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Amit Shah on 3 Vote Chori: अमित शाह ने वोट चोरी की कौन-सी तीन घटनाएं बताईं? कहा- नेहरू का पीएम बनना पहली घटना

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Wed, 10 Dec 2025 05:42 PM IST
सार

लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोप पर कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कांग्रेस के समय हुई तीन घटनाओं का भी जिक्र किया। जानिए वोट चोरी की तीन घटनाएं...

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Winter Session: Amit Shah listed three instances of alleged vote theft by Congress
अमित शाह - फोटो : Amar Ujala Graphics
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विस्तार
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संसद में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने वाले विपक्ष को अमित शाह ने बुधवार को इतिहास के आईने में झांकने की नसीहत दे डाली। सरकार पर लग रहे 'वोट चोरी' के आरोपों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने बहस का रुख 1947 के उस दौर की ओर मोड़ दिया, जब कांग्रेस के भीतर प्रधानमंत्री पद के चुनाव में 28 प्रांतीय अध्यक्षों ने सरदार पटेल को चुना था, मगर सत्ता का हस्तांतरण पंडित नेहरू के पक्ष में हुआ। शाह ने इसे देश में हुई पहली वोट चोरी करार दिया। आगे गृह मंत्री ने इंदिरा गांधी-राजनारायण और सोनिया गांधी से जुड़े मामलों का जिक्र किया।

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अमित शाह ने वोट चोरी की तीन घटनाएं गिनाईं-

पहली घटना
अमित शाह ने कहा कि वोट चोरी की तीन घटनाएं बताना चाहता हूं। शाह बोले, "जब आजादी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए वोटिंग चल रही थी, तब सरदार पटेल को 28 वोट मिले और जवाहरलाल नेहरू को दो वोट। लेकिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बन गए। यह भी अपने आप में एक तरह की वोट चोरी थी।"

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दूसरी घटना
वोट चोरी की दूसरी घटना का जिक्र करते हुए अमित शाह ने इंदिरा गांधी के दौर का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनी गईं। इसके विरोध में हाईकोर्ट में राजनारायण जी पहुंचे। इलाहबाद हाईकोर्ट ने तय कर दिया कि इंदिरा गांधी ने उचित तरीके से चुनाव नहीं जीता। ये भी वोट चोरी थी। उसके बाद क्या हुआ। उसके बाद वोट चोरी को ढकने के लिए संसद में कानून लाया गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई केस नहीं हो सकता। मैं विपक्ष के नेता से कहना चाहता हूं कि इम्युनिटी की बात आप चुनाव आयोग को लेकर कह रहे हैं, लेकिन जो इम्युनिटी इंदिरा जी ने स्वयं के लिए ली थी उस पर आपका क्या कहना है।"

तीसरी घटना में सोनिया का जिक्र
श्रीमती गांधी ने अपने आप को इम्युनिटी दी। फिर जब संवैधानिक सुधार का वायरस चढ़ा तो उन्होंने दो, तीन, चार नंबर के जज को बायपास करते हुए जज को सुपरसीड कर लिया और चीफ जस्टिस बता दिया। यह इतिहास तो रिकॉर्ड पर है। योग्यता नहीं लेकिन मतदाता बन गए। अभी अभी एक वाद पहुंचा है दिल्ली की सिविल अदालत में कि सोनिया गांधी इस देश की नागरिक बनने से पहले मतदाता बनीं। मैंने तथ्यात्मक बात कही है। इसका जवाब अदालत में देना है यहां नहीं। यहां जवाब क्यों दे रहे हैं।


 

अमित शाह आगे क्या बोले- 

विपक्ष के आरोपों पर आक्रामक जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, "कल विपक्ष के नेता ने तीन सवाल पूछे थे और चार सुझाव दिए थे। पहले सवाल के जवाब में मैं बताना चाहता हूं कि 73 वर्ष तक देश में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कोई कानून ही नहीं था। नियुक्ति प्रधानमंत्री सीधे कर देते थे। मैं आज पूरे देश को बताना चाहता हूं कि कुल अब तक जितने चुनाव आयुक्त बने और जितने मुख्य चुनाव आयुक्त हुए। ये सभी इसी प्रकार से आए। 1950 से 1989 तक चुनाव आयोग एक सदस्यीय था। कोई कानून नहीं था। प्रधानमंत्री जी फाइल भेजते थे राष्ट्रपति जी को और वो फाइल अप्रूव हो जाती थी। पूरे 55 साल प्रधानमंत्री जी ने चुनाव आयुक्त को नियुक्त किया। तब कोई सवाल नहीं था। लेकिन पीएम मोदी कुछ करते हैं तो उन पर सवाल। हम तो ऐसा करते भी नहीं हैं।"

चुनाव आयुक्त के चुनाव पर विपक्ष के हमले का शाह ने दिया यह जवाब

कांग्रेस पर हमलावर अमित शाह ने कहा कि विपक्ष चुनाव आयुक्त के चुनाव के लिए बने पैनल पर सवाल उठा रहा है। पर हमने तो चुनाव आयुक्त के चुनाव के लिए पैनल को बहुसदस्यीय बनाया।  शाह ने कहा, "कांग्रेस पार्टी ने पुरानी परंपरा बनाई थी। लेकिन अब आरोप लगा रहे हैं कि वोट चोरी कर लिया, चुनाव चोरी कर लिया। 1950 से 2023 तक कोई कानून नहीं था और 2023 में एक मुकदमा हुआ। इसमें सुझाव आया कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में पारदर्शिता होनी चाहिए। हमारे सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसमें थोड़ा समय लगेगा। हमें इस पर चर्चा करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक कानून नहीं बनता तब तक चीफ जस्टिस की अध्यक्ष में समिति बने, इसमें प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता हों।"

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