वेंकट रमण रेड्डी: कहानी BJP नेता की, जिसने KCR और रेवंत रेड्डी को दी मात; कांग्रेस से शुरू किया था सियासी सफर
निरंतर एक्सेस के लिए सब्सक्राइब करें
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ सब्सक्राइब्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
विस्तार
तेलंगाना में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बीआरएस की विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई। इसके साथ ही जून 2014 में राज्य के गठन के बाद से ही 10 साल सत्ता में रही बीआरएस का राज खत्म हो गया। इस चुनाव में मुख्यमंत्री खुद कामारेड्डी से चुनाव हार गए। चुनाव के पहले यहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी से कड़ा मुकाबला बताया जा रहा था, लेकिन बाजी भाजपा उम्मीदवार ने 6,741 वोटों से बाजी मारी। इस जीत के साथ मुख्यमंत्री को हराने वाले भाजपा प्रत्याशी केवी रमण रेड्डी की भी खूब चर्चा हो रही है। आइये जानते हैं कि आखिर कौन हैं केवी रमण रेड्डी...
कांग्रेस से शुरू किया सियासी सफर
कटिपल्ली वेंकट रमण रेड्डी का सियासी सफर काफी दिलचस्प रहा है। उन्होंने 2004 में अविभाजित निजामाबाद जिले में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मंडल क्षेत्रीय परिषद का चुनाव जीता था। इसके बाद वह जिला परिषद के अध्यक्ष बन गए। इसके बाद अपना सियासी सफर बीआरएस के साथ आगे बढ़ाया।
पिछले विधानसभा में हाथ लगी निराशा
2018 के तेलंगाना विधानभा चुनाव से ठीक पहले ही रमण रेड्डी बीआरएस छोड़कर भाजपा में आ गए। भाजपा ने पिछली बार भी उन्हें कामारेड्डी सीट से उन्हें उतारा, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे। हालांकि, इस हार के बाद रमण चुप नहीं बैठे अपनी विधानसभा में ग्रामीणों का समर्थन जुटाया। खुद आगे बढ़कर उन्होंने सामुदायिक भवन बनवाए।
किसानों की लड़ाई को आगे बढ़कर लड़ा
इसके अलावा वह कामारेड्डी टाउन ड्राफ्ट मास्टर प्लान के खिलाफ किसानों की लड़ाई में भी सबसे आगे थे। इस प्लान में शहर से सटे आठ गांवों में लगभग 2,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने का प्रस्ताव था। इस साल की शुरुआत में इस प्रस्ताव को ग्रामीणों के व्यापक आक्रोश का सामना करना पड़ा था और चुनाव से पहले सरकार को मास्टर प्लान को हटाने का फैसला किया। इन गांवों के किसान चाहते थे कि सरकार उनकी कृषि भूमि के बजाय बंजर भूमि की तलाश करे।
ऐसे बनाई अपनी पकड़
कामारेड्डी में जीत हासिल करने वाले कटिपल्ली वेंकट रमण रेड्डी को उनकी कई सेवा गतिविधियों के लिए लोगों के बीच अच्छी पहचान मिली। पेशे से व्यापारी ने अपने पिता के नाम पर एक ट्रस्ट की स्थापना की और कई विकास कार्य किए। इसके अलावा स्कूलों और कॉलेजों को भी संपत्तियां दान में दीं। वहीं चुनाव में अपना घोषणापत्र जारी कर जनता के बीच जाकर बताया था कि वे किस गांव में क्या करेंगे।
स्थानीय मुद्दे की वजह से मिली जीत
रमण रेड्डी की जीत का एक अन्य कारण यह माना जाता है कि वह केसीआर और रेवंत रेड्डी के उलट स्थानीय नेता हैं। पूरे चुनाव में रमण ने रेवंत और केसीआर को बाहरी बताया। इसके अलावा अपना घोषणापत्र जारी कर जनता के बीच जाकर बताया था कि वह किस गांव में क्या करेंगे। यही कुछ कारण थे जिसकी वजह से रमण ने मुख्यमंत्री और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार को पटखनी दी।
49 करोड़ रुपये की संपत्ति रखते हैं भाजपा नेता
53 वर्षीय भाजपा नेता ने अपने हलफनामे में बताया है कि वह 12वीं पास हैं। उन्होंने 1987 में कामारेड्डी में इंटरमीडिएट एमपीसी कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस में 12वीं की पढ़ाई की। उनके पास 49 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। रमण के पास बेंज सीडीआई कार है, जिसकी कीमत 50 लाख रुपये है। भाजपा नेता के पास 32 लाख रुपये से ज्यादा के सोने के आभूषण हैं। उनके खिलाफ 11 आपराधिक मामले भी दर्ज हैं।