।

पुलिस प्रशासन के खिलाफ नवान्न की कार्रवाई सामने आने के कुछ ही मिनटों बाद तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने सोशल मीडिया पर अरूप के इस्तीफे का मुद्दा उठाया। पहले उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने इस्तीफे को मंजूरी दे दी है, हालांकि बाद में इस पोस्ट को संशोधित कर लिया गया।

इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कुणाल घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजधर्म का पालन किया है। उन्होंने निष्पक्ष जांच की व्यवस्था की है और सरकार की कार्रवाई साफ तौर पर सामने है। उन्होंने आरोप लगाया कि वाम शासन के दौरान 1980 और 1996 में ईडन गार्डन्स की घटनाओं पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था, जबकि मौजूदा सरकार युवभारती मामले में हर पहलू की गंभीरता से जांच करा रही है।


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डीसीपी अनीश सरकार निलंबित
इससे पहले मेसी के कार्यक्रम में लापरवाही बरतने के मामले में विधाननगर के डीसीपी अनीश सरकार को ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। इस मामले में राज्य के खेल सचिव राजेश कुमार सिन्हा को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा साल्ट लेक स्टेडियम के सीईओ डीके नंदन की सेवाएं वापस ले ली गई हैं।

मेसी के कार्यक्रम के दौरान हुई अव्यवस्था
मुख्य सचिव ने कहा कि इस पूरे मामले की गहन जांच के लिए राज्य सरकार ने चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है। यह टीम साल्ट लेक स्टेडियम में मेसी के कार्यक्रम के दौरान हुई अव्यवस्था और लापरवाही की जांच करेगी।

कब और किस मामले में उपजा विवाद
13 दिसंबर का दिन कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम के लिए कभी न भूलने वाला बन गया। इस दिन फुटबॉल जगत के सबसे बड़े सितारों में से एक लियोनल मेसी पहली बार कोलकाता में मैदान पर उतरे। हजारों की संख्या में फैंस स्टेडियम पहुंचे थे। लोगों ने सिर्फ मेसी की एक झलक पाने के लिए भारी-भरकम टिकट कीमतें चुकाईं, लेकिन जो उम्मीद लेकर आए थे, वही सबसे बड़ी निराशा में बदल गई। मेसी मैदान पर सिर्फ कुछ मिनट ही मौजूद रह सके, जिसके बाद उन्हें सुरक्षा कारणों से स्टेडियम से बाहर ले जाया गया। इसके बाद हालात तेजी से बिगड़ते चले गए।

मेसी के कोलकाता पहुंचे, प्रशंसकों के सब्र का बांध टूटा
जैसे ही लियोनल मेसी मैदान में आए, उन्हें देखने के लिए 100 से ज्यादा लोग एक साथ उनकी ओर दौड़ पड़े। इनमें कई राजनीतिक नेता, गणमान्य व्यक्ति और सुरक्षा कर्मी भी शामिल थे। सुरक्षा घेरा पूरी तरह टूट चुका था। स्टेडियम में मौजूद दर्शकों को दूर से भी मेसी ठीक से नजर नहीं आए। यही वजह रही कि फैंस का गुस्सा बढ़ता चला गया और स्थिति बेकाबू होने लगी। हालात ऐसे बन गए कि आयोजकों को मेसी को मैदान से बाहर ले जाने का फैसला लेना पड़ा।

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