Leh: वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लेह में उबाल, हिंसा के पाचवें दिन कर्फ्यू में ढील, बाजार खुले पर तनाव बरकरार
लेह में हिंसक झड़पों के पाचवें दिन कर्फ्यू में आंशिक ढील दी गई, जबकि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद पूरे लद्दाख में तनाव बना हुआ है। हिंसा, पुलिस की गोलीबारी, राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और युवाओं की गिरफ्तारी ने हालात को और संवेदनशील बना दिया है।

विस्तार
शनिवार से लेह में कर्फ्यू में थोड़ी ढील दी गई। दुकानें खोली गईं। सख्त प्रशासनिक नियंत्रण और कड़ी सुरक्षा के बीच आवाजाही की अनुमति दी गई है। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद जिले भर में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। अर्धसैनिक बल और स्थानीय पुलिस संवेदनशील इलाकों में कड़ी निगरानी रख रहे हैं। जिला प्रशासन ने किराना और सब्जी की दुकानों को सीमित समय के लिए खोलने की अनुमति दी है। इसके तहत लेह शहर के बाजारों को दोपहर एक बजे से तीन बजे तक खोला गया। आसपास के इलाकों की दुकानों को दोपहर तीन बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक खोलने की इजाजत दी गई है।

प्रशासन के इस निर्णय से लोगों को राहत मिली है। लोग बाजारों में निकले और जरूरी सामान की खरीदारी की। वे अशांति के बाद लगाए गए कर्फ्यू के कारण तीन दिनों से आवश्यक वस्तुओं के लिए परेशान हो रहे थे।
अधिकारियों ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से दुकानें खोलने की मंजूरी लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए सामान्य स्थिति बहाल करने का प्रयास है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और कानून व्यवस्था की स्थिति के बीच संतुलन बनाने के लिए कर्फ्यू को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। लेह में स्थिति अभी तनावपूर्ण बनी हुई है।
शैक्षणिक संस्थान अभी बंद रहेंगे
लेह जिले में बाजार आंशिक रूप से खुल गए हैं लेकिन सभी शैक्षणिक संस्थान अभी बंद हैं। इन्हें फिर से खोलने के संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है। प्रतिबंध अभी लागू हैं।
चंडीगढ़ में भी उठी लद्दाख के लिए आवाज
चंडीगढ़ में भी शनिवार को लद्दाख के लिए आवाज उठी। ऑल लद्दाख स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन चंडीगढ़ के आह्वान पर विभिन्न राज्यों व संगठनों के छात्र पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में एकत्रित हुए। उन्होंने लेह में हिंसा की निंदा करते हुए प्रदर्शन किया।
मारे गए प्रदर्शनकारियों के परिजन के प्रति शोक संवेदना जताई। अन्य छात्र संगठनों ने भी लद्दाख के लिए न्याय की मांग उठाई। छठी अनुसूची के तहत सांविधानिक सुरक्षा उपायों और पूर्ण राज्य के दर्जे के माध्यम से लोकतंत्र की बहाली के लिए लद्दाख के संघर्ष के साथ एकजुटता प्रदर्शित की। लद्दाख के लोगों की मांगों को जायज बताते हुए उन्होंने कहा, इन्हें पूरा किया जाए।
पुलिस आत्मरक्षा के लिए गोली न चलाती तो लेह जल जाता; डीजीपी
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डॉ. एसडी जम्वाल ने लेह में हिंसक प्रदर्शन के बाद चौथे दिन गोलीबारी पर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि पुलिस अपनी आत्मरक्षा में गोली न चलाती तो पूरा लेह जल जाता। इस गोलीबारी में तीन युवकों समेत चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी।
