Srinagar: रुहुल्लाह ने खुद पर लगे भूमि घोटाले के आरोपों को नकारा, कहा- यह आरोप पूरी तरह निराधार हैं
रुहुल्लाह मेहदी ने भूमि घोटाले के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह 20 साल पुराना मामला है और उन्होंने जांच की चुनौती दी।

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नेकां नेता और सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी ने अपने खिलाफ लगे भूमि घोटाले के आरोपों पर सफाई दी है। रविवार को बडगाम में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रशासन एक अप्रैल का मजाक 13 अप्रैल को करने की कोशिश कर रहा है। रुहुल्लाह ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी भूमि घोटाले में शामिल नहीं हैं और यह मामला पूरी तरह से निराधार है।

उन्होंने कहा कि ये ज़मीन पुश्तैनी है। उन्होंने कहा कि ये मुझे चुप कराने का तुच्छ प्रयास है, पर जब तक 370 बहाल नहीं होता, मुसलमानों पर अत्याचार बंद नहीं होते तब तक मैं चुप नहीं रहूंगा। सांसद ने कहा, मुझे इस मामले की जानकारी तब हुई, जब एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने चार्जशीट दाखिल की। इसके पहले न तो मुझे कोई नोटिस मिला, न पूछताछ के लिए बुलाया गया, न ही कोई समन जारी किया गया।
रुहुल्लाह ने बताया कि यह मामला करीब 20 साल पुराना है, जब सरकार ने पुनर्वास योजना के तहत बेमिना और दुर्बल (बडगाम) के लोगों को मुआवजा दिया था। उन्होंने कहा, मेरे दादा के पास करीब 90 कनाल जमीन थी, जिसे सरकार ने डल झील के विस्थापितों के पुनर्वास के लिए अधिग्रहित किया था।
उस समय मुआवजा केवल कागजी रिकॉर्ड के आधार पर नहीं, बल्कि वास्तविक कब्जे के आधार पर दिया गया था। मेरे परिवार को 90 कनाल में से केवल 40-50 कनाल का मुआवजा मिला। मुझे और मेरे भाई-बहनों को प्रति व्यक्ति करीब 80,000 रुपये मिले, जो मेरे चाचा के खाते के जरिए आए।
रुहुल्लाह ने कहा कि मुआवजे की बातचीत या लेन-देन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। मेरे बड़े चाचा इस जमीन के संरक्षक हैं। उन्होंने ही सारी बातचीत की। मुझे पैसा उनके खाते से मिला, सरकार से नहीं। उन्होंने हैरानी जताई कि उन्हें इस मामले में न तो पूछताछ के लिए बुलाया गया, न कोई नोटिस दिया गया।
यह मामला पूरी तरह बेबुनियाद है। अगर मैंने कुछ गलत किया होता, तो मुझे औपचारिक रूप से सूचित किया जाना चाहिए था।उन्होंने चुनौती दी, अगर मेरे खिलाफ कोई सबूत है, तो एसीबी नहीं, एनआईए को बुलाकर जांच करवाएं और जांच के हर विवरण को जनता के सामने रखें।
उन्होंने कहा, उमर अब्दुल्ला ने सीट छोड़ी है। अब जनता चाहती है कि बडगाम का कोई व्यक्ति उनका प्रतिनिधित्व करे। मैं उनकी आकांक्षाओं का सम्मान करता हूं। उन्होंने कहा कि उन्होंने 18 साल तक बडगाम का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन इस बार वह जम्मू-कश्मीर की डाउनग्रेडेड विधानसभा का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा।
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