Udhampur: उधमपुर के जंगल आतंकियों का पनाहगार, हमले के बाद चकमा देकर जंगलों में भाग रहे आतंकी
उधमपुर के डुडु बसंतगढ़ और मजालता के जंगल आतंकियों का लंबे समय से सुरक्षित अड्डा बने हुए हैं, जहां पिछले 20 महीनों में आठ मुठभेड़ें हो चुकी हैं। सुरक्षाबलों के 40 ऑपरेशन और सतर्कता के बावजूद आतंकवादी हर बार हमले के बाद जंगलों में फरार हो जाते हैं और स्थानीय मदद से भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाते हैं।
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उधमपुर में डुडु बसंतगढ़ के घने जंगल व गुफाएं आतंकियों की सुरक्षित पनाहगार बनी हुई हैं। यहां तीन साल आतंकी सक्रिय हैं और पिछले 20 माह में सुरक्षाबलों के साथ आठ मुठभेड़ हो चुकी हैं। हर बार आतंकी हमले के बाद जंगलों में भाग निकलते हैं।
सोमवार को आतंकियों की जिले में मजालता के सोअन मारथा गांव में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ हो गई। सेना, सीआरपीएफ, एसओजी और पुलिस ने पिछले 20 माह में बसंतगढ़ क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ 40 सर्च ऑपरेशन चलाए लेकिन आतंकियों का सुराग नहीं मिल सका। इस बार आतंकियों ने जिले के ही मजालता को चुना।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय से जम्मू संभाग के उधमपुर और किश्तवाड़ जिलों में ही मुठभेड़ होती रही हैं। माना जा रहा था सुरक्षाबल आतंकियों को एक सीमित क्षेत्र तक रोकने में कामयाब रहे हैं लेकिन उधमपुर के मजालता में सोमवार को हुई मुठभेड़ इसके विपरीत है।
अब आतंकियों ने एक नया स्थान चुना है। ऐसा लग रहा है कि आतंकी पूरे जिले के जंगलों व भौगोलिक स्थिति से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। वे जंगल में रहने, नदी-नाले को पार करने में भी माहिर हैं और उन्हें स्थानीय मदद भी मिल रही है। यही कारण है कि ये लंबे समय से इस इलाके में सक्रिय हैं। बार-बार मुठभेड़ होने के बावजूद सुरक्षाबलों को चकमा देकर भाग रहे हैं।
खुफिया तंत्र को और मजबूत करना होगा : पठानिया
सेवानिवृत्त कर्नल सुशील पठानिया कहते हैं कि मुठभेड़ से आतंकी और स्लीपर सेल अपनी मौजूदगी व आतंकवाद के जिंदा होने का संदेश देते हैं। छोटी-छोटी मुठभेड़ कर गुम हो जाना यह डुडु-बसंतगढ़ से लेकर किश्तवाड़ में हुई मुठभेड़ में आतंकियों का पैटर्न रहा है। लोगों व सुरक्षाबलों के बीच उनकी चर्चा रहे यह भी आतंकियों का एजेंडा रहता है। आतंकियों के खात्मे के लिए खुफिया तंत्र को और मजबूत करना होगा। संदिग्धों की सूची तैयार कर उनकी गतिविधियों पर नजर रखनी होगी। तभी स्लीपर सेल को खत्म कर सकते हैं।
आतंकियों को स्थानीय स्तर पर मिल रही मदद : जेपी सिंह
जम्मू-कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त आईजी जेपी सिंह ने कहा कि 26 जनवरी नजदीक है। आतंकियों का प्रयास रहता है कुछ बड़ा करें। आम तौर पर देखा गया है कि जो आतंकी जिस क्षेत्र में सक्रिय होते हैं वे वहां से बाहर नहीं जाते हैं। वो सकता है ये कोई नया ग्रुप हो। आतंकियों को स्थानीय स्तर पर मदद मिल रही है। अगर हम आतंकियों को मार नहीं पा रहे हैं तो अपनी रणनीति बदलनी होगी। दूरदराज इलाके के पुलिस थानों व चौकियों को मजबूत करना होगा।