शनिवार को मीडिया से बातचीत में डीजीपी ने कहा कि हिंसा भड़काने में नेपाली नागरिकों समेत बाहरी तत्वों की भूमिका की जांच हो रही है। प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग के आरोपों का जवाब देते हुए जम्वाल ने कहा कि हमारे कर्मियों पर हिंसक हमला किया गया।
एक सीआरपीएफ जवान अभी भी रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण सेना के अस्पताल में उपचाराधीन है। चार महिला पुलिस अधिकारी उस वक्त भाजपा कार्यालय में फंसी हुई थीं, जब उसे आगजनी का निशाना बनाया जा रहा था। ऐसे में एसओपी के अनुसार ही जान बचाने के लिए गोलीबारी की गई।
लेह हिंसा को लद्दाख के इतिहास में पहली घटना करार देते हुए जम्वाल ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इस झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी। 70 से ज्यादा नागरिक घायल हो गए। 17 सीआरपीएफ जवान और 15 पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए थे।
डीजीपी ने लद्दाख के युवाओं से अफवाहों और बाहरी लोगों के प्रभाव में आने से बचने की अपील की। उन्होंने कहा कि लद्दाख पुलिस हमेशा उनके साथ खड़ी है। उन्होंने युवाओं से अपनी ऊर्जा आगामी सरकारी सेवाओं की भर्तियों में लगाने का आग्रह किया।
पुलिस रंगरूटों की पीओपी को हिंसा की वजह से रोकना पड़ा
लद्दाख के डीजीपी एसडी सिंह जम्वाल ने कहा कि लद्दाख में युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 1800 पदों पर भर्ती निकाली गई है और जल्द ही पुलिस भर्ती अभियान चलाया जाना था। यहां तक कि पांच सौ पुलिस रंगरूटों की पासिंग आउट परेड प्रस्तावित थी जिसे हिंसा की वजह से स्थगित करना पड़ा।
लद्दाख के युवाओं के साथ हर स्थिति में खड़े रहने की बात दोहराते हुए जम्वाल ने कहा कि पिछले महीने जब बाढ़ और भूस्खलन हुआ था, तब हमारे बल ने दिन-रात काम किया। उससे पहले मार्च में चांगला दर्रे पर 200-300 वाहन बर्फ में फंस गए थे। पुलिस ने पूरी रात लोगों को सुरक्षित निकालने में बिताई। उन्होंने लद्दाख में शांति बनाए रखने में युवाओं का सहयोग मांगा और कहा कि हम चाहते हैं कि आप पुलिस बल में शामिल हों। पुलिस भर्ती अभियान की योजना इसीलिए बनाई जा रही है।
वांगचुक का समर्थक जोधपुर सेंट्रल जेल के बाहर से धरा
सोनम वांगचुक का समर्थक होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति को शनिवार को पुलिस ने जोधपुर सेंट्रल जेल के बाहर से हिरासत में ले लिया। वह लेह हिंसा के मामले में एनएसए के तहत जोधपुर जेल में बंद सोनम वांगचुक के समर्थन में नारेबाजी कर रहा था।
राजस्थान के चूरू जिले का निवासी विजय पाल नाम का यह व्यक्ति जेल के पास मीडियाकर्मियों के सामने हाथ में तिरंगा लिए हुए आया। यहां उसने भारत माता की जय का नारा लगाते हुए वांगचुक के साथ एकजुटता प्रदर्शित की। इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। पुलिस थाना प्रभारी दिनेश लखावत ने विजय पाल को हिरासत में लिए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि वह एक सामान्य व्यक्ति होने का दावा कर रहा है। फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। अभी तक उसके पास से कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है।
