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Child Rights: बच्चों के साथ संवाद सत्र में शामिल हुए सांसद, खेलों के जरिए समावेश और समानता का किया आह्वान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Wed, 16 Nov 2022 09:00 PM IST
सार
बच्चों द्वारा रखी गई मांगों के जवाब में सांसदों ने पंचायत, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलों की अधिक से अधिक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बारे में बात की।
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Members of Parliament renew commitment to Child Rights
- फोटो : Unicef
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विस्तार
बच्चों के लिए संसदीय समूह (पार्लियामेंटेरियन्स ग्रुप फॉर चिल्ड्रेन- पीजीसी) ने आज विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों के साथ बच्चों के एक संवादात्मक सत्र की मेजबानी की। बाल अधिकार सप्ताह के अवसर पर 35 सांसदों ने बच्चों को खेल के माध्यम से भेदभाव का मुकाबला करने में अपने अनुभवों को साझा करते हुए सुना और सभी बच्चों के लिए समावेश और समानता का आह्वान किया। इस वर्ष विश्व बाल दिवस का फोकस खेलों के जरिए समावेश, समानता और गैर-भेदभाव को बढ़ावा देने के एक शक्तिशाली साधन पर है। खेल बच्चों में नेतृत्व, अनुशासन, टीम वर्क, सहिष्णुता, कड़ी मेहनत और सहयोग जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल विकसित करने में मदद करते हैं।
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गौरव गोगोई बोले, बच्चों को ऐसा जीवन मिले जिसके वो हकदार
सत्र की शुरुआत करते हुए सांसद और पीजीसी के अध्यक्ष गौरव गोगोई ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि हमारा देश तभी मजबूत होता है जब हर बच्चे को ऐसा जीवन मिले जिसके वे हकदार हैं। जाति, धर्म, सेक्सुअल ओरिएंटेशन और आय स्तर उनकी आशाओं को प्रभावित न करें और बच्चों के सभी सपने साकार हों। हमारा मानना है कि देश के प्रत्येक बच्चे को समान अवसरों के साथ एक सुरक्षित और संरक्षित बचपन मिलना चाहिए, विशेष रूप से सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले बच्चों को। भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक शोम्बी शार्प ने सांसदों को संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह बाल अधिकारों का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया।
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विभिन्न राज्यों के पांच बच्चों ने दृढ़ संकल्प, आशा और लचीलेपन की कहानियों को साझा किया। मेघालय की सत्रह वर्षीय जोलीना मारक, डीफ्लैम्पिक्स में स्वर्ण पदक विजेता मध्य प्रदेश की 15 वर्षीय गुरांशी शर्मा, राजस्थान की 15 वर्षीय फुटबॉलर निशा, मुंबई के 16 वर्षीय मकसूद और तेलंगाना के 14 वर्षीय एथलीट बलविंदर सिंग ने सांसदों से खेल के बेहतर बुनियादी ढांचे और प्रतिस्पर्धी खेलों में भाग लेने के अवसरों की अपील की। बच्चों द्वारा रखी गई मांगों के जवाब में सांसदों ने पंचायत, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलों की अधिक से अधिक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बारे में बात की।
सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा, बच्चों के प्रति समाज की जिम्मेदारी
ओडिशा से लोकसभा सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा, बच्चों के प्रति समाज की जिम्मेदारी है। आलमारी में रखा बीज विकसित नहीं हो सकता, यदि उसे सही ढंग से बोया जाए तो वह हजारों लोगों को आश्रय और फल देने वाला एक विशाल वृक्ष बन जाएगा। हमारे बच्चे संभावित दिग्गज हैं, और हमें उन्हें चमकने का हर मौका देना चाहिए। ओडिशा से राज्यसभा सांसद सुजीत कुमार ने बच्चों के दृढ़ संकल्प से प्रेरित थे और अपने निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के लिए अपने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) से 10 प्रतिशत खर्च करने के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने अन्य सांसदों को भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में खेलों में बच्चों की भागीदारी बढ़ाने के लिए एमपीलैड से धन देने के लिए प्रोत्साहित किया।
झारखंड से राज्यसभा सांसद डॉ. महुआ मांझी, हरियाणा से लोकसभा सांसद सुनीता दुग्गल, झारखंड से लोकसभा सांसद सुनील सिंह, असम से लोकसभा सांसद दिलीप सैकिया और महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद डॉ. फौजिया खान ने भी बच्चों का समर्थन करने पर भावुक होकर बात की और खेल और बाल भागीदारी को बढ़ावा देने वाली नीतियों के बेहतर कार्यान्वयन की वकालत की। बच्चों के एक समूह ने लैंगिक भूमिकाओं पर एक विचारोत्तेजक नाटक का प्रदर्शन किया जिसमें बच्चों, विशेषकर लड़कियों की क्षमता को प्रतिबंधित करने का मुद्दा उठाया गया। इस दौरान बच्चों को प्रोत्साहित किया गया कि वे अपने अधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए 1098 चाइल्डलाइन पर संपर्क करें।