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Jammu News: जीएमसी राजोरी के डॉक्टरों ने 100 से ज्यादा टीबी मरीजों को लिया गोद
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नियमित न्यूट्रिशनल किट बांटकर पोषण सप्लीमेंट भी सुनिश्चित किया जा रहा
संवाद न्यूज एजेंसी
राजोरी। जीएमसी राजोरी में टीबी मरीजों को रेगुलर पोषण सहायता देने के लिए एक अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसकी अगुवाई जीएमसी के प्रिंसिपल प्रो. डॉ. एएस भाटिया कर रहे हैं। 45 डॉक्टरों की टीम है जिसमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट हेड, कंसल्टेंट और मेडिकल ऑफिसर शामिल हैं। इन डॉक्टरों ने 100 से ज्यादा टीबी मरीजों को गोद लिया है। इन मरीजों को नियमित न्यूट्रिशनल किट बांटकर लगातार पोषण सप्लीमेंट भी सुनिश्चित किया जा रहा है। यह पहल खास तौर पर उन मरीजों पर फोकस करती है जो एनीमिक हैं और पोषण की कमी से जूझ रहे हैं। जीएमसी का यह ऐतिहासिक कदम हाल में उच्च अधिकारियों के साथ हुई रिव्यू मीटिंग से निकले बड़े विजन और निर्देशों के बाद उठाया गया है। इन बैठकों में मुख्य सचिव अटल डुल्लू, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. सैयद आबिद राशिद शाह, मैनेजिंग डायरेक्टर एनएचएम बसीर-उल-हक चौधरी, डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज जम्मू डॉ. अब्दुल हामिद जरगर और डीसी अभिषेक शर्मा शामिल थे।
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रिव्यू मीटिंग में तैयार किया गया था विस्तृत रोडमैप
यह पहल एनीमिया मुक्त भारत अभियान और राजोेरी और पुंछ सीमावर्ती जिलों से टीबी को खत्म करने के लक्ष्य से जुड़ी है। इस बड़े लक्ष्य के लिए एक विस्तृत रोडमैप अगस्त 2025 में जीएमसी राजोरी में हुई रिव्यू मीटिंग में तैयार किया गया था। मेडिकल इलाज को पोषण संबंधी देखभाल और डॉक्टरों की व्यक्तिगत जवाबदेही के साथ जोड़कर जीएमसी ने दयालु, समुदाय-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा का एक मजबूत उदाहरण पेश किया है जो टीबी को खत्म करने और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों के लिए जिले की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
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संवाद न्यूज एजेंसी
राजोरी। जीएमसी राजोरी में टीबी मरीजों को रेगुलर पोषण सहायता देने के लिए एक अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसकी अगुवाई जीएमसी के प्रिंसिपल प्रो. डॉ. एएस भाटिया कर रहे हैं। 45 डॉक्टरों की टीम है जिसमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट हेड, कंसल्टेंट और मेडिकल ऑफिसर शामिल हैं। इन डॉक्टरों ने 100 से ज्यादा टीबी मरीजों को गोद लिया है। इन मरीजों को नियमित न्यूट्रिशनल किट बांटकर लगातार पोषण सप्लीमेंट भी सुनिश्चित किया जा रहा है। यह पहल खास तौर पर उन मरीजों पर फोकस करती है जो एनीमिक हैं और पोषण की कमी से जूझ रहे हैं। जीएमसी का यह ऐतिहासिक कदम हाल में उच्च अधिकारियों के साथ हुई रिव्यू मीटिंग से निकले बड़े विजन और निर्देशों के बाद उठाया गया है। इन बैठकों में मुख्य सचिव अटल डुल्लू, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. सैयद आबिद राशिद शाह, मैनेजिंग डायरेक्टर एनएचएम बसीर-उल-हक चौधरी, डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज जम्मू डॉ. अब्दुल हामिद जरगर और डीसी अभिषेक शर्मा शामिल थे।
रिव्यू मीटिंग में तैयार किया गया था विस्तृत रोडमैप
यह पहल एनीमिया मुक्त भारत अभियान और राजोेरी और पुंछ सीमावर्ती जिलों से टीबी को खत्म करने के लक्ष्य से जुड़ी है। इस बड़े लक्ष्य के लिए एक विस्तृत रोडमैप अगस्त 2025 में जीएमसी राजोरी में हुई रिव्यू मीटिंग में तैयार किया गया था। मेडिकल इलाज को पोषण संबंधी देखभाल और डॉक्टरों की व्यक्तिगत जवाबदेही के साथ जोड़कर जीएमसी ने दयालु, समुदाय-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा का एक मजबूत उदाहरण पेश किया है जो टीबी को खत्म करने और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों के लिए जिले की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
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