उधर, पाल ने पुलिस के सामने सोनम वांगचुक और लेह-लद्दाख को देशभक्त करार देते हुए कहा कि इन्हीं लोगों ने भारतीय सेना को कारगिल घुसपैठ की सूचना दी थी। जब मुझे पता चला कि वांगचुक को जोधपुर लाया गया है तो मैं सुबह साइकिल से सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन गया। वहां से ट्रेन पकड़कर जोधपुर आ गया।
राजनीतिक प्रतिनिधियों व युवा नेताओं ने कोर्ट में किया सरेंडर
लेह हिंसा के बाद पुलिस जांच में नामजद कई युवा नेताओं और राजनीतिक प्रतिनिधियों ने शनिवार को लेह कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इनमें से 4 आरोपियों को पुलिस जबकि अन्य को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
बार एसोसिएशन ने इन सभी आरोपियों को मुफ्त कानूनी सहायता मुहैया कराए जाने की घोषणा की है। अदालत में आत्मसमर्पण करने वालों में लद्दाख बौद्धिस्ट एसोसिएशन (एलबीए) युवा विंग के अध्यक्ष जिग्मत रबस्तान, अंजुमन इमामिया युवा विंग के अध्यक्ष इम्तियाज हुसैन, अंजुमन मोइन-उल-इस्लाम के अध्यक्ष इरफान बर्दी, साथ ही अन्य परिषद सदस्य और युवा नेता शामिल हैं। पुलिस हिरासत में जेल भेजे जाने वालों में काउंसलर स्मानला दोरजे नूरबू, स्टैनजिन त्सेपाग, एलबीए उपाध्यक्ष त्सेवांग रिग्जिन और नंबरदार त्सेवांग दोरजे शामिल हैं।
बार एसोसिएशन लेह के अध्यक्ष मोहम्मद शफी लस्सू ने इस मामले में कई निर्दोष लोगों जिनमें कई बाहरी मजदूर और राहगीर भी शामिल हैं, को गिरफ्तार किए जाने पर चिंता जताई। पुलिस ने इन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 192, 351, 109 और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है जिनमें से कुछ धाराएं गैर-जमानती हैं। कई आरोपियों ने मामले में उनका नाम गलत बताए जाने का भी आरोप लगाया। कहा कि कोर्ट के सामने उनका स्वेच्छा से आत्मसमर्पण लद्दाख के लिए सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे व्यापक आंदोलन के साथ एकजुटता का एक उदाहरण था। लस्सू ने कहा कि यह सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि न्याय और निष्पक्षता का भी मामला है। हम सुनिश्चित करेंगे कि हर आरोपी को उचित कानूनी प्रतिनिधित्व मिले।
हिरासत वालों की हर आठ घंटे में जांच होगी
बार एसोसिएशन ने हिरासत में ज्यादती को रोकने के लिए पुलिस हिरासत में भेजे गए चारों आरोपियों की हर छह घंटे में मेडिकल जांच की मांग की थी जिस पर अदालत ने हर आठ घंटे में जांच की बात को स्वीकार कर लिया। बार एसोसिएशन के किसी भी पूछताछ या हिरासत प्रक्रिया के दौरान एक वकील मौजूद रहने की शर्त को भी मान लिया गया।
गोलीबारी की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग
बार एसोसिएशन ने हिंसा की जवाबदेही तय करने के लिए मजिस्ट्रेट की निगरानी में एक स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग भी की। एसोसिएशन के अध्यक्ष लस्सू ने गिरफ्तार नेताओं को राष्ट्र-विरोधी बताने वाले आरोपों का भी खंडन किया। कहा कि ऐसे बयान न केवल प्रमुख जनप्रतिनिधियों की छवि खराब करते हैं बल्कि लद्दाख और देश को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
सोनम की गिरफ्तारी से लद्दाख में आक्रोश
