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घरों पर हैं बमों के निशान, जिद ये कि न छोड़ेंगे आशियां: 'जहां खतरा रोज का मेहमान, वहां से लोग नाता नहीं तोड़ते'

अमर उजाला, नेटवर्क जम्मू Published by: निकिता गुप्ता Updated Tue, 29 Apr 2025 04:32 PM IST
सार

सीमा पार से गोलाबारी के खतरे के बावजूद जम्मू-कश्मीर के अरनिया और अन्य सीमावर्ती गांवों के लोग अपने घर और जमीन नहीं छोड़ना चाहते, बल्कि सतर्क रहते हुए डटे हुए हैं।

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Border Shelling Fails to Shake Arnia Residents' Determination after pagalgam attack
बंकर में आराम करते ग्रामीण - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बॉर्डर पर खतरे को देखते हुए अरनिया टाउन के लोग बेहद सतर्क हैं। ये वे लोग हैं, जो हमेशा से खतरे की जद में रहे हैं और आठ साल पहले पाकिस्तान की तरफ से गोलाबारी में इनके घरों पर गोले तक पड़ चुके हैं। लेकिन इनका मिट्टी से जुड़ाव इतना गहरा है कि किसी भी हालात में इन्हें अपना घर छोड़ना मंजूर नहीं।अरनिया में बस पार्किंग के पास एक ढाबा चला रहे बिटटू को बॉर्डर पर किसी-न-किसी सुगबुगाहट का अंदेशा सता रहा है।

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लेकिन वे डरे नहीं हैं, बल्कि सतर्क हैं।वे अपने ढाबे की दीवारों पर पड़े गोलीबारी के निशान दिखाते हुए कहते हैं कि वे खराब से खराब हालात में भी अरनिया छोड़कर नहीं जाने वाले। उनका कहना है कि रिश्तेदारों के घर जाकर रहना उन्हें पसंद नहीं, आखिर कोई किसी को कितने दिन अपने घर रखेगा।
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उनका कहना साफ है कि भूखे रहकर भी वे अपने घर में ही रहेंगे। वे 2017 में हुई पाकिस्तानी गोलाबारी को याद करते हैं, जब पूरा टाउन बंद था। उनका ढाबा भी बंद रहा। कमाई का कोई जरिया नहीं रहा। उन्होंने भूखे पेट वो वक्त काटा, लेकिन टाउन छोड़कर नहीं गए।

Border Shelling Fails to Shake Arnia Residents' Determination after pagalgam attack
हिरानागर में फसल काटते किशान - फोटो : अमर उजाला

75 वर्षीय किसान बोले- हालात कैसे भी हों, गांव नहीं छोड़ेंगे
अरनिया में ही टाउन हॉल के पास बनी एक पुरानी सी कॉलोनी में पेशे से किसान करीब 75 साल के आराम सैनी रह रहे हैं। उनके बाप-दादा के वक्त का बना ये घर भी सीमा पार से होने वाली गोलीबारी का जीता-जागता सुबूत है। उन्होंने अपने कमरे की छलनी हो चुकीं खिड़कियों की मरम्मत अभी तक नहीं कराई है।

साथ ही छत पर बने उस कमरे को भी छोड़ दिया है, जहां की दीवारें गोलियों का निशाना बनी थी। लेकिन कोई अगर हालात खराब होने पर गांव छोड़ने की बात करे तो ये आराम को मंजूर नहीं। 

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बंकर - फोटो : अमर उजाला

लगातार गोलाबारी के बीच स्कूलों में बनाए गए बंकर हो रहे साफ
भारत-पाकिस्तान एलओसी पर स्थित स्कूलों में बने बंकरों में भी साफ-सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। जिले में पिछले पांच दिन से लगातार पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी की जा रही है। इसे देखते हुए प्रशासन ने यह कदम उठाया है, ताकि दिन में स्कूलों में पढ़ाई के वक्त गोलीबारी हो तो बच्चों को सुरक्षित बंकरों में पहुंचाया जा सके।

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यहां एलओसी पर स्थित अंतिम स्कूल मॉडल हायर सेकेंड्री स्कूल, जलास में बने कम्युनिटी बंकर को स्कूल स्टाफ ने मजदूर लगाकर साफ कराया। ये स्कूल एलओसी पर पाकिस्तानी सेना की चौकियों से महज 50-60 मीटर की हवाई दूरी पर स्थित है। पहले भी कई बार स्कूल भवन को नुकसान पहुंच चुका है।

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बंकर - फोटो : अमर उजाला

कठिन समय में सुरक्षित रहने के लिए ग्रामीणों ने बंकरों को मजबूत किया
बंकरों को मारबल लगाकर चाक चौबंद कियासांबा। सांबा में बंकरों की साफ-सफाई का काम जोरों पर चल रहा है। ग्रामीणों ने कई बंकरों में माारबल लगाकर उन्हें चाक-चौबंद कर दिया है, ताकि मुश्किल घड़ी में वहां अपने परिजनों के साथ रह सकें। कई बंकरों में अभी भी भूसा और लकड़ी पड़ी है, जिन्हें साफ किया जाना बाकी है।

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सोमवार को भी प्रशासन के नुमाइंदों ने गांवों का दौरा कर किसानों से मुलाकात की और हालात का जायजा लिया। बॉर्डर के किसानों ने अपनी फसल को भी पूरी तरह समेट लिया है। वहीं, खौड़ के सीमावर्ती गांवों जैसे हमीरपुर, सैंथ, घरड़, बदोवाल, घिगड़ेयाल, पंजतूत, पलातन, पलांवाला आदि के किसानों ने भी अपनी फसल को पूरी तरह समेट लिया है।

एसडीएम ने किया इलाके का दौरा
हालात का जायजा लेने प्रशासनिक अधिकारी बॉर्डर के गांवों में निरंतर दौरा कर रहे हैं। सोमवार को एसडीएम फुलेल सिंह ने मनियारी इलाके का दौरा किया। उन्होंने बीएसएफ की अग्रिम चौकी को जीरो लाइन की सड़क से जोड़ने वाली रोड की जद में आ रही जमीन के मालिकों से मुलाकात की और काम शुरू कराने को कहा।

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वहीं, जीरो लाइन पर पहाड़पुर से लौंडी तक करीब बारह सौ हेक्टेयर जमीन पर लगी गेहूं की फसल में से लगभग नौ सौ हेक्टेयर की कटाई का काम पूरा हो गया। कृषि विभाग के अफसों का दावा है कि कटाई का काम दो से तीन दिन के अंदर पूरा हो जाएाग।

सुरक्षा बल भी कर रहे किसानों का सहयोग
आरएसपुरा सेक्टर के सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीण फसल कटाई के साथ ही फसल को समेटने में जुटे हैं। तारबंदी से आगे की जमीन पर सुरक्षा बल भी किसानों का पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं। अब्दुल्लियां के पूर्व सरपंच चौधरी बचन लाल ने बताया कि पिछले तीन दिन से पाकिस्तान के किसान सीमा पर बने खेतों में नजर नहीं आ रहे थे, लेकिन सोमवार को वे भी खेतों में दिखे। माहौल को देखते हुए ग्रामीणों ने अपने घरों में बने बंकरों की सफाई कर ली है। 

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