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Jammu Kashmir: जमीन के मालिकाना हक और मुआवजे के लिए बिफरे किसान, अरनिया सेक्टर के किसानों का विरोध प्रदर्शन

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: निकिता गुप्ता Updated Wed, 10 Dec 2025 01:53 PM IST
सार

अरनिया सेक्टर के 15 गांवों के किसानों ने जमीन का मालिकाना हक और मुआवजे की मांग को लेकर राजस्व विभाग और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। किसानों ने चेतावनी दी कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो सीमावर्ती क्षेत्र में व्यापक जन आंदोलन किया जाएगा।

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A protest was held against the revenue department and the government in Arnia sector.
जमीन के मालिकाना हक और मुआवजे के लिए प्रदर्शन कर नारेबाजी करते किसान। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अरनिया सेक्टर के 15 गांवों के किसानों ने तारबंदी के दायरे की जमीन के मालिकाना हक और मुआवजे के लिए मंगलवार को राजस्व विभाग और प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

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प्रदर्शन की अध्यक्षता गांव तरेबा की पूर्व सरपंच बलबीर कौर ने की। गांव आल्हा की पूर्व सरपंच कमलेश कुमारी और पूर्व उप सरपंच लवली सिंह ने प्रदर्शन में विशेष तौर पर भाग लिया। अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सटे गांव में रोष रैली भी की। इसमें प्रदर्शनकारियों ने विभाग और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
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किसानों ने आरोप लगाया कि राजस्व विभाग की ओर से उन्हें जान-बूझकर परेशान किया जा रहा है। पूर्व सरपंच बलबीर कौर ने बताया कि दशकों से बॉर्डर क्षेत्र में खेती कर रहे किसानों को अब तक उनकी जमीनों का मालिकाना हक नहीं दिया गया है, न ही जमीन का मुआवजा मिला है। अब विभाग उनके खेतों में निशान लगाकर फिर से कब्जे की कार्रवाई कर रहा है।

कभी इन जमीनों को सरकारी लैंड, कभी कस्टोडियन लैंड और कभी वक्फ बोर्ड की लैंड बताकर किसानों को परेशान किया जा रहा है। किसानों ने सरकार से मांग की कि यदि बॉर्डर क्षेत्र में किसी परियोजना या सुरक्षा कारणों से जमीन की जरूरत है तो वे उसे देने के लिए तैयार हैं लेकिन पहले मालिकाना हक और उचित मुआवजा सुनिश्चित किया जाए।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया या किसानों के साथ जबरदस्ती की गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे जिनकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी। सीमावर्ती क्षेत्र के समस्त गांव एक जन आंदोलन की तैयारी करेंगे।

किसान 25 वर्ष से कर रहे इंतजार
किसानों का आरोप है कि उनकी सैकड़ों एकड़ जमीन हथियाई जा रही है लेकिन इसका मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। राजस्व विभाग के अधिकारी बिना कोई बात सुने उनकी जमीनों पर अपनी पिकेट लगा रहे हैं। ये वही किसान है जिन्होंने 1965-71 की लड़ाई और हाल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यहां तैनात बीएसएफ व सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाया था।

यहां रह रहे हैं अधिकतर लोग 1965 और 71 में पाकिस्तान छोड़कर भारत आए थे और तबसे सरकार ने उन्हें जमीन आवंटित की थी। किसानों ने कहा कि वे 25 साल से मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं।

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