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से लद्दाख में आक्रोश है। तमाम राजनीतिक नेताओं, स्थानीय प्रतिनिधियों और संगठनों ने इस कदम की तीखी आलोचना की है। लेह में 24 सितंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद लद्दाख में चल रहे आंदोलन से निपटने के तरीके पर बहस को और तेज कर दिया है।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष नवांग रिगजिन जोरा ने वांगचुक की गिरफ्तारी अनुचित करार दिया। एक बयान में जोरा ने कहा कि वांगचुक की एकमात्र गलती यह थी कि उन्होंने लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा दिलाने के अपने चुनावी वादे के लिए भाजपा को जवाबदेह ठहराया। उन्होंने सरकार पर प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों के जरिये वांगचुक और उनके संस्थानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार पर सोनम वांगचुक जैसे लोगों को कॉर्पोरेट हितों की बलि चढ़ाए जाने का भी आरोप जड़ा।
नेशनल अलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट्स ने एक बयान जारी कर वांगचुक की गिरफ्तारी और लद्दाख आंदोलन से निपटने के सरकार के तरीके की निंदा की। उसने वांगचुक की तत्काल रिहाई के साथ ही एनएसए के आरोपों को हटाने और हाल ही में हुई हिंसा के दौरान युवाओं की हत्याओं की न्यायिक जांच की भी मांग की। कहा कि शांतिपूर्ण जन आंदोलनों को दबाने और उन पर प्रहार करने से अक्सर हिंसा होती है।
लद्दाख की अस्थिर स्थिति के लिए केंद्र जिम्मेदार : रूहुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के लोकसभा सांसद आगा सैयद रूहुल्ला मेहदी ने शनिवार को कहा कि लद्दाख की अस्थिर स्थिति के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, हिंसा का इस्तेमाल वहां के लोगों की छवि खराब करने के लिए किया जा रहा है। लद्दाख के लोग पांच वर्षों से शांतिपूर्ण तरीके से राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे थे लेकिन उनकी अपील अनसुनी कर दी गई। केंद्र ने उनकी मांगों और शांतिपूर्ण प्रयासों की जरा भी परवाह नहीं की। सबसे बड़े दोषी दिल्ली में बैठे लोग हैं जो फैसले तो लेते हैं लेकिन लोगों की शांतिपूर्ण ढंग से कही जा रही बातों को नहीं सुनते।
गांदरबल के सोनमर्ग में पत्रकारों से बात करते हुए श्रीनगर से लोकसभा सांसद ने कहा कि लेह के लोगों के साथ हैं। अगर वे जम्मू-कश्मीर में फिर से शामिल होना चाहते हैं तो हम उनके साथ हैं। अगर वे छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा और राज्य का दर्जा चाहते हैं तो हम उनके साथ हैं। सांसद ने कहा, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और अनुच्छेद 370 को बहाल करने की मांग
जारी है।
केंद्र जम्मू-कश्मीर के लोगों की बात सुने
सांसद ने कहा, जम्मू-कश्मीर के लोग शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आकांक्षाओं और अधिकारों के बारे में बात करते हैं तो यह देश हित में है। दिल्ली में बैठी सरकार भी जम्मू-कश्मीर के लोगों की बात सुने और उनकी मांगें पूरी करे। मेहदी ने जम्मू-कश्मीर में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयान का स्वागत किया। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पिछले साल के विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए वोट दिया था। पार्टी ने भाजपा को दूर रखने के लिए वोट मांगे थे और अब हमें वादे निभाने होंगे।
हिंसा में कांग्रेस पार्षद का हाथ नहीं : रविंदर
कांग्रेस ने लद्दाख की हिंसा भड़काने के पीछे पार्टी के पार्षद की भूमिका से इन्कार किया है। कांग्रेस ने दावा किया है कि जो फोटो वायरल की गई है वो पुरानी है। जिस दिन हिंसा हुई पार्षद लद्दाख से बाहर थे। यह बात कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने कही है।
