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Jammu News: बिना शोधन बसंतर में बहाया जा रहा उद्योगों से निकला जहरीला पानी
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बिना उपचार बसंतर नदी में जाता दूषित पानी
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सांबा औद्योगिक क्षेत्र का कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट चार माह से पड़ा बंद
कई गांवों में प्रदूषण से बढ़ी चिंता, ग्रामीणों व मवेशियों का स्वास्थ्य खतरे में
विशाल जसरोटिया
सांबा। जिले के औद्योगिक क्षेत्र का कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) बीते चार माह से बंद पड़ा है। इससे फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित और जहरीला पानी बिना शोधन के सीधे बसंतर नदी में बहाया जा रहा है। इससे आसपास के गांवों में प्रदूषण बढ़ने के साथ स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। चक मंगा गुज्जरां, मंधेरा, गुज्जर बस्ती, बुर्ज, टांडा और सुंजवां सहित कई गांवों के लोग इस दूषित पानी से प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पशु नदी का पानी पीते हैं जबकि दूषित पानी के बहाव से उनके स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
वर्ष 2020 में 7.98 करोड़ रुपये की लागत से सीईटीपी इसलिए बनाया गया था ताकि औद्योगिक इकाइयों का दूषित पानी उपचारित कर सुरक्षित रूप से छोड़ा जा सके ताकि पर्यावरण और जनजीवन को नुकसान न पहुंचे। बीते अगस्त में भारी बारिश और बाढ़ के कारण पूरे औद्योगिक क्षेत्र में जलभराव हो गया था। इससे सीईटीपी परिसर भी क्षतिग्रस्त हुआ था। यहां लगी मोटरें और कई उपकरण खराब हो गए थे।
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स्थानीय निवासी कपिल और देवेंद्र संबयाल ने बताया कि हमारी यही मांग है कि जो करोड़ों रुपये खर्च कर बनाया गया प्लांट अपने मूल उद्देश्य के अनुसार चले। नदी में मिल रहे औद्योगिक अपशिष्ट का सीधा असर पानी की गुणवत्ता पर पड़ता है। यह पशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ मानव शरीर में संक्रमण, त्वचा संबंधी समस्याएं और पेट के रोग बढ़ा सकता है। गुज्जर बस्ती के निवासी नेक मोहम्मद ने बताया कि उनका जीवन काफी हद तक नदी पर निर्भर है। जब पानी गंदा होता है तो सिर्फ बदबू की समस्या नहीं होती बल्कि खेती-किसानी भी प्रभावित होती है। कई बार अधिकारियों को समस्या से अवगत करवा चुके हैं।
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सीईटीपी की देखरेख का दायित्व उद्योग विभाग का ही है। विभाग को कई बार बताया गया है कि प्लांट की जल्द मरम्मत कर इसे तुरंत कार्यशील किया जाए। विभाग लगातार मामले पर नजर बनाए हुए है।
हंसराज गलौच, जिला अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग
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कई गांवों में प्रदूषण से बढ़ी चिंता, ग्रामीणों व मवेशियों का स्वास्थ्य खतरे में
विशाल जसरोटिया
सांबा। जिले के औद्योगिक क्षेत्र का कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) बीते चार माह से बंद पड़ा है। इससे फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित और जहरीला पानी बिना शोधन के सीधे बसंतर नदी में बहाया जा रहा है। इससे आसपास के गांवों में प्रदूषण बढ़ने के साथ स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। चक मंगा गुज्जरां, मंधेरा, गुज्जर बस्ती, बुर्ज, टांडा और सुंजवां सहित कई गांवों के लोग इस दूषित पानी से प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पशु नदी का पानी पीते हैं जबकि दूषित पानी के बहाव से उनके स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
वर्ष 2020 में 7.98 करोड़ रुपये की लागत से सीईटीपी इसलिए बनाया गया था ताकि औद्योगिक इकाइयों का दूषित पानी उपचारित कर सुरक्षित रूप से छोड़ा जा सके ताकि पर्यावरण और जनजीवन को नुकसान न पहुंचे। बीते अगस्त में भारी बारिश और बाढ़ के कारण पूरे औद्योगिक क्षेत्र में जलभराव हो गया था। इससे सीईटीपी परिसर भी क्षतिग्रस्त हुआ था। यहां लगी मोटरें और कई उपकरण खराब हो गए थे।
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स्थानीय निवासी कपिल और देवेंद्र संबयाल ने बताया कि हमारी यही मांग है कि जो करोड़ों रुपये खर्च कर बनाया गया प्लांट अपने मूल उद्देश्य के अनुसार चले। नदी में मिल रहे औद्योगिक अपशिष्ट का सीधा असर पानी की गुणवत्ता पर पड़ता है। यह पशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ मानव शरीर में संक्रमण, त्वचा संबंधी समस्याएं और पेट के रोग बढ़ा सकता है। गुज्जर बस्ती के निवासी नेक मोहम्मद ने बताया कि उनका जीवन काफी हद तक नदी पर निर्भर है। जब पानी गंदा होता है तो सिर्फ बदबू की समस्या नहीं होती बल्कि खेती-किसानी भी प्रभावित होती है। कई बार अधिकारियों को समस्या से अवगत करवा चुके हैं।
सीईटीपी की देखरेख का दायित्व उद्योग विभाग का ही है। विभाग को कई बार बताया गया है कि प्लांट की जल्द मरम्मत कर इसे तुरंत कार्यशील किया जाए। विभाग लगातार मामले पर नजर बनाए हुए है।
हंसराज गलौच, जिला अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग