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Kathua News: लापरवाही से वाहन चलाने पर मौत मामले में आरोपी बरी
संवाद न्यूज एजेंसी, कठुआ
Updated Mon, 08 Dec 2025 03:00 AM IST
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अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में रहा विफल
आरोपी के जमानती और व्यक्तिगत बांड को रद्द करने का निर्देश
कठुआ। विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट ने आठ साल पुराने लापरवाही से वाहन चलाने पर मौत के मामले में आरोपी को बरी कर दिया है। आदेश के अनुसार अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा। इसके अलावा आरोपी के जमानती और व्यक्तिगत बांड को रद्द करने का निर्देश दिया है।
अनिल कुमार वर्मा पुत्र छत्तरपाल निवासी छत्तीसगढ़ वर्तमान में लोगेट मोड़ कठुआ पर 27 मई 2018 को लापरवाही से वाहन चलाते हुए व्यक्ति की मौत का मामला दर्ज किया था। इसके बाद कठुआ पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरपीसी की धारा 279, 304-ए के तहत मामला दर्ज कर चालान को 29 जुलाई 2019 को कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट में अभियुक्त ने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमा चलाने की मांग की। इसके बाद अभियोजन पक्ष को साक्ष्य पेश करने का निर्देश दिया था। आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने कुल 17 गवाहों की सूची कोर्ट में प्रस्तुत की थी। इनमें से केवल पांच गवाहों के बयान दर्ज किए गए और किसी भी गवाह ने आरोपी के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष या आपराधिक बयान नहीं दिया। लिहाजा आरोपी को मामले से बरी करने की अपील की गई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कई अवसर दिए गए लेकिन वे अन्य गवाहों को पेश करने में असफल रहे। यहां तक कि मामले के जांच अधिकारी का बयान भी दर्ज नहीं किया गया। इस आधार पर अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया। इसके बाद कोर्ट साक्ष्य के अभाव में आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया है।
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आरोपी के जमानती और व्यक्तिगत बांड को रद्द करने का निर्देश
कठुआ। विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट ने आठ साल पुराने लापरवाही से वाहन चलाने पर मौत के मामले में आरोपी को बरी कर दिया है। आदेश के अनुसार अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा। इसके अलावा आरोपी के जमानती और व्यक्तिगत बांड को रद्द करने का निर्देश दिया है।
अनिल कुमार वर्मा पुत्र छत्तरपाल निवासी छत्तीसगढ़ वर्तमान में लोगेट मोड़ कठुआ पर 27 मई 2018 को लापरवाही से वाहन चलाते हुए व्यक्ति की मौत का मामला दर्ज किया था। इसके बाद कठुआ पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आरपीसी की धारा 279, 304-ए के तहत मामला दर्ज कर चालान को 29 जुलाई 2019 को कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट में अभियुक्त ने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमा चलाने की मांग की। इसके बाद अभियोजन पक्ष को साक्ष्य पेश करने का निर्देश दिया था। आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने कुल 17 गवाहों की सूची कोर्ट में प्रस्तुत की थी। इनमें से केवल पांच गवाहों के बयान दर्ज किए गए और किसी भी गवाह ने आरोपी के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष या आपराधिक बयान नहीं दिया। लिहाजा आरोपी को मामले से बरी करने की अपील की गई।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कई अवसर दिए गए लेकिन वे अन्य गवाहों को पेश करने में असफल रहे। यहां तक कि मामले के जांच अधिकारी का बयान भी दर्ज नहीं किया गया। इस आधार पर अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया। इसके बाद कोर्ट साक्ष्य के अभाव में आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया है।