शनिवार को जम्मू में मीडिया से बातचीत में शर्मा ने बताया कि भाजपा की पोल खुल गई है। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को हिंसा के बाद गिरफ्तार किया गया जबकि वे काफी समय से भूख हड़ताल पर थे। केंद्र सरकार के पास उनके खिलाफ इतने सुबूत थे तो हिंसा होने से पहले उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, भाजपा अब इस हिंसा का ठीकरा कांग्रेस और सोनम वांगचुक की संस्था पर फोड़ना चाह रही है। उन्होंने कहा कि जिस समय चुनाव हुए थे, लद्दाख के लोगों से छठी अनुसूचि समेत अन्य वादे किए गए लेकिन वादों को पूरा नहीं किया गया। लद्दाख के लोग लंबे समय से साजिशों का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने यहां युवाओं की मांग पर गौर नहीं किया तो यह प्रदर्शन हिंसा में तबदील
हो गया।
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला ने कहा, लद्दाख में शांति बहाल करने के लिए प्रयास करने होंगे। हिंसा से युवाओं की मौत हुई है। इस हिंसा में भाजपा का असली चेहरा भी सामने आ गया है।
लद्दाख में फंसे घूमने के लिए आए ऑस्ट्रेलिया के पर्यटक
लद्दाख के खूबसूरत नजारों का आनंद लेने आए कई पर्यटकों की छुट्टियां बुधवार से लगे लेह में लगे कर्फ्यू के बाद अनिश्चितता में बदल गई हैं। एक ऑस्ट्रेलियाई पर्यटक ने प्रशासन की ओर से जानकारी न दिए जाने पर दुख जताया है।
ऑस्ट्रेलियाई नागरिक अमांडा वी.वारवोक्स वीरवार को लेह पहुंची थीं। अपने होटल तक सीमित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से स्पष्ट जानकारी नहीं मिलने के कारण पर्यटकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अमांडा ने बताया यह एक बुरे सपने जैसा है। हमने पैंगोंग झील जाने के लिए परमिट प्राप्त कर लिया था। भुगतान भी कर दिया लेकिन अधिकारी हमें जाने नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि परमिट पर्ची पर हस्ताक्षर नहीं हैं।
अमांडा दिल्ली-एनसीआर में काम करने वाले भारतीय नागरिक अनुज हांडू के साथ यात्रा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की ओर से स्पष्ट संवाद की कमी निराशाजनक है। उन्होंने सरकार से स्पष्टीकरण देने का आग्रह किया है। अमांडा ने कहा समस्या केवल शहर में है।
जहां हमें रुकने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बाहर के इलाकों में दिक्कत नहीं है पर जानकारी नहीं दी जा रही है। हांडू ने बताया कि वे दो दिनों से पैंगोंग झील जाने के परमिट पर हस्ताक्षर करवाने की कोशिश कर रहे हैं पर कर्फ्यू के कारण सफल नहीं हो पा रहे। हम 2 अक्तूबर को वापस जा रहे हैं और चाहते हैं कि सरकार पर्यटकों की सुचारू आवाजाही के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करे। हांडू ने कहा कि उन्हें पता चला है कि कुछ विदेशी पर्यटकों को यात्रा की मंजूरी मिल गई थी और वे झील के लिए रवाना हो गए हैं। अधिकांश पर्यटक अपने होटल के कमरों में रुके हुए हैं।
वांगचुक को बता रहे राष्ट्रविरोधी व पाकिस्तान से खेल रहे मैचः उद्धव
शिवसेना यूबीटी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के लिए केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हमारी सेना के लिए सौर टेंट तकनीक विकसित करने वाले को राष्ट्रविरोधी करार दिया जा रहा है और आप पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेल रहे हैं जो भारत में आतंक फैलाता है। यह किस तरह की देशभक्ति है?
