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Kathua News: लावारिस कुत्तों की रिपोर्टिंग के लिए शिक्षकों को नोडल अधिकारी बनाए जाने का जेकेटीएफ ने किया विरोध
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कठुआ। लावारिस कुत्तों की रिपोर्टिंग के लिए शिक्षकों को नोडल अधिकारी बनाए जाने पर जम्मू और कश्मीर टीचर्स फोरम (जेकेटीएफ) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सोमवार को कठुआ में आयोजित पत्रकारवार्ता के दौरान फोरम के पदाधिकारियों ने इस फैसले को शिक्षकों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला और हतोत्साहित करने वाला बताया।
फोरम के प्रवक्ता सुभाष शर्मा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जारी निर्देशों के तहत सरकारी कर्मचारियों को अपने-अपने स्कूलों और इलाकों में लावारिस कुत्तों की मौजूदगी की रिपोर्ट करने के लिए तैनात किया जा रहा है। इस निर्णय से शिक्षकों में गहरी नाराजगी और असंतोष फैल गया है। मौजूदा परिदृश्य काे देखते हुए फोरम के संरक्षक गणेश खजूरिया के मार्गदर्शन में हुई पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि शिक्षकों को लावारिस कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी बनाना उनकी मूल जिम्मेदारी शिक्षण कार्य से पूरी तरह अलग है। इससे छात्रों की शैक्षणिक प्रगति को अपूर्णीय नुकसान होगा।
फोरम के प्रांतीय उपाध्यक्ष गुरनाम सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान जताते हुए कहा कि शिक्षकों को पहले से ही चुनाव ड्यूटी, सर्वेक्षण, जनगणना और मिड-डे मील जैसी गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियों में उलझाया गया है। अब लावारिस कुत्तों की रिपोर्टिंग का काम सौंपना विद्यार्थियों के भविष्य के लिए घातक होगा। लिहाजा इस फैसले की समीक्षा की जरूरत है।
इस मौके पर जम्मू और कश्मीर टीचर्स फोरम कठुआ जिला इकाई के अध्यक्ष रछपाल चौधरी ने इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ऐसी जिम्मेदारियां वन्यजीव विभाग, नगर निगम, पंचायत समितियों, पशुपालन और स्वास्थ्य विभागों को सौंपी जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त नहीं किया गया तो टीचिंग कम्युनिटी निर्णायक संघर्ष शुरू करने के लिए मजबूर होगी।
उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर टीचर्स फोरम सरकार से तत्काल पुनर्विचार करने की अपील करती है। इसके साथ ही मांग करती है कि शिक्षण कैडर को केवल शैक्षणिक कार्यों तक ही सीमित रखा जाए। लेकिन इसके बाद भी यदि फोरम की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो शिक्षकों का आंदोलन तेज किया जाएगा।
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फोरम के प्रवक्ता सुभाष शर्मा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जारी निर्देशों के तहत सरकारी कर्मचारियों को अपने-अपने स्कूलों और इलाकों में लावारिस कुत्तों की मौजूदगी की रिपोर्ट करने के लिए तैनात किया जा रहा है। इस निर्णय से शिक्षकों में गहरी नाराजगी और असंतोष फैल गया है। मौजूदा परिदृश्य काे देखते हुए फोरम के संरक्षक गणेश खजूरिया के मार्गदर्शन में हुई पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि शिक्षकों को लावारिस कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी बनाना उनकी मूल जिम्मेदारी शिक्षण कार्य से पूरी तरह अलग है। इससे छात्रों की शैक्षणिक प्रगति को अपूर्णीय नुकसान होगा।
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फोरम के प्रांतीय उपाध्यक्ष गुरनाम सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान जताते हुए कहा कि शिक्षकों को पहले से ही चुनाव ड्यूटी, सर्वेक्षण, जनगणना और मिड-डे मील जैसी गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियों में उलझाया गया है। अब लावारिस कुत्तों की रिपोर्टिंग का काम सौंपना विद्यार्थियों के भविष्य के लिए घातक होगा। लिहाजा इस फैसले की समीक्षा की जरूरत है।
इस मौके पर जम्मू और कश्मीर टीचर्स फोरम कठुआ जिला इकाई के अध्यक्ष रछपाल चौधरी ने इस फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ऐसी जिम्मेदारियां वन्यजीव विभाग, नगर निगम, पंचायत समितियों, पशुपालन और स्वास्थ्य विभागों को सौंपी जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त नहीं किया गया तो टीचिंग कम्युनिटी निर्णायक संघर्ष शुरू करने के लिए मजबूर होगी।
उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर टीचर्स फोरम सरकार से तत्काल पुनर्विचार करने की अपील करती है। इसके साथ ही मांग करती है कि शिक्षण कैडर को केवल शैक्षणिक कार्यों तक ही सीमित रखा जाए। लेकिन इसके बाद भी यदि फोरम की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो शिक्षकों का आंदोलन तेज किया जाएगा।