Jammu Kashmir: बारिश-बाढ़ से दालों की 94 फीसदी खेती बर्बाद, बाहरी राज्यों से पूरी होगी प्रदेश की मांग
भारी बारिश और बाढ़ के कारण जम्मू-कश्मीर में दालों की 94% और तिलहन की 90% से अधिक फसल बर्बाद हो गई है, जिससे प्रदेश को दाल और सरसों तेल की आपूर्ति के लिए बाहरी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ेगा। किसानों को भारी नुकसान हुआ है और उन्होंने सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है।

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बारिश और बाढ़ से प्रदेश में दालों की 94 फीसदी फसल बर्बाद हुई है। इस बार प्रदेश की मांग पूरी करने के लिए पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ेगा। प्रदेश में 26755 मीट्रिक टन दालों की पैदावार होती है। इसमें पांच फीसदी उत्पादन जम्मू संभाग तो दस फीसदी कश्मीर में होता है। बारिश के कारण जम्मू संभाग में ज्यादा नुकसान हुआ है।

कृषि विभाग ने अपनी रिपोर्ट राज्य आपदा प्रबंधन बल (एसडीआरएफ) को सौंप दी है। सबसे ज्यादा नुकसान जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर सहित अन्य जिलों में हुआ है। कृषि विभाग के अनुसार प्रदेश में 32070 हेक्टेयर में दालों की खेती होती है। इसमें 30 हजार हेक्टेयर बर्बाद हो गई है। इस बार मात्र 1605.3 टन पैदावार के आसार हैं। इससे किसान मुश्किल से अपनी ही जरूरत पूरी कर सकेंगे। बाकी खपत के लिए बाहर से दालें मंगवानी पड़ेंगी। बता दें कि प्रदेश में मूंग, काले माह, काले चने, मसर, काले मसर की बिजाई की जाती है।
सरसों तेल भी बाहर से खरीदना पड़ेगाबारिश से तिलहन की खेती भी बर्बाद हो गई है। प्रदेश में 98,916 हेक्टेयर में खेती की गई थी। इसमें से 90 हजार हेक्टेयर में बर्बाद हो गई है। इससे इसकी मांग भी बाहरी राज्यों से पूरी करनी होगी। फसल बर्बाद होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने सरकार से उचित मुआवजा देने की मांग की है।
बाहरी राज्यों से मंगवानी पड़ेगी दालें
ट्रेडर्स फेडरेशन ऑफ वेयरहाउस के अध्यक्ष दीपक गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में करीब 40 टन दालों की रोज आपूर्ति होती है। इस बार दालों की फसल बर्बाद होने से ज्यादातर बाहरी राज्यों से मांग पूरी करनी पड़ेगी। कनक मंडी में दालों के थोक व्यापारी आशू ने बताया कि पड़ोसी राज्यों से दालें मंगवाकर प्रदेश की मांग पूरी करनी पड़ेगी।