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पिछले दिनों राज्य के दर्जे के लिए हुआ एक प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। वांगचुक, इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। सरकार ने उन्हें शुक्रवार को गिरफ्तार किया और उन पर कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया। उद्धव ने यहां पत्रकारों से बातचीत में देशभक्तों से एशिया कप क्रिकेट फाइनल मैच का बहिष्कार करने की भी अपील की। साथ ही, कंपनियों से विज्ञापन ना देने का आग्रह किया।
वांगचुक की गिरफ्तारी लोगों संग भाजपा का विश्वासघात: खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को सरकार के लद्दाख में स्थिति से निपटने के तरीके और उसके बाद सोनम वांगचुक की एनएसए के तहत गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। एक्स पर पोस्ट में उन्होंने इस कदम को लद्दाख के लोगों के साथ भाजपा का विश्वासघात करार दिया।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने दावा किया कि पिछले एक साल से भी अधिक समय से लद्दाख में उथल-पुथल मची हुई है लेकिन संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की लोगों की मांग को धैर्यपूर्वक सुनने के बजाय, मोदी सरकार हिंसा से जवाब दे रही है। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस लद्दाख में शांति के अलावा कुछ नहीं चाहती। दशकों से हमने यह सुनिश्चित किया है कि यह खूबसूरत सीमावर्ती क्षेत्र सौहार्दपूर्ण और सुरक्षित रहे। लोकतंत्र की भावना और राष्ट्रीय सुरक्षा, दोनों को कायम रखते हुए।
भाजपा को छठी अनुसूची पर आपत्ति नहीं थी, अब क्या हुआ : रमेश
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि 2019 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने पूरे लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत लाए जाने की सिफारिश की थी। गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय किसी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। 2020 के लेह हिल काउंसिल चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र में भी इसे एक वादे के रूप में शामिल किया गया था। फिर अब भाजपा को क्या हो गया?
सीएम बनने की इच्छा है न जरूरत, यह ताज उन्हें मुबारकः सुनील
लद्दाख प्रकरण पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि एलओपी चाहते हैं कि जब वे सीएम बनेंगे तभी स्टेटहुड मिलेगा। इस पर नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि वे किसी गलतफहमी में हैं। सीएम पद का ताज अब्दुल्ला परिवार को ही मुबारक हो। न तो जल्दबाजी है न इच्छा है। सीएम हर कहीं टांग अड़ाते हैं। लद्दाख हो या बंगाल, हर कहीं की बात करेंगे। अपने प्रदेश और विभाग में क्या हो रहा है उन्हें मालूम नहीं होता है।
हिंसा के लिए पुलिस व प्रदर्शनकारी जवाबदेह
लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के चेयरमैन ताशी ग्यालसन ने लेह हिंसा में चार प्रदर्शनकारियों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण दिन बताते हुए इसे इतिहास के सबसे काला दिन हताया। उन्होंने हिंसा के लिए प्रदर्शनकारी व पुलिस दोनों को जवाबदेह करार दिया।
उन्होंने कहा कि निर्दोष लोग शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए आए थे। हमें नहीं पता कि किस तरह का जमावड़ा हुआ लेकिन हिंसा अचानक भड़क गई। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए अत्यधिक बल प्रयोग पर आपत्ति जताई। कहा कि जब हिंसा भड़की तो पुलिस ने काफी सख्ती बरती।
इसी का नतीजा था कि चार युवाओं की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। उन्होंने इसके लिए भी जवाबदेही तय करने की मांग की। चेयरमैन ने पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल को शांतिपूर्ण बताया। कहा कि केंद्र सरकार बातचीत कर रही थी लेकिन यह बात फैलने लगी कि सरकार गंभीर नहीं है।
गिरफ्तारी अनुचित व अलोकतांत्रिक : शमा
जम्मू। कांग्रेसी नेता शमा मोहम्मद ने वांगचुक की गिरफ्तारी को अनुचित और अलोकतांत्रिक बताया है। उनकी रिहाई की मांग करते हुए कांग्रेसी नेता ने कहा कि कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार के विरोध पर एनएसए नहीं लगाया जाता।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार पिछले पंचायत चुनावों में लद्दाख के लोगों से छठी अनुसूची का वादा किया था। अब वे इसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने सरकार के विरोध प्रदर्शनों को पूर्व नियोजित बताए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि लद्दाख एक बेहद संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक क्यों नहीं लगी? अजीत डोवाल क्या कर रहे हैं? उनके इस्तीफे की मांग उठाते हुए उन्होंने वांगचुक को जल्द गिरफ्तार किए जाने की